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सेवानिवृत अफसरों को पुनर्नियुक्ति से पहले विजीलेंस की स्वीकृति अनिवार्य: सीवीसी

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Published : Jun 4, 2021, 8:18 AM IST

Updated : Jun 4, 2021, 12:21 PM IST

सेवानिवृत्ति के बाद रोजगार को लेकर सीवीसी ने एक आदेश में कहा कि यदि किसी सेवानिवृत्त अधिकारी ने एक से अधिक संगठनों में काम किया है, तो उन सभी संगठनों से सतर्कता संबंधी मंजूरी प्राप्त की जानी चाहिए जहां अधिकारी ने पिछले 10 वर्षों में सेवा दी थी. सीवीसी ने कहा कि, अधिकारियों के लिये सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी को लेकर सतर्कता संबंधी मंजूरी जरूरी है. पढ़ें पूरी खबर...

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सीवीसी

नई दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) (Central Vigilance Commission ) ने कहा कि केंद्र सरकार के सभी संगठनों को नौकरशाहों को सेवानिवृत्ति के बाद रोजगार देने से पहले सतर्कता विभाग से अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी चाहिए.

सीवीसी ने एक आदेश में कहा कि यदि किसी सेवानिवृत्त अधिकारी ने एक से अधिक संगठनों में काम किया है, तो उन सभी संगठनों से सतर्कता संबंधी मंजूरी प्राप्त की जानी चाहिए जहां अधिकारी ने पिछले 10 वर्षों में सेवा दी थी.

आयोग का यह परिपत्र केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकों और बीमा क्षेत्र के लिए अनिवार्य है.

सीवीसी ने केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों और सार्वजनिक उपक्रमों को जारी आदेश में कहा है, सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को नियुक्त करने से पहले उन संगठनों से सतर्कता संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई परिभाषित प्रक्रिया नहीं है, जहां ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सेवानिवृत्ति से पहले पूर्णकालिक आधार पर सेवाएं दी थी.

आयोग के अनुसार ऐसा देखा गया है कि सरकारी संगठनों द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों को नियुक्त करने से पहले सतर्कता मंजूरी प्राप्त करने के लिए एक समान परिभाषित प्रक्रिया के अभाव में, कभी-कभी ऐसी स्थिति पैदा होती है जहां अपने कार्यकाल के दौरान गड़बड़ी में लिप्त रहे अथवा जिनके खिलाफ मामले लंबित हैं ऐसे अधिकारियों को सरकारी संगठनों में नियुक्त कर दिया जाता है.

सीवीसी ने कहा, ऐसी स्थिति न केवल अनावश्यक शिकायतों/पक्षपात के आरोपों को जन्म देती है, बल्कि निष्पक्षता और ईमानदारी के सिद्धांतों के खिलाफ भी है जो सरकारी संगठनों के कामकाज को संचालित करने वाला मूल सिद्धांत है.

आयोग ने कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित सेवानिवृत्त अधिकारियों के संबंध में, केंद्र सरकार के समूह ए के अधिकारी या केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले या नियंत्रित अन्य संगठनों में उनके समकक्ष अधिकारियों को अनुबंध/परामर्श आधारित रोजगार देने से पहले, उस नियोक्ता संगठन से सतर्कता मंजूरी अनिवार्य रूप से प्राप्त की जानी चाहिए जहां से सरकारी अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं.

सीवीसी ने यह भी कहा है कि सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को फिर से नौकरी की पेशकश पारदर्शी होनी चाहिए. इसके तहत उन लोगों को समान अवसर मिलना चाहिए, जो उस पद के लिये अपनी सेवा देने को तैयार हैं.

आयोग के आदेश में कहा गया है कि अनुबंध या परामर्श आधार पर भरे जाने वाले पद को संबंधित संगठन की वेबसाइट पर विज्ञापन के रूप में उचित स्थान पर डाला जाना चाहिए और सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध होना चाहिए.

सीवीसी ने कहा, यह देखा गया है कि कुछ मामलों में सरकारी संगठनों से सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सेवानिवृत्त अधिकारी निजी क्षेत्र के संगठनों में पूर्णकालिक नौकरी या संविदा पर काम कर रहे हैं.

पढ़ें : मासूम बच्चों की पीड़ा का अंतरराष्ट्रीय दिवस आज, जानें उद्देश्य

इसमें आगे कहा गया कि अक्सर इस तरह की पेशकश को स्वीकर करने से पहले संबंधित संगठनों के नियमों के तहत सेवानिवृत्ति के बाद कुछ अवधि के लिये कोई पद नहीं लेने की व्यवस्था का पालन नहीं किया जाता.

आयोग के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद अनिवार्य रूप से कुछ समय के लिये कोई पद स्वीकार नहीं करने के नियम का पालन नहीं करना और पेशकश स्वीकार करना गंभीर कदाचार है.

आदेश में कहा गया कि सभी सरकारी संगठनों को अपने कर्मचारियों के लिए उचित नियम और दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारियों द्वारा सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद निजी क्षेत्र की संस्थाओं के किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाए. यानी सेवानिवृति के बाद उन्हें कुछ समय तक अनिवार्य रूप से शांत बैठना चाहिये उसके बाद ही वह कोई पेशकश स्वीकार करें.

(भाषा)

नई दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) (Central Vigilance Commission ) ने कहा कि केंद्र सरकार के सभी संगठनों को नौकरशाहों को सेवानिवृत्ति के बाद रोजगार देने से पहले सतर्कता विभाग से अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी चाहिए.

सीवीसी ने एक आदेश में कहा कि यदि किसी सेवानिवृत्त अधिकारी ने एक से अधिक संगठनों में काम किया है, तो उन सभी संगठनों से सतर्कता संबंधी मंजूरी प्राप्त की जानी चाहिए जहां अधिकारी ने पिछले 10 वर्षों में सेवा दी थी.

आयोग का यह परिपत्र केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, सार्वजनिक उपक्रमों, बैंकों और बीमा क्षेत्र के लिए अनिवार्य है.

सीवीसी ने केंद्र सरकार के सभी विभागों के सचिवों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों और सार्वजनिक उपक्रमों को जारी आदेश में कहा है, सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को नियुक्त करने से पहले उन संगठनों से सतर्कता संबंधी जानकारी प्राप्त करने के लिए कोई परिभाषित प्रक्रिया नहीं है, जहां ऐसे सेवानिवृत्त अधिकारियों ने सेवानिवृत्ति से पहले पूर्णकालिक आधार पर सेवाएं दी थी.

आयोग के अनुसार ऐसा देखा गया है कि सरकारी संगठनों द्वारा सेवानिवृत्त अधिकारियों को नियुक्त करने से पहले सतर्कता मंजूरी प्राप्त करने के लिए एक समान परिभाषित प्रक्रिया के अभाव में, कभी-कभी ऐसी स्थिति पैदा होती है जहां अपने कार्यकाल के दौरान गड़बड़ी में लिप्त रहे अथवा जिनके खिलाफ मामले लंबित हैं ऐसे अधिकारियों को सरकारी संगठनों में नियुक्त कर दिया जाता है.

सीवीसी ने कहा, ऐसी स्थिति न केवल अनावश्यक शिकायतों/पक्षपात के आरोपों को जन्म देती है, बल्कि निष्पक्षता और ईमानदारी के सिद्धांतों के खिलाफ भी है जो सरकारी संगठनों के कामकाज को संचालित करने वाला मूल सिद्धांत है.

आयोग ने कहा कि अखिल भारतीय सेवाओं से संबंधित सेवानिवृत्त अधिकारियों के संबंध में, केंद्र सरकार के समूह ए के अधिकारी या केंद्र सरकार के स्वामित्व वाले या नियंत्रित अन्य संगठनों में उनके समकक्ष अधिकारियों को अनुबंध/परामर्श आधारित रोजगार देने से पहले, उस नियोक्ता संगठन से सतर्कता मंजूरी अनिवार्य रूप से प्राप्त की जानी चाहिए जहां से सरकारी अधिकारी सेवानिवृत्त हुए हैं.

सीवीसी ने यह भी कहा है कि सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों को फिर से नौकरी की पेशकश पारदर्शी होनी चाहिए. इसके तहत उन लोगों को समान अवसर मिलना चाहिए, जो उस पद के लिये अपनी सेवा देने को तैयार हैं.

आयोग के आदेश में कहा गया है कि अनुबंध या परामर्श आधार पर भरे जाने वाले पद को संबंधित संगठन की वेबसाइट पर विज्ञापन के रूप में उचित स्थान पर डाला जाना चाहिए और सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध होना चाहिए.

सीवीसी ने कहा, यह देखा गया है कि कुछ मामलों में सरकारी संगठनों से सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सेवानिवृत्त अधिकारी निजी क्षेत्र के संगठनों में पूर्णकालिक नौकरी या संविदा पर काम कर रहे हैं.

पढ़ें : मासूम बच्चों की पीड़ा का अंतरराष्ट्रीय दिवस आज, जानें उद्देश्य

इसमें आगे कहा गया कि अक्सर इस तरह की पेशकश को स्वीकर करने से पहले संबंधित संगठनों के नियमों के तहत सेवानिवृत्ति के बाद कुछ अवधि के लिये कोई पद नहीं लेने की व्यवस्था का पालन नहीं किया जाता.

आयोग के अनुसार सरकारी कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति के बाद अनिवार्य रूप से कुछ समय के लिये कोई पद स्वीकार नहीं करने के नियम का पालन नहीं करना और पेशकश स्वीकार करना गंभीर कदाचार है.

आदेश में कहा गया कि सभी सरकारी संगठनों को अपने कर्मचारियों के लिए उचित नियम और दिशानिर्देश तैयार करने चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कर्मचारियों द्वारा सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद निजी क्षेत्र की संस्थाओं के किसी भी प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाए. यानी सेवानिवृति के बाद उन्हें कुछ समय तक अनिवार्य रूप से शांत बैठना चाहिये उसके बाद ही वह कोई पेशकश स्वीकार करें.

(भाषा)

Last Updated : Jun 4, 2021, 12:21 PM IST
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