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मध्य प्रदेश : श्मशान के बाहर पीपीई किट फेंकने पर स्थानीय लोगों ने किया अंतिम संस्कार का विरोध - खुले में अंतिम संस्कार का विरोध

प्रशासन ने हालात को देखते हुए शहर से दूर बेतवा नदीं के किनारे एक अस्थाई श्मशान घाट बनाया गया है. प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक यहां पूरी सूझबूझ के साथ कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है,लेकिन स्थानीय लोग इससे परेशान हैं और खुले में संक्रमितों की लाशें जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं.

अंतिम संस्कार का विरोध
अंतिम संस्कार का विरोध
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Published : Apr 25, 2021, 8:32 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों के बाद संक्रमित शव का अंतिम संस्कार करने के लिए शहर के निर्धारित श्मशान कम पड़ रहे हैं. प्रशासन ने हालात को देखते हुए शहर से दूर बेतवा नदीं के किनारे एक अस्थाई श्मशान घाट बनाया गया है. प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक यहां पूरी सूझबूझ के साथ कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

हालांकि, स्थानीय लोग इससे परेशान हैं और खुले में संक्रमितों की लाशें जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यहां भारी लापरवाही बरती जा रही है, लेकिन प्रशासन पूरी सूझबूझ से लाशों का अंतिम संस्कार करने का दावा कर रहा है.

मैदान में पड़ी है लाशें न मास्क न पीपीई किट

अस्थाई श्मशान घाट में यहां-वहां खुले में लाशें पड़ी हुई हैं. बगैर किसी गाइड लाइन का पालन किए लोग अंतिम संस्कार में शामिल हो रहे हैं. मृतक के परिजनों में से कईयों ने तो मास्क भी नहीं पहना है. हालांकि निगम के कर्मचारी पीपीई किट पहने नजर आए ,लेकिन परिजनों के लिए तो जैसे गाइड लाइन की कोई जरूरत ही नहीं थी. प्रशासनिक अमला अपनी देखरेख में अंतिम संस्कार कर रहा है, लेकिन सड़कों को गाइड लाइन को लेकर सख्ती दिखाने वाले पुलिसकर्मी यहां गाइड लाइन का पालन करने को लेकर चुप्पी साधे रहे.तो क्या कोरोना श्मशान में नहीं आता.

अंतिम संस्कार का विरोध

सवाल उठता है कि संक्रमितों के शवों को जलाते वक्त जरूरी गाइड लाइन का पालन न करने को लेकर बरती जा रही लापरवाही कितनों को और संक्रमित कर सकती है.और यह लापरवाही ऐसे समय में सामने आ रही है जब अकेले विदिशा में संक्रमितों का आंकड़ा रोजाना 200 से ऊपर आ रहा है.

स्थानीय लोग कर रहे हैं विरोध

विदिशा मेडिकल कॉलेज से भेजे जा रहे शवों का अंतिम संस्कार कर प्रशासन अपनी ड्यूटी तो पूरी कर रहा है, लेकिन स्थानीय भोरघाट के निवासियों को हो रही परेशानी से उसे कोई लेना देना ही नहीं है. पुलिस और प्रशासन से खुले में उनके घरों के पास ही लाशों को ना जलाए जाने की गुहार लगाकर थक चुके लोग अब विरोध पर उतर आए हैं.

शहर में कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ लेकिन यहां लोगों ने बीच सड़क पर बैठकर चक्काजाम कर दिया है. उनका कहना है कि उन लोगों को बदबू और धुएं से सांस लेने में तकलीफ हो रही है. उनके बच्चे डर के मारे सो नहीं पा रहे हैं. पूरे इलाके में शवों को जलाए जाने की इतनी बदबू फैली हुई है कि लोग अपने घरों में खाना तक नहीं खा पा रहे हैं. यहां आने वाले लोग पीपीई किट और अन्य सामग्री भी वहीं फेंक कर चले जाते हैं जिससे हम लोगों और हमारे बच्चों को संक्रमण का खतरा है.

प्रशासन का दावा सूझबूझ से किया जा रहा है अंतिम संस्कार

स्थानीय लोगों के चक्का जाम करने की जानकारी लगते ही पुलिस प्रशासन भारी -भरकम टीम के साथ वहां पहुंचा, लेकिन लोग बाग मानने को तैयार नहीं दिखे. जिसके बाद सख्ती दिखाते हुए लोगों को विरोध ना करने की सलाह दी गई. पुलिस और प्रशासन का दावा है कि लोगों को समझा दिया गया है और वे मान गए हैं. प्रशासन की तरफ से यह भी दावा किया जा रहा है कि यहां शवों के अंतिम संस्कार के दौरान पूरी सूझबूझ बरती जा रही है.

पढ़े - उत्तर प्रदेश में कोरोना का कहर, प्रियंका ने योगी सरकार पर साधा निशाना

कहीं...जान ना ले ले लापरवाही!

अस्थाई श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमित मृतक देह को जलाते वक्त लोग बिना पीपीई किट और बिना मास्क लगाए अंतिम संस्कार कर रहे हैं. डेड बॉडी के पास ही परिजन जमीन पर बैठकर शोक मना रहे हैं, बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद हैं. ऐसे में यह लापरवाही बड़ी संख्या में और भी दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकती है. प्रशासन के साथ ही मृतक के परिजनों को भी कोविड गाइड लाइन का पालन करने का ध्यान रखना चाहिए. सावधानी ना बरतने की स्थति में यह लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है.

भोपाल : मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में कोरोना संक्रमण से हो रही मौतों के बाद संक्रमित शव का अंतिम संस्कार करने के लिए शहर के निर्धारित श्मशान कम पड़ रहे हैं. प्रशासन ने हालात को देखते हुए शहर से दूर बेतवा नदीं के किनारे एक अस्थाई श्मशान घाट बनाया गया है. प्रशासनिक अधिकारियों के मुताबिक यहां पूरी सूझबूझ के साथ कोरोना गाइड लाइन का पालन करते हुए संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.

हालांकि, स्थानीय लोग इससे परेशान हैं और खुले में संक्रमितों की लाशें जलाए जाने का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि यहां भारी लापरवाही बरती जा रही है, लेकिन प्रशासन पूरी सूझबूझ से लाशों का अंतिम संस्कार करने का दावा कर रहा है.

मैदान में पड़ी है लाशें न मास्क न पीपीई किट

अस्थाई श्मशान घाट में यहां-वहां खुले में लाशें पड़ी हुई हैं. बगैर किसी गाइड लाइन का पालन किए लोग अंतिम संस्कार में शामिल हो रहे हैं. मृतक के परिजनों में से कईयों ने तो मास्क भी नहीं पहना है. हालांकि निगम के कर्मचारी पीपीई किट पहने नजर आए ,लेकिन परिजनों के लिए तो जैसे गाइड लाइन की कोई जरूरत ही नहीं थी. प्रशासनिक अमला अपनी देखरेख में अंतिम संस्कार कर रहा है, लेकिन सड़कों को गाइड लाइन को लेकर सख्ती दिखाने वाले पुलिसकर्मी यहां गाइड लाइन का पालन करने को लेकर चुप्पी साधे रहे.तो क्या कोरोना श्मशान में नहीं आता.

अंतिम संस्कार का विरोध

सवाल उठता है कि संक्रमितों के शवों को जलाते वक्त जरूरी गाइड लाइन का पालन न करने को लेकर बरती जा रही लापरवाही कितनों को और संक्रमित कर सकती है.और यह लापरवाही ऐसे समय में सामने आ रही है जब अकेले विदिशा में संक्रमितों का आंकड़ा रोजाना 200 से ऊपर आ रहा है.

स्थानीय लोग कर रहे हैं विरोध

विदिशा मेडिकल कॉलेज से भेजे जा रहे शवों का अंतिम संस्कार कर प्रशासन अपनी ड्यूटी तो पूरी कर रहा है, लेकिन स्थानीय भोरघाट के निवासियों को हो रही परेशानी से उसे कोई लेना देना ही नहीं है. पुलिस और प्रशासन से खुले में उनके घरों के पास ही लाशों को ना जलाए जाने की गुहार लगाकर थक चुके लोग अब विरोध पर उतर आए हैं.

शहर में कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ लेकिन यहां लोगों ने बीच सड़क पर बैठकर चक्काजाम कर दिया है. उनका कहना है कि उन लोगों को बदबू और धुएं से सांस लेने में तकलीफ हो रही है. उनके बच्चे डर के मारे सो नहीं पा रहे हैं. पूरे इलाके में शवों को जलाए जाने की इतनी बदबू फैली हुई है कि लोग अपने घरों में खाना तक नहीं खा पा रहे हैं. यहां आने वाले लोग पीपीई किट और अन्य सामग्री भी वहीं फेंक कर चले जाते हैं जिससे हम लोगों और हमारे बच्चों को संक्रमण का खतरा है.

प्रशासन का दावा सूझबूझ से किया जा रहा है अंतिम संस्कार

स्थानीय लोगों के चक्का जाम करने की जानकारी लगते ही पुलिस प्रशासन भारी -भरकम टीम के साथ वहां पहुंचा, लेकिन लोग बाग मानने को तैयार नहीं दिखे. जिसके बाद सख्ती दिखाते हुए लोगों को विरोध ना करने की सलाह दी गई. पुलिस और प्रशासन का दावा है कि लोगों को समझा दिया गया है और वे मान गए हैं. प्रशासन की तरफ से यह भी दावा किया जा रहा है कि यहां शवों के अंतिम संस्कार के दौरान पूरी सूझबूझ बरती जा रही है.

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कहीं...जान ना ले ले लापरवाही!

अस्थाई श्मशान घाट पर कोरोना संक्रमित मृतक देह को जलाते वक्त लोग बिना पीपीई किट और बिना मास्क लगाए अंतिम संस्कार कर रहे हैं. डेड बॉडी के पास ही परिजन जमीन पर बैठकर शोक मना रहे हैं, बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद हैं. ऐसे में यह लापरवाही बड़ी संख्या में और भी दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकती है. प्रशासन के साथ ही मृतक के परिजनों को भी कोविड गाइड लाइन का पालन करने का ध्यान रखना चाहिए. सावधानी ना बरतने की स्थति में यह लापरवाही जानलेवा भी साबित हो सकती है.

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