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देश भर से 11 लाख शिवलिंग एकत्रित कर काशी में होगी पूजा, जानिए इसका महत्व

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Published : Jul 30, 2023, 8:53 AM IST

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आह्वान पर एक अफियान की शुरुआत हुई है. इसमें देश के कोने-कोने से 11 लाख शिवलिंग एकत्र किए जाएंगे. इसके बाद इनकी वाराणसी में एक परिसर में स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाएगी.

प्रयागराज
प्रयागराज
देश भर से 11 लाख शिवलिंग एकत्रित कर काशी में होगी पूजा

प्रयागराज: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिली शिवलिंगनुमा आकृति की पूजा न होने को लेकर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आह्वान पर एक अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत देश भर के हर गांव, मोहल्लों से 11 लाख शिवलिंग इकट्ठे किए जाएंगे. इसके बाद उन शिवलिंगों को बाबा भोलेनाथ की नगरी कही जाने वाली वाराणसी के लंका स्थित एक परिसर में स्थापित करने की योजना है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इन शिवलिंग को आदि विश्वेश्वर महादेव के रूप में पूजा की जाएगी.

शंकराचार्य स्वरूपानंद के बाद उनकी गद्दी संभालने वाले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद नंद के निर्देश पर उनके मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज आदि विश्वेश्वर की डोली रथ यात्रा को लेकर देश भर में जाएंगे. उन्हें यात्रा का राष्ट्रीय प्रभारी भी बनाया गया है. इस यात्रा को आदि विश्वेश्वर की डोली रथ यात्रा का नाम दिया गया है. 22 जुलाई को प्रतापगढ़ की पट्टी तहसील से इस अभियान की शुरुआत की गई है. आदि विश्वेश्वर डोली रथ यात्रा शनिवार को प्रयागराज पहुंची. जहां पर मीडिया से बात करते हुए यात्रा के राष्ट्रीय प्रभारी ने पूरी जानकारी दी.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगीराज ने बताया कि यात्रा का लक्ष्य पूरे देश में वजूखाने से मिले आदि विश्वेश्वर के उस शिवलिंग के प्रति लोगों को जागरूक करना है, जिससे कि उनकी पूजा-पाठ, भोग, आरती शुरू हो सके. शंकराचार्य ने करीब एक वर्ष पूर्व शिवलिंग के मिलने के बाद ही पूजा की मांग की थी. लेकिन, उनकी मांग के बावजूद अब तक यह शुरू नहीं हो सका है. क्योंकि, मामला कोर्ट में विचाराधीन है. यह यात्रा देश के सभी गांवों और शहरों में पहुंचेगी, जहां से शिवलिंग को एकत्रित किया जाएगा.

यह शिवलिंग नर्मदा नदी से मिलने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग होंगे. पहले इन शिवलिंगों को देश भर में अलग-अलग स्थानों पर इकट्ठा किया जाएगा. जहां पर उनका पूजा-पाठ किया जाएगा. इसके बाद उन्हें वाराणसी के लंका स्थित एक परिसर में ले जाया जाएगा. जहां उन्हें शिवलिंग की शक्ल में रखा जाएगा. इन शिवलिंगों की तब तक पूजा की जाएगी, जब तक ज्ञानवापी परिसर से मिले शिवलिंग की पूजा शुरू न हो जाए. इन शिवलिंगों को रखने के लिए आर्किटेक्ट की मदद से विशेष भवन तैयार किया जा रहा है. साथ ही शिवलिंग की पूजा पाठ के लिए बड़ी संख्या में पंडितों का भी इंतजाम किया जा रहा है.

यह भी पढ़ें: हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है सेठ मोहन अग्रवाल का परिवार, 1963 से बना रहा ताजिया

देश भर से 11 लाख शिवलिंग एकत्रित कर काशी में होगी पूजा

प्रयागराज: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिली शिवलिंगनुमा आकृति की पूजा न होने को लेकर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के आह्वान पर एक अभियान शुरू किया गया है. इस अभियान के तहत देश भर के हर गांव, मोहल्लों से 11 लाख शिवलिंग इकट्ठे किए जाएंगे. इसके बाद उन शिवलिंगों को बाबा भोलेनाथ की नगरी कही जाने वाली वाराणसी के लंका स्थित एक परिसर में स्थापित करने की योजना है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि इन शिवलिंग को आदि विश्वेश्वर महादेव के रूप में पूजा की जाएगी.

शंकराचार्य स्वरूपानंद के बाद उनकी गद्दी संभालने वाले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद नंद के निर्देश पर उनके मीडिया प्रभारी शैलेन्द्र योगिराज आदि विश्वेश्वर की डोली रथ यात्रा को लेकर देश भर में जाएंगे. उन्हें यात्रा का राष्ट्रीय प्रभारी भी बनाया गया है. इस यात्रा को आदि विश्वेश्वर की डोली रथ यात्रा का नाम दिया गया है. 22 जुलाई को प्रतापगढ़ की पट्टी तहसील से इस अभियान की शुरुआत की गई है. आदि विश्वेश्वर डोली रथ यात्रा शनिवार को प्रयागराज पहुंची. जहां पर मीडिया से बात करते हुए यात्रा के राष्ट्रीय प्रभारी ने पूरी जानकारी दी.

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के मीडिया प्रभारी शैलेंद्र योगीराज ने बताया कि यात्रा का लक्ष्य पूरे देश में वजूखाने से मिले आदि विश्वेश्वर के उस शिवलिंग के प्रति लोगों को जागरूक करना है, जिससे कि उनकी पूजा-पाठ, भोग, आरती शुरू हो सके. शंकराचार्य ने करीब एक वर्ष पूर्व शिवलिंग के मिलने के बाद ही पूजा की मांग की थी. लेकिन, उनकी मांग के बावजूद अब तक यह शुरू नहीं हो सका है. क्योंकि, मामला कोर्ट में विचाराधीन है. यह यात्रा देश के सभी गांवों और शहरों में पहुंचेगी, जहां से शिवलिंग को एकत्रित किया जाएगा.

यह शिवलिंग नर्मदा नदी से मिलने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग होंगे. पहले इन शिवलिंगों को देश भर में अलग-अलग स्थानों पर इकट्ठा किया जाएगा. जहां पर उनका पूजा-पाठ किया जाएगा. इसके बाद उन्हें वाराणसी के लंका स्थित एक परिसर में ले जाया जाएगा. जहां उन्हें शिवलिंग की शक्ल में रखा जाएगा. इन शिवलिंगों की तब तक पूजा की जाएगी, जब तक ज्ञानवापी परिसर से मिले शिवलिंग की पूजा शुरू न हो जाए. इन शिवलिंगों को रखने के लिए आर्किटेक्ट की मदद से विशेष भवन तैयार किया जा रहा है. साथ ही शिवलिंग की पूजा पाठ के लिए बड़ी संख्या में पंडितों का भी इंतजाम किया जा रहा है.

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