नई दिल्ली: विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने संसद के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को कहा कि भारत का मानना है कि तमिल समुदाय की वैध आकांक्षाओं को पूरा करना श्रीलंका के हित में है. वह राज्यसभा में सांसद वैयापुरी गोपालसामी के सवालों का जवाब दे रहे थे. सांसद ने सवाल पूछा था कि क्या सरकार ने श्रीलंका में तमिलों के खिलाफ मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन पर ध्यान दिया है और यह भी कि क्या सरकार मानव अधिकारों के मुद्दे को देखते हुए श्रीलंका के प्रति अपनी विदेश नीति को बदलने पर विचार कर रही है.
यूएनएचआरसी(UNHRC) के 46वें सत्र में, भारत ने समानता, न्याय, शांति और सम्मान के लिए श्रीलंका के तमिलों की आकांक्षाओं के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर बल दिया. यह दोहराया गया कि तमिल समुदाय के अधिकारों का सम्मान श्रीलंका की एकता और अखंडता के लिए योगदान है. मुरलीधरन ने अपने जवाब में कहा, ' इसलिए, भारत का मानना है कि तमिल समुदाय की वैध आकांक्षाओं को पूरा करना श्रीलंका के हित में है.'
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अल्पसंख्यक तमिल समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के विवरण पर एक प्रश्न के उत्तर में, मुरलीधरन ने दोहराया कि भारत सरकार ने श्रीलंका से वहां के तमिलों के हितों की रक्षा से संबंधित मुद्दे को लेकर सभी स्तरों पर द्विपक्षीय चर्चाओं के दौरान लगातार उनकी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा, 'नवंबर 2019 में श्रीलंका के राष्ट्रपति और फरवरी 2020 में प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान इसे दोहराया गया था. साथ ही 26 सितंबर 2020 को भारत-श्रीलंका द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच भी इस मुद्दे पर चर्चा की गयी थी.