देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना के आगे जिस तरह से स्वास्थ्य विभाग और सिस्टम ने दम तोड़ा है, उसको लेकर पूर्व की त्रिवेंद्र और वर्तमान की तीरथ सरकार दोनों ही विपक्ष के निशाने पर रही हैं. हालांकि वर्तमान स्थिति के लिए तीरथ सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने हाल ही में दिए अपने एक बयान में पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया है. इस पर अब पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी बयान आया है. उन्होंने ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में साफ कहा है कि गणेश जोशी अनुभवहीन मंत्री हैं. किसी भी विभाग को समझने के लिए पांच से छह महीने चाहिए होते थे और वे उस विभाग की बात कर रहे हैं जो उनके पास है ही नहीं.
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पहला सवाल- सरकार ने देरी से उठाए सख्त कदम?
उत्तराखंड में कोरोना की स्थिति और इससे निटपने को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से कुछ सवाल किए गए थे. पहला सवाल सरकार के सख्ती बरतने में देरी को लेकर किया गया. जिसके जवाब में पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि-
सरकार ने फैसला तो काफी दिन पहले ही ले लिया था, लेकिन प्रशासन ने सख्ती तीन दिन पहले ही बरतनी शुरू की है. उसके परिणाम भी सामने आने लगे हैं. यही कारण है कि पिछले दो दिनों में पॉजिटिवी रेट भी घटा है. हालांकि मोर्टेलिटी में ज्यादा अंतर नहीं है. उसका एक बड़ा कारण ये भी है कि पुराने समय से मरीज भर्ती चले आ रहे हैं. प्रशासन ने पिछले दो-तीन दिनों में जो सख्ती दिखाई है, उसके सकारात्मक परिणाम आए हैं और आने वाले दिनों में और अच्छे परिणाम सामने आएंगे.
आगे उन्होंने कहा कि-
सरकार ने जो कदम उठाए हैं उसकी समय-समय पर समीक्षा की जरूरत है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि कोरोना के केस कम हो गए तो कर्फ्यू को तुरंत ही हटा दें. इसको थोड़ा लंबा खींचना होगा. वैज्ञानिक जिस तीसरी लहर की बात कर रहे हैं हमें उसको भी अपनी नजर में रखना पड़ेगा. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत जिस तरह के काम कर रहे हैं, उसके जल्द ही अच्छे परिणाम आएंगे. साथ ही उन्होंने सलाह दी है कि नेताओं को बयानबाजी से बचना पड़ेगा. कोई बड़ा नेता यदि बयान देता है तो जनता उसे बड़ी गंभीरता से लेती है और कई बार उसके अनुसार आचरण करती है.
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दूसरा सवाल- कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी के बयान पर
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र से दूसरा सवाल कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को लेकर किया गया है. मंत्री जोशी ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति के लिए पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया था. इस पर पूर्व सीएम ने कहा कि-
मंत्री जोशी को अभी थोड़ा अनुभव लेने की जरूरत है. जब वो उस विभाग के मंत्री ही नहीं हैं तो वे उस विभाग को क्या समझेंगे. विभाग को समझने में छह से आठ महीने लगते हैं. इसीलिए उनकी टिप्पणी कोई महत्व नहीं रखती है.
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तीसरा सवाल- इस तरह के बयानों का क्या मतलब?
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पूर्व की त्रिवेंद्र सरकार में विधायक रहे हैं. वर्तमान सरकार में उन्हें मंत्री बनाया है. बावजूद इसके उन्होंने इस तरह का बयान क्यों दिया? इस पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि-
मैं पहले उनका पूरा बयान देखूंगा. तब कुछ बात समझ में आएगी. इसीलिए उनके पूरे बयान को देखने की जरूरत है.
चौथा सवाल- आपके कार्यकाल में स्वास्थ्य विभाग में कुछ कमियां रहीं?
इस पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि-
जब हमने 2017 में सरकार संभाली तो हमारे पास 1034 डॉक्टर थे. आज हमारे पास 2,600 डॉक्टर हैं. आज हमारे पास मेडिकल कॉलेज और वहां पर परमानेंट फैकल्टी है. 2,500 नर्सेज की भर्ती की है. उस समय हमारे पास 15 के आसपास आईसीयू थे. आज हजार के आसपास हैं. लेकिन ये जो दूसरी लहर आई है, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. इस बात को स्वीकार करना पड़ेगा. लेकिन आप देखें तो उस समय हमने 27 हजार बेड की व्यवस्था की थी राज्य में. आपको याद होगा कि उस समय मैंने ये बात कही तो लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री ये क्या बात कर रहे हैं. कई लोगों ने बड़ी आलोचना की थी, लेकिन हमें जो महसूस हुआ था, उससे कई गुणा ज्यादा हमने व्यवस्था की थी. हालांकि उस समय बहुत कम बेडों का इस्तेमाल हुआ था.
पांचवां सवाल- भारी भरकम विभाग का मोह क्यों नहीं जाता?
प्रदेश को अभीतक क्यों एक स्वास्थ्य मंत्री नहीं मिल पाया है. इसको लेकर हमेशा सवाल खड़ा होता है. पूर्व की त्रिवेंद्र और वर्तमान की तीरथ दोनों ही सरकारों में स्वास्थ्य विभाग मुख्यमंत्री के पास रहा है. आखिर ऐसा क्यों? इस पर पूर्व सीएम तीरथ ने कहा कि-
आज बाध्यता है कि आप कितने मंत्री बना सकते हैं. उस बाध्यता के अंतर्गत मुख्यमंत्री को भी कुछ विभाग अपने पास रखने ही हैं. मुख्यमंत्री के पास जो विभाग होता है वो विभाग अच्छा काम करता है. क्योंकि मुख्यमंत्री का वक्तव्य आदेश होता है. पिछली बार हम हॉस्पिटलों में ज्यादा अच्छा कर पाए तो वो इसीलिए कर पाए क्योंकि सब कुछ सीधे मुख्यमंत्री की देखरेख में हुआ. क्योंकि मुख्यमंत्री के पास तो विभाग रहने ही रहने हैं. मुख्यमंत्री ने किस सोच के साथ वो विभाग अपने पास रखा है ये महत्वपूर्ण रखता है.
छठा सवाल- आपको मुख्यमंत्री के पद से हटाया क्यों गया?
कुंभ की वजह से कुर्सी जाने के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उन्होंने कभी भी इस बात को नहीं कहा कि उन्हें आखिर क्यों हटाया गया है. लेकिन 9 मार्च को इस्तीफा देने के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कहा था बस वही कहा था. हालांकि यह पार्टी के आलाकमान का निर्णय था, जो उन्होंने स्वीकार किया है. कुंभ को सूक्ष्म रूप से कराने का निर्णय लेने की वजह से उनकी कुर्सी नहीं गई है. और ऐसा होता भी नहीं है कि किसी एक इवेंट की वजह से मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा देना पड़े.
सातवां सवाल- प्रदेश में मौजूद स्थिति को कैसे देखते हैं आप
इस पर पूर्व सीएम ने कहा कि पिछले 17 सालों और इन 4 सालों के कार्यकाल की तुलना करें तो इन 4 सालों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत ही अमूल चूल परिवर्तन हुआ है. क्योंकि उत्तराखंड राज्य देश का एक पहला ऐसा राज्य है, जहां के सभी निवासियों को अटल आयुष्मान योजना का लाभ दिया गया. इसके साथ ही प्रदेश में कई मेडिकल कॉलेज के साथ ही तमाम अस्पतालों का निर्माण भी कराया गया, जिसका फायदा सीधे तौर पर जनता को मिल रहा है. इसके अतिरिक्त पहाड़ों पर डॉक्टर जाएं, इसके लिए ट्रांजिट हॉस्टल भी बनाए गए जहां पर आसानी से डॉक्टर्स रह सकते हैं.
आठवां सवाल- लोगों की समस्याओं को किस तरह दूर करते हैं
उन्होंने बताया कि इन दिनों वे अपने कैंप कार्यालय में बैठकर प्रदेश की व्यवस्थाओं के साथ ही प्रदेश के तमाम हिस्सों से आने वाले फोन कॉल को ना सिर्फ अटेंड कर रहे हैं, बल्कि कॉल करने वाले व्यक्ति की समस्याओं का समाधान भी करते है. वर्तमान में प्रदेश के तमाम पर्वतीय क्षेत्रों से लोग तमाम तरह की व्यवस्थाओं के लिए पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को फोन कर रहे हैं. जिसके बाद खुद पूर्व मुख्यमंत्री संबंधित जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों को फोन कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए निर्देशित कर रहे हैं.