नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी अंबेडकर के प्रबल अनुयायी थे. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वाजपेयी ने 2001 में लाल किला से अपने भाषण के दौरान कहा था कि भाजपा मनुस्मृति की तर्ज पर काम नहीं करती है, बल्कि भीमस्मृति पर, यही भारतीय संविधान है.
शुक्रवार को नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय में 'श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन और विरासत' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि वाजपेयी एक सच्चे विश्वव्यापी नेता थे. वह जानते थे कि लोगों का दिल कैसे जीता जाता है. उन्होंने उनकी (अटल बिहारी वाजपेयी) सादगी, गरिमा, शांति और हास्य के लिए प्रशंसा की. पूर्व राष्ट्रपति ने आगे कहा, 'अटल जी ने हमेशा देश को राजनीति से ऊपर रखा.
वह एक राजनेता, कवि और निडर इंसान थे, जिनका कोई दुश्मन नहीं था. यहां तक कि विपक्ष के लोग भी उनकी सलाह को मानते थे. वह संयुक्त राष्ट्र महासभा में 'हिंदी' बोलने वाले पहले भारतीय थे. उनके लिए देश हमेशा पहले आता था.' पूर्व राष्ट्रपति ने पीएम मोदी सरकार की सराहना करते हुए कहा, 'वर्तमान सरकार अपने प्रभावी शासन के साथ अटल बिहारी के सपने और दृष्टि को पूरा कर रही है.
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), मुद्रा, जन धन और अन्य मौजूदा योजनाएं दिवंगत प्रधानमंत्री की दृष्टि हैं. अटल बिहारी वाजपेयी और पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार उसी दिशा में काम कर रही है. 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर पूर्व राष्ट्रपति ने अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि भारत एक बड़ा और विविधतापूर्ण देश है और हमेशा चुनावी मोड में रहता है.
इसलिए मुझे लगता है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' समय की मांग है क्योंकि इस लगातार चुनाव मोड के कारण बड़ी मात्रा में संसाधन बर्बाद हो जाते हैं और आगे की समस्याएं पैदा होती हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने सुना है कि विधि आयोग ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर विचार मांगा है. यहां तक कि अटल जी ने भी इसका समर्थन किया था.
हर बार जब चुनाव होता है, आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) लागू होती है. चुनाव आचार संहिता लागू करने में संसाधनों की बर्बादी होती है और कई अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं.' पूर्व राष्ट्रपति ने कहा, 'जब मैं बिहार का राज्यपाल था, तब मैंने इस मुद्दे को तत्कालीन राष्ट्रपति और पीएम मोदी के सामने उठाया था. यहां तक कि वाजपेयी जी ने भी इसका समर्थन किया था.'