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Rajasthan : वायु सेना मेडल विवाद में पूर्व फायर फाइटर सार्जेंट ने दिल्ली हाईकोर्ट का खटखटाया दरवाजा, अदालत ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस

वायु सेना मेडल विवाद में राजस्थान के जोधपुर जिले के निवासी भारतीय वायु सेना के पूर्व फायर फाइटर सार्जेंट घनश्याम सिंह ने अब दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. अदालत ने याचिका पर केंद्र सरकार सहित अन्य को नोटिस जारी किया है.

Indian Air Force Medal Controversy
Indian Air Force Medal Controversy
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 6:51 PM IST

जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर निवासी भारतीय वायु सेना के पूर्व फायर फाइटर सार्जेंट घनश्याम सिंह अपने साथ हुई नाइंसाफी को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. वायुसेना में हर स्तर पर गुहार लगाने के बाद भी इंसाफ नहीं होने पर अब वायु सेना से रिटायर्ड सार्जेंट अपनी लड़ाई दिल्ली हाईकोर्ट ले गए हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा और मनोज जैन की अदालत ने केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर रिस्पॉन्डेड मामले में छह सप्ताह में शपथ पत्र पेश करने को कहा है. साथ ही आगरा एयरबेस पर 6 नवंबर 2021 को हुई दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का रिकॉर्ड भी कोर्ट ने तलब किया है. मामले की सुनवाई 7 नवंबर को होगी.

एएफटी ने याचिका की खारिज : 6 नवंबर 2021 को आगरा एयरबेस पर हुए हादसे में अपनी जान पर खेलकर पायलट की जान बचाने का काम सार्जेंट ने किया था, लेकिन इसका क्रेडिट पायलट रविंद्र को दिया गया और उन्हें राष्ट्रपति पदक मिला. घनश्याम सिंह का दावा है कि एयरफोर्स में आरटीआई से कई दस्तावेज निकाले, जिसमें इस सम्मान के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई थी. इसको लेकर उन्होंने एयर फोर्स ट्रिब्यूनल में याचिका पेश कर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के दस्तावेज मांगे, लेकिन एएफटी ने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई, जिसपर 29 अगस्त को कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. बता दें कि घनश्याम सिंह ने गत वर्ष वायुसेना से रिटायरमेंट ले लिया है.

पढे़ं. वायुसेना मेडल विवाद: वीर सार्जेंट को दरकिनार कर फ्लाइट लेफ्टिनेंट को अवॉर्ड

वायुसेना दिवस का सम्मान ठुकराया : घनश्याम सिंह ने दावा किया है कि एक सैनिक का सम्मान किसी और अधिकारी को दे दिया जाता है. उसके बाद उसे छुपाने के लिए उन्हें एयरफोर्स डे पर दूसरा सम्मान CAS देने की बात कही, जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने बताया कि आरटीआई से इस बात का खुलासा हो गया है कि आगरा एयर फोर्स स्टेशन से उनका ही नाम गया था, लेकिन ऊपर से नाम बदला गया. इसको लेकर जानकारी मांगी, लेकिन उसका जवाब नहीं मिल रहा है. किसकी अभिसंशा पर फ्लाइट लेफ्टिनेंट को मेडल दिया गया, यह नहीं बताया जा रहा है.

यह है मामला : 6 नवंबर 2021 को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे आगरा बेस पर जगुआर विमान लैंड हो रहे थे. दो विमान सुरक्षित उतर चुके थे, जबकि तीसरा रन-वे पर उतरते ही पलट गया और उसमें आग लग गई. उस समय घनश्याम सिंह आगरा बेस पर सुबह की शिफ्ट में रेस्क्यू-1 में क्रैश फायर टेंडर पर तैनात थे. हादसा देखते ही उन्होंने एटीसी से परमिशन लेकर रनवे पर प्रवेश किया. उनकी गाड़ियां 120 किमी की स्पीड से दौड़ रही थीं. वह तुरंत प्लेन के पास पहुंचे और फोम डालना शुरू किया.

घनश्याम सिंह के मुताबिक पहले उन्हें लगा कि पायलट बाहर निकल गया है, लेकिन तभी कॉकपिट में कुछ हलचल दिखी तो उन्होंने फोम स्प्रे रुकवाया और नजदीक गए तो पायलट उलटा लटके हुए थे. घायल अवस्था में पायलट इजेक्शन सीट से बंधे हुए थे. घनश्याम सिंह ने बताया कि वह रेंगकर पायलट के पास पहुंचे और उन्हें भरोसा दिलाया. इतने में पायलट ने बताया कि कहा कि कुछ गर्म पदार्थ उनपर गिर रहा है. इसपर उन्होंने गर्म पानी का छिड़काव रुकवाया और पायलट को बाहर निकालने के लिए प्रयास शुरू किए. इस दौरान ही फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रविंद्र आए, उन्होंने प्रयास किए लेकिन हालात देखने के बाद वे चले गए. सार्जेंट ने खुद पायलट को निकल कर बचाया था.

जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर निवासी भारतीय वायु सेना के पूर्व फायर फाइटर सार्जेंट घनश्याम सिंह अपने साथ हुई नाइंसाफी को लेकर संघर्ष कर रहे हैं. वायुसेना में हर स्तर पर गुहार लगाने के बाद भी इंसाफ नहीं होने पर अब वायु सेना से रिटायर्ड सार्जेंट अपनी लड़ाई दिल्ली हाईकोर्ट ले गए हैं. दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस संजीव सचदेवा और मनोज जैन की अदालत ने केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर रिस्पॉन्डेड मामले में छह सप्ताह में शपथ पत्र पेश करने को कहा है. साथ ही आगरा एयरबेस पर 6 नवंबर 2021 को हुई दुर्घटना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का रिकॉर्ड भी कोर्ट ने तलब किया है. मामले की सुनवाई 7 नवंबर को होगी.

एएफटी ने याचिका की खारिज : 6 नवंबर 2021 को आगरा एयरबेस पर हुए हादसे में अपनी जान पर खेलकर पायलट की जान बचाने का काम सार्जेंट ने किया था, लेकिन इसका क्रेडिट पायलट रविंद्र को दिया गया और उन्हें राष्ट्रपति पदक मिला. घनश्याम सिंह का दावा है कि एयरफोर्स में आरटीआई से कई दस्तावेज निकाले, जिसमें इस सम्मान के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई थी. इसको लेकर उन्होंने एयर फोर्स ट्रिब्यूनल में याचिका पेश कर कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के दस्तावेज मांगे, लेकिन एएफटी ने याचिका खारिज कर दी. इसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई, जिसपर 29 अगस्त को कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. बता दें कि घनश्याम सिंह ने गत वर्ष वायुसेना से रिटायरमेंट ले लिया है.

पढे़ं. वायुसेना मेडल विवाद: वीर सार्जेंट को दरकिनार कर फ्लाइट लेफ्टिनेंट को अवॉर्ड

वायुसेना दिवस का सम्मान ठुकराया : घनश्याम सिंह ने दावा किया है कि एक सैनिक का सम्मान किसी और अधिकारी को दे दिया जाता है. उसके बाद उसे छुपाने के लिए उन्हें एयरफोर्स डे पर दूसरा सम्मान CAS देने की बात कही, जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया. उन्होंने बताया कि आरटीआई से इस बात का खुलासा हो गया है कि आगरा एयर फोर्स स्टेशन से उनका ही नाम गया था, लेकिन ऊपर से नाम बदला गया. इसको लेकर जानकारी मांगी, लेकिन उसका जवाब नहीं मिल रहा है. किसकी अभिसंशा पर फ्लाइट लेफ्टिनेंट को मेडल दिया गया, यह नहीं बताया जा रहा है.

यह है मामला : 6 नवंबर 2021 को दोपहर करीब साढ़े 12 बजे आगरा बेस पर जगुआर विमान लैंड हो रहे थे. दो विमान सुरक्षित उतर चुके थे, जबकि तीसरा रन-वे पर उतरते ही पलट गया और उसमें आग लग गई. उस समय घनश्याम सिंह आगरा बेस पर सुबह की शिफ्ट में रेस्क्यू-1 में क्रैश फायर टेंडर पर तैनात थे. हादसा देखते ही उन्होंने एटीसी से परमिशन लेकर रनवे पर प्रवेश किया. उनकी गाड़ियां 120 किमी की स्पीड से दौड़ रही थीं. वह तुरंत प्लेन के पास पहुंचे और फोम डालना शुरू किया.

घनश्याम सिंह के मुताबिक पहले उन्हें लगा कि पायलट बाहर निकल गया है, लेकिन तभी कॉकपिट में कुछ हलचल दिखी तो उन्होंने फोम स्प्रे रुकवाया और नजदीक गए तो पायलट उलटा लटके हुए थे. घायल अवस्था में पायलट इजेक्शन सीट से बंधे हुए थे. घनश्याम सिंह ने बताया कि वह रेंगकर पायलट के पास पहुंचे और उन्हें भरोसा दिलाया. इतने में पायलट ने बताया कि कहा कि कुछ गर्म पदार्थ उनपर गिर रहा है. इसपर उन्होंने गर्म पानी का छिड़काव रुकवाया और पायलट को बाहर निकालने के लिए प्रयास शुरू किए. इस दौरान ही फ्लाइट लेफ्टिनेंट डी रविंद्र आए, उन्होंने प्रयास किए लेकिन हालात देखने के बाद वे चले गए. सार्जेंट ने खुद पायलट को निकल कर बचाया था.

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