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विजय माल्या मामले की अंतिम सुनवाई 18 जनवरी 2022 को होगी

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Published : Nov 30, 2021, 3:32 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस मामले में भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या को अवमानना ​​का दोषी ठहराया गया था, उस केस का 18 जनवरी 2022 को निपटारा किया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस मामले में भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या को अवमानना ​​का दोषी ठहराया गया था उस मामले की अंतिम सुनवाई 18 जनवरी 2022 को होगी. कोर्ट ने कहा कि इस केस का 18 जनवरी 2022 को निपटारा किया जाएगा.

कोर्ट ने कहा कि हमने काफी लंबा इंतजार किया है, हम अब और इंतजार नहीं कर सकते. विजय माल्या के खिलाफ अवमानना ​​के मामले में किसी न किसी स्तर पर निपटारा करना होगा और प्रक्रिया समाप्त करनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि विजय माल्या अभिवेदन को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है, अगर वह मौजूद नहीं है, तो उनकी ओर से वकील दलील दे सकते हैं. साथ ही मामला में उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता से न्याय मित्र के रूप में सहायता करने का अनुरोध किया है.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उसने न्यायालय के 2017 के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था. इस मामले मे न्यायालय ने उसे न्यायिक आदेशों का उल्लंघन कर बच्चों को चार करोड़ अमरीकी डालर अपने हस्तांतरित करने के लिए अवमानना ​​​​का दोषी ठहराया था.

इस साल 18 जनवरी को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि सरकार माल्या को ब्रिटेन से प्रत्यर्पित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ कानूनी मुद्दों के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही है.

माल्या के खिलाफ अवमानना ​​का मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस. आर. भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया.

पीठ ने कहा, 'हम एक आदेश पारित करना चाहते हैं कि हम मामले को सजा पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे क्योंकि (माल्या के) वकील का पेश होना जारी है. इसलिए, सजा पर अधिवक्ता को सुनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. हम इस पर आगे बढ़ेंगे.'

केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने पीठ को बताया कि इस मामले को देख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता एक अन्य अदालत में बहस कर रहे हैं.

नायन ने शीर्ष अदालत से कहा, 'उनके (मेहता) पास निर्देश हैं. वह पहले ही विदेश मंत्रालय (विदेश मंत्रालय) में संबंधित अधिकारियों से बात कर चुके हैं. अगर इस मामले को कल या उसके अगले दिन लिया जा सकता है, तो वह दलील पेश करेंगे.' पीठ ने कहा कि वह दिन में अपराह्न दो बजे मामले की सुनवाई करेगी.

पीठ ने नायर से कहा, 'सॉलिसिटर जनरल से पूछें, अगर वह खाली हैं, तो कृपया यहां आएं. यदि कोई लिखित निर्देश या कोई संदेश है, तो कृपया हमें उसकी प्रतियां दें.'

मेहता ने 18 जनवरी को माल्या के प्रत्यर्पण की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा था.

पढ़ें - पिछले चार साल से हो रही सीबीआई-ईडी की कार्रवाई अनुचित : विजय माल्या

उन्होंने कहा था कि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार के समक्ष प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया है और केंद्र माल्या के प्रत्यर्पण के लिए सभी गंभीर प्रयास कर रहा है. उन्होंने ब्रिटेन से माल्या के प्रत्यर्पण की स्थिति पर विदेश मंत्रालय के अधिकारी द्वारा लिखे गए एक पत्र को भी साझा किया था.

माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. वह अपनी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण चूक मामले में एक आरोपी है. वह स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस द्वारा तामील कराये गए एक प्रत्यर्पण वारंट मामले में जमानत पर है.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 2 नवंबर को केंद्र से भारत में माल्या के प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन में लंबित गोपनीय कानूनी कार्यवाही पर छह सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

केंद्र ने पिछले साल 5 अक्टूबर को शीर्ष अदालत को बताया था कि माल्या को भारत में तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जब तक कि ब्रिटेन में एक अलग गुप्त कानूनी प्रक्रिया का समाधान नहीं हो जाता, जो न्यायिक और गोपनीय प्रकृति का है.

केंद्र ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि उसे ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ चल रही गुप्त कार्यवाही की जानकारी नहीं है क्योंकि भारत सरकार इस प्रक्रिया में पक्षकार नहीं है.

सरकार ने पहले अवमानना ​​मामले में शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि ब्रिटेन में लंबित कानूनी मुद्दा प्रत्यर्पण प्रक्रिया से बाहर और अलग है और गोपनीय है और इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर, 2020 में माल्या के वकील से कहा था कि वह पिछले साल 2 नवंबर तक शीर्ष अदालत को अवगत कराएं कि उसके प्रत्यर्पण को लेकर किस तरह की गुप्त कार्यवाही चल रही है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जिस मामले में भगोड़े व्यवसायी विजय माल्या को अवमानना ​​का दोषी ठहराया गया था उस मामले की अंतिम सुनवाई 18 जनवरी 2022 को होगी. कोर्ट ने कहा कि इस केस का 18 जनवरी 2022 को निपटारा किया जाएगा.

कोर्ट ने कहा कि हमने काफी लंबा इंतजार किया है, हम अब और इंतजार नहीं कर सकते. विजय माल्या के खिलाफ अवमानना ​​के मामले में किसी न किसी स्तर पर निपटारा करना होगा और प्रक्रिया समाप्त करनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि विजय माल्या अभिवेदन को आगे बढ़ाने के लिए स्वतंत्र है, अगर वह मौजूद नहीं है, तो उनकी ओर से वकील दलील दे सकते हैं. साथ ही मामला में उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता जयदीप गुप्ता से न्याय मित्र के रूप में सहायता करने का अनुरोध किया है.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें उसने न्यायालय के 2017 के फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था. इस मामले मे न्यायालय ने उसे न्यायिक आदेशों का उल्लंघन कर बच्चों को चार करोड़ अमरीकी डालर अपने हस्तांतरित करने के लिए अवमानना ​​​​का दोषी ठहराया था.

इस साल 18 जनवरी को केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि सरकार माल्या को ब्रिटेन से प्रत्यर्पित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है, लेकिन कुछ कानूनी मुद्दों के कारण प्रक्रिया में देरी हो रही है.

माल्या के खिलाफ अवमानना ​​का मामला मंगलवार को न्यायमूर्ति यू. यू. ललित, न्यायमूर्ति एस. आर. भट और न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया.

पीठ ने कहा, 'हम एक आदेश पारित करना चाहते हैं कि हम मामले को सजा पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे क्योंकि (माल्या के) वकील का पेश होना जारी है. इसलिए, सजा पर अधिवक्ता को सुनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है. हम इस पर आगे बढ़ेंगे.'

केंद्र की ओर से पेश अधिवक्ता रजत नायर ने पीठ को बताया कि इस मामले को देख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता एक अन्य अदालत में बहस कर रहे हैं.

नायन ने शीर्ष अदालत से कहा, 'उनके (मेहता) पास निर्देश हैं. वह पहले ही विदेश मंत्रालय (विदेश मंत्रालय) में संबंधित अधिकारियों से बात कर चुके हैं. अगर इस मामले को कल या उसके अगले दिन लिया जा सकता है, तो वह दलील पेश करेंगे.' पीठ ने कहा कि वह दिन में अपराह्न दो बजे मामले की सुनवाई करेगी.

पीठ ने नायर से कहा, 'सॉलिसिटर जनरल से पूछें, अगर वह खाली हैं, तो कृपया यहां आएं. यदि कोई लिखित निर्देश या कोई संदेश है, तो कृपया हमें उसकी प्रतियां दें.'

मेहता ने 18 जनवरी को माल्या के प्रत्यर्पण की स्थिति पर रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कुछ समय मांगा था.

पढ़ें - पिछले चार साल से हो रही सीबीआई-ईडी की कार्रवाई अनुचित : विजय माल्या

उन्होंने कहा था कि विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन सरकार के समक्ष प्रत्यर्पण का मुद्दा उठाया है और केंद्र माल्या के प्रत्यर्पण के लिए सभी गंभीर प्रयास कर रहा है. उन्होंने ब्रिटेन से माल्या के प्रत्यर्पण की स्थिति पर विदेश मंत्रालय के अधिकारी द्वारा लिखे गए एक पत्र को भी साझा किया था.

माल्या मार्च 2016 से ब्रिटेन में है. वह अपनी बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक ऋण चूक मामले में एक आरोपी है. वह स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस द्वारा तामील कराये गए एक प्रत्यर्पण वारंट मामले में जमानत पर है.

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 2 नवंबर को केंद्र से भारत में माल्या के प्रत्यर्पण पर ब्रिटेन में लंबित गोपनीय कानूनी कार्यवाही पर छह सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

केंद्र ने पिछले साल 5 अक्टूबर को शीर्ष अदालत को बताया था कि माल्या को भारत में तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता जब तक कि ब्रिटेन में एक अलग गुप्त कानूनी प्रक्रिया का समाधान नहीं हो जाता, जो न्यायिक और गोपनीय प्रकृति का है.

केंद्र ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि उसे ब्रिटेन में माल्या के खिलाफ चल रही गुप्त कार्यवाही की जानकारी नहीं है क्योंकि भारत सरकार इस प्रक्रिया में पक्षकार नहीं है.

सरकार ने पहले अवमानना ​​मामले में शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि ब्रिटेन में लंबित कानूनी मुद्दा प्रत्यर्पण प्रक्रिया से बाहर और अलग है और गोपनीय है और इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है.

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर, 2020 में माल्या के वकील से कहा था कि वह पिछले साल 2 नवंबर तक शीर्ष अदालत को अवगत कराएं कि उसके प्रत्यर्पण को लेकर किस तरह की गुप्त कार्यवाही चल रही है.

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