वाराणसी: कहते हैं चमत्कार को नमस्कार है. लेकिन, कई चमत्कार ऐसे होते हैं, जिन्हें देखकर आंखों पर विश्वास ही नहीं होता. ऐसा ही चमत्कार धर्म नगरी वाराणसी में देखने को मिलता है. यहां जबरदस्त बारिश के बीच गंगा घाट पर होने वाली नियमित गंगा आरती कभी भी प्रभावित नहीं होती है. यह अपने आप में बड़ी बात है कि जबरदस्त बारिश जारी रहती है और गंगा आरती भी अपने पूरे रुतबे के साथ पूरी की जाती है. ऐसा ही नजारा शुक्रवार को देखने को मिला. जब जबरदस्त बारिश हो रही थी और गंगा आरती भी पूरी की जा रही थी.
दरअसल, वाराणसी में यह प्रचलित है कि यहां बारिश का असर मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर जलती चिताओं के ऊपर नहीं होता. यहां भोलेनाथ का आशीर्वाद है और अग्नि देव भयानक से भयानक बारिश पर भी उसी तेजी से मौजूद रहते हैं. जिस तेजी से वह आम दिनों में यहां पर स्थापित होते हैं. ऐसा ही नजारा काशी की उस गंगा आरती में भी देखने को मिलता है, जो अब पूरे विश्व में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी है.
काशी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा सेवा निधि की नियमित गंगा आरती देखने के लिए वीवीआईपी से लेकर आम लोग देश-दुनिया के कोने-कोने से पहुंचते हैं. शुक्रवार शाम को बिगड़े मौसम के बीच अचानक से शुरू हुई जबरदस्त बारिश और हवा ने लोगों के मूड को ऑफ कर दिया था. क्योंकि, दूर-दूर से आने वाले लोगों को यह उम्मीद नहीं थी कि इतनी बारिश के बाद भी गंगा आरती अपने पुराने तरीके से ही जारी रहेगी.
दशाश्वमेध घाट पर शाम को गंगा आरती शुरू होने से पहले तेज बारिश अचानक से आ गई. इस दौरान वहां मौजूद लोग सुरक्षित स्थान की तरफ भागे. लेकिन, कुछ ही देर बाद घंटे घड़ियाल की आवाज शुरू हुई और लोगों को गंगा आरती शुरू होने का अंदाजा लग गया. इसके बाद बरसते पानी के बीच लोग गंगा आरती देखने के लिए वहां इकट्ठा होने लगे और गंगा आरती भी अपने नियमित तरीके से शुरू हो गई. पहले धूनी आरती, फिर रुई की बत्तियों की आरती और फिर कपूर की आरती संपन्न होने के साथ ही मां गंगा का विधिवत पूजन-अर्चन भी हुआ. यह अपने आप में अनूठा और चमत्कार जैसा ही है कि तेज बारिश के बीच भी अग्निदेव उसी तरह आरती में प्रकट हुए जिस तरह आम दिनों में रहते हैं. आरती जारी रही, उस पर कोई असर भी नहीं पड़ा.
यह भी पढ़ें: यूपी की जेलों में गूंजेगा गीता का सार, हनुमान चालीसा और रामचरितमानस की चौपाइयों से बदलेंगे कैदियों के विचार