नई दिल्ली : भारत को सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जल्द ही स्वदेशी वैक्सीन मिलने वाली है. इसका नाम 'क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस वैक्सीन (qHPV)' है. इसे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी (DBT) ने मिलकर बनाया है. भारतीय फॉर्मा रेगुलेटर DCGI ने पिछले महीने एसआईआई को सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन बनाने की इजाजत दे दी थी. भारत में सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाओं में दूसरा सर्वाधिक संख्या में पाया जाने वाला कैंसर है. अब इस बीमारी से लड़ने की वैक्सीन देश में आ गई है, जो महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकती है. भारत में अभी सर्वाइकल कैंसर की विदेशी वैक्सीन उपलब्ध हैं, लेकिन इसकी कीमत चार हजार रुपये तक है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के सीईओ अदार पूनावाला ने गुरुवार को बताया कि देश में सर्वाइकल कैंसर का टीका कुछ महीनों में उपलब्ध हो जाएगा. यह टीका पहले भारत में उपलब्ध कराया जाएगा और बाद में अन्य देशों को दिया जाएगा. इसकी कीमत 200-400 रुपये के बीच हो सकती है. अभी टीके की कीमत तय नहीं की गई हैं. दो साल में 20 करोड़ डोज बनाने का लक्ष्य है. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह टीकों की वैज्ञानिक प्रक्रिया पूरी होने की घोषणा के लिए आयोजित समारोह में शामिल हुए. केंद्रीय मंत्री सिंह ने कहा कि भारत सर्वाइकल कैंसर के लिए स्वदेशी रूप से विकसित पहला टीका लेकर आया है, जो कम उम्र की महिलाओं में प्रचलित है. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद. इस वैक्सीन के दाम काफी किफायती होंगे. जल्द ही टीके की कीमत तय की जाएगी.
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Delhi | The vaccine for cervical cancer will be available in a few months. Will give it to our country first & later to the world. May be priced between Rs 200-400 but prices yet to be finalized. Preparing to make 200 million doses in 2 years: Serum Institute CEO, Adar Poonawalla pic.twitter.com/g4JXfwWNV9
— ANI (@ANI) September 1, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) September 1, 2022Delhi | The vaccine for cervical cancer will be available in a few months. Will give it to our country first & later to the world. May be priced between Rs 200-400 but prices yet to be finalized. Preparing to make 200 million doses in 2 years: Serum Institute CEO, Adar Poonawalla pic.twitter.com/g4JXfwWNV9
— ANI (@ANI) September 1, 2022
वैज्ञानिक प्रक्रिया पूरी होने का अर्थ है कि टीके से संबंधित अनुसंधान एवं विकास कार्य पूरा हो चुका है और अब अगला चरण उसे आमजन के लिए उपलब्ध कराना है. सिंह ने समारोह में कहा कि कोविड ने स्वास्थ्य देखभाल को लेकर जागरूकता बढ़ाई है जिसके कारण गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर जैसी बीमारियों के टीके विकसित किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने हमें निवारक स्वास्थ्यसेवा के बारे में सोचने पर मजबूर किया और अब हम इसे वहन कर सकते हैं. जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने इस मामले में अग्रणी भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक प्रयासों को कभी-कभी वह पहचान नहीं मिल पाती जिसके वे हकदार होते हैं. यह समारोह वैज्ञानिक प्रक्रिया के पूरा होने का जश्न मनाने के लिए आयोजित किया गया.
जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव राजेश गोखले ने कहा कि इस टीके को विकसित करने की प्रक्रिया में देश भर में 2,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने भाग लिया. उन्होंने कहा कि इस तरह के अनुसंधान में निजी-सार्वजनिक साझेदारी बहुत महत्वपूर्ण होती जा रही है, यह सह-निर्माण दुनिया में बदलाव लाने वाला है. वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की महानिदेशक डॉ एन कलैसेल्वी ने कहा कि यह इस क्षेत्र में पहला अहम कदम एवं अनुसंधान है और यह आगे भी जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने इस प्रकार के नवोन्मेष के लिए अत्यधिक सावधानी बरती है, ताकि हम आत्मनिर्भर बन पाए.
गौरतलब है कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में सर्विक्स के सेल्स (कोशिकाओं) को इफेक्ट करता है. सभी महिलाओं में इसका खतरा रहता है. सर्वाइकल कैंसर भारत में दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. सर्विक्स यूट्रस के निचले भाग का हिस्सा है, यह वजाइना से ही जुड़ा होता है. कैंसर इस हिस्से के सेल्स को इफेक्ट करता है. सर्वाइकल कैंसर के ज्यादातर मामले ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के अलग-अलग तरह की स्ट्रेन्स की वजह से होते हैं. HPV एक आम यौन रोग है, जो जननांग में मस्से के रूप में दिखता है. फिर धीरे-धीरे यह सर्वाइकल सेल्स को कैंसर सेल्स में बदल देता है. भारत में 15-44 साल की महिलाओं में ये बीमारी आम है. 30 साल से ऊपर की महिलाओं में ये बीमारी हो सकती है. किसी महिला में सर्वाइकल कैंसर विकसित होने में 15-20 साल का वक्त लगता है. लेकिन कमजोर इम्युन सिस्टम वाली महिलाओं में यह 5-10 साल में ही हो सकता है. एचपीवी में लंबे समय तक होने वाले इंफेक्शन ही सर्वाइकल कैंसर का कारण बनता है. ऐसे में एचपीवी टीकाकरण 9-14 साल की लड़कियों को किया जाएगा.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह टीका सर्वाइकल कैंसर को रोकने में सफल रहेगी. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चियों को कम उम्र में ही यह टीका दे दिया जाए तो वह ऐसे संक्रमण से सुरक्षित हो जाएंगी. इसका फायदा ये होगा कि उन्हें 30 वर्ष के बाद सर्वाइकल कैंसर नहीं होगा. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, देश में हर साल 1 लाख 67 हजार से ज्यादा मामले सर्वाइकल कैंसर के आते हैं. इसमें से 60 हजार से ज्यादा महिलाओं की मौतें हो जाती हैं.