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एल्गार मामला : वरवर राव को कोर्ट ने दी राहत, नहीं करेंगे आत्मसमर्पण

एल्गार मामले में आरोपों का सामना कर रहे वरवर राव को हाईकोर्ट ने राहत दी है. उन्हें 28 अक्टूबर तक सरेंडर करने की जरूरत नहीं है. वह अभी जामनत पर हैं. वह मुंबई में किराए के मकान में रह रहे हैं.

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वरवर राव
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Published : Oct 14, 2021, 7:40 PM IST

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कवि-कार्यकर्ता वरवर राव को 28 अक्टूबर तक तलोजा जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है. न्यायमूर्ति नितिन जमादार और एस वी कोतवाल की पीठ ने राव को आत्मसमर्पण के लिए दी गई अवधि 28 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी और कहा अदालत आगे की सुनवाई 26 अक्टूबर को करेगी.

पीठ ने यह भी कहा कि उन्हें दी गई जमानत की अवधि बढ़ाने पर 26 अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी. राव (82) को उच्च न्यायालय ने इस साल 22 फरवरी को मेडिकल आधार पर छह महीने के लिए जमानत दी थी. उन्हें पांच सितंबर को आत्मसमर्पण करना था और न्यायिक हिरासत में लौटना था.

हालांकि, राव ने अपने अधिवक्ता आर सत्यनारायण और वकील आनंद ग्रोवर के मार्फत पिछले महीने एक अर्जी देकर जमानत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था. राव ने जमानत पर जेल से बाहर रहने के दौरान अपने गृह नगर हैदराबाद में ठहरने की अनुमति भी मांगी थी.

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले की जांच कर रहा है. एनआईए ने मेडिकल जमानत बढ़ाने की राव की याचिका और हैदराबाद जाने देने के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि उनकी मेडिकल रिपोर्ट इस बारे में संकेत नहीं देती है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी है. उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित जमानत की कठोरतम शर्तों के तहत राव मुंबई में अपनी पत्नी के साथ किराये के एक मकान में रह रहे हैं.

मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कवि-कार्यकर्ता वरवर राव को 28 अक्टूबर तक तलोजा जेल अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने की जरूरत नहीं है. न्यायमूर्ति नितिन जमादार और एस वी कोतवाल की पीठ ने राव को आत्मसमर्पण के लिए दी गई अवधि 28 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी और कहा अदालत आगे की सुनवाई 26 अक्टूबर को करेगी.

पीठ ने यह भी कहा कि उन्हें दी गई जमानत की अवधि बढ़ाने पर 26 अक्टूबर को सुनवाई की जाएगी. राव (82) को उच्च न्यायालय ने इस साल 22 फरवरी को मेडिकल आधार पर छह महीने के लिए जमानत दी थी. उन्हें पांच सितंबर को आत्मसमर्पण करना था और न्यायिक हिरासत में लौटना था.

हालांकि, राव ने अपने अधिवक्ता आर सत्यनारायण और वकील आनंद ग्रोवर के मार्फत पिछले महीने एक अर्जी देकर जमानत की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया था. राव ने जमानत पर जेल से बाहर रहने के दौरान अपने गृह नगर हैदराबाद में ठहरने की अनुमति भी मांगी थी.

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले की जांच कर रहा है. एनआईए ने मेडिकल जमानत बढ़ाने की राव की याचिका और हैदराबाद जाने देने के अनुरोध का विरोध करते हुए कहा कि उनकी मेडिकल रिपोर्ट इस बारे में संकेत नहीं देती है कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी है. उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित जमानत की कठोरतम शर्तों के तहत राव मुंबई में अपनी पत्नी के साथ किराये के एक मकान में रह रहे हैं.

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