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संकट में साहित्य सबसे प्रासंगिक सवाल उठाता है, उचित जवाब लाता है : उपराष्ट्रपति

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Published : Aug 27, 2021, 11:02 PM IST

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि साहित्य मुश्किल वक्त में उम्मीदों और आशावाद से भरे नए अनुभवों के लिये मार्ग प्रशस्त करता है और सबसे प्रासंगिक सवाल उठाता है तथा उचित जवाब भी लाता है.

उपराष्ट्रपति
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नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने साहित्य के महत्व को रेखांकित किया है. उन्होंने कहा कि मुश्किल भरे समय में साहित्य से समाधान मिलता है. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के संदर्भ में कहा कि पिछले 17 महीनों में दुनिया ने पीढ़ियों में सबसे मुश्किल भरा वक्त देखा है.

उन्होंने डिजिटल माध्यम से 'टाइम्स लिट फेस्ट 2021' के उद्घाटन के अवसर पर कहा, 'इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं हो सकती कि कोविड-19 महामारी ने हम सभी को व्यक्तिगत स्तर पर छुआ है. जिन लोगों की हम परवाह करते हैं, वो पीड़ित हुए और जिस चीज को हमने ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया वह बिखर गई. महामारी ने जीवन को झकझोर दिया.'

नायडू ने कहा कि संकट के समय वह साहित्य ही है जो सबसे प्रासंगिक सवाल उठाता है और सबसे उचित जवाब भी लेकर आता है. उन्होंने कहा, 'साहित्यिक हस्तियां, अपने काम के जरिये कई तरीकों से हमारी कल्पना को प्रभावित करती हैं- अन्य चीजों के अलावा रचनात्मक लेखकों के तौर पर, नैतिकतावादियों, मार्गदर्शकों और दार्शनिक के रूप में भी.' उनके मुताबिक साहित्यिक पंक्तियां ऐसे काल्पनिक परिदृश्य, स्थान, घटनाएं और अनुभव उपलब्ध कराती हैं, जिनमें हम खो जाते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी ने काम पर जाने की धारणा को ही बदल दिया है.

उन्होंने कहा, 'इसका परिणाम यह हुआ कि परिस्थितियों ने हमें एक तरह से अलग-थलग कर दिया, हमें रोजमर्रा के कामकाज के माहौल से काट दिया. दुर्भाग्य से यह दैनिक जीवन के सबसे अस्वस्थ आयामों में से एक है, जो आज मानसिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञों के लिये भी चिंता का विषय है.'

यह भी पढ़ें- संसद में हंगामे पर छलका नायडू का दर्द, कहा- असहाय होते जा रहे हैं

उनके मुताबिक, अन्य लोगों के साथ प्रत्यक्ष निकटता के साथ काम करने में जो सहज सहानुभूति होती है, वह शायद काम के इस नए नजरिये से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है.

नायडू ने कहा, 'साहित्य उत्सव का एक अंतर्निहित उद्देश्य हम सभी को अनुकूल परिवेश में फिर से जुड़ने का अवसर प्रदान करना है. मनुष्य, प्राकृतिक तौर पर सामाजिक परिवेश में अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर होता है. साहित्य उत्सव हमें न सिर्फ लेखकों को उनके विचारों का विस्तार और उत्प्रेरित करने का मौका देता है, बल्कि पाठकों को उनकी प्रतिक्रिया सुस्पष्ट करने का भी अवसर देता है.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने साहित्य के महत्व को रेखांकित किया है. उन्होंने कहा कि मुश्किल भरे समय में साहित्य से समाधान मिलता है. उन्होंने कोरोना वायरस महामारी के संदर्भ में कहा कि पिछले 17 महीनों में दुनिया ने पीढ़ियों में सबसे मुश्किल भरा वक्त देखा है.

उन्होंने डिजिटल माध्यम से 'टाइम्स लिट फेस्ट 2021' के उद्घाटन के अवसर पर कहा, 'इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं हो सकती कि कोविड-19 महामारी ने हम सभी को व्यक्तिगत स्तर पर छुआ है. जिन लोगों की हम परवाह करते हैं, वो पीड़ित हुए और जिस चीज को हमने ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया वह बिखर गई. महामारी ने जीवन को झकझोर दिया.'

नायडू ने कहा कि संकट के समय वह साहित्य ही है जो सबसे प्रासंगिक सवाल उठाता है और सबसे उचित जवाब भी लेकर आता है. उन्होंने कहा, 'साहित्यिक हस्तियां, अपने काम के जरिये कई तरीकों से हमारी कल्पना को प्रभावित करती हैं- अन्य चीजों के अलावा रचनात्मक लेखकों के तौर पर, नैतिकतावादियों, मार्गदर्शकों और दार्शनिक के रूप में भी.' उनके मुताबिक साहित्यिक पंक्तियां ऐसे काल्पनिक परिदृश्य, स्थान, घटनाएं और अनुभव उपलब्ध कराती हैं, जिनमें हम खो जाते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि महामारी ने काम पर जाने की धारणा को ही बदल दिया है.

उन्होंने कहा, 'इसका परिणाम यह हुआ कि परिस्थितियों ने हमें एक तरह से अलग-थलग कर दिया, हमें रोजमर्रा के कामकाज के माहौल से काट दिया. दुर्भाग्य से यह दैनिक जीवन के सबसे अस्वस्थ आयामों में से एक है, जो आज मानसिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञों के लिये भी चिंता का विषय है.'

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उनके मुताबिक, अन्य लोगों के साथ प्रत्यक्ष निकटता के साथ काम करने में जो सहज सहानुभूति होती है, वह शायद काम के इस नए नजरिये से गंभीर रूप से प्रभावित हुई है.

नायडू ने कहा, 'साहित्य उत्सव का एक अंतर्निहित उद्देश्य हम सभी को अनुकूल परिवेश में फिर से जुड़ने का अवसर प्रदान करना है. मनुष्य, प्राकृतिक तौर पर सामाजिक परिवेश में अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर होता है. साहित्य उत्सव हमें न सिर्फ लेखकों को उनके विचारों का विस्तार और उत्प्रेरित करने का मौका देता है, बल्कि पाठकों को उनकी प्रतिक्रिया सुस्पष्ट करने का भी अवसर देता है.'

(पीटीआई-भाषा)

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