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भगवान बदरी विशाल के लिए सुहागिनों ने निकाला तिल का तेल, 8 मई को खुलेंगे कपाट

उत्तराखंड स्थित भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 8 मई को खुलेंगे. वहीं, इसको लेकर तैयारियां जारी हैं. टिहरी जिले में पड़ने वाले नरेंद्रनगर राजमहल में रानी की पुत्री श्रीजा की अगुआई में 7 सुहागिन महिलाओं ने बदरी विशाल के लिए तिल का तेल निकाला. तेल निकालने के बाद इसे एक घड़े में डाला जाता है जिसे गाडू घड़ा कहा जाता है. अब विभिन्न पड़ाओं से होकर पवित्र तेल बदरीनाथ धाम पहुंचेगा.

uttarakhand married women
सुहागिनों ने निकाला तिल का तेल
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Published : Apr 22, 2022, 4:59 PM IST

नरेंद्रनगर/ऋषिकेश: बदरीनाथ धाम के लिए तिल का तेल (sesame oil for Badrinath) निकालने की परंपरा शुक्रवार को नरेंद्रनगर राजमहल ( Narendra Nagar Rajmahal) में हुई. बदरीनाथ में ग्रीष्मकालीन पूजापाठ के दौरान बदरी विशाल के लेप और अखंड ज्योति के लिए तिल का तेल निकालने की प्रक्रिया सदियों पुरानी है. ये आज भी टिहरी नरेंद्रनगर राजमहल में निभाई जाती है.

नरेंद्रनगर राजमहल में निकाला जाता है तिलों का तेल: टिहरी के नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी की अगुवाई में राज परिवार और डिमरी समाज की सुहागिन महिलाओं द्वारा तिल का तेल निकाला जाता है. इस बार रानी की पुत्री श्रीजा की अगुआई में तेल निकाला गया. यह तेल प्राचीन कोल्हू और हाथों से परंपरागत ढंग से ही निकाला जाता है. प्राचीन काल से इस परंपरा को ही बदरीनाथ जी के कपाट खुलने की प्रकिया की शुरुआत माना जाता रहा है.

तेल निकालने के बाद इसे एक घड़े में डाला जाता है जिसे गाडू घड़ा (gaadu ghada) कहा जाता है. इसके बाद ऋषिकेश से गढ़वाल के प्रमुख शहरों से होते हुए बदरीनाथ धाम जी के कपाट खुलने के दिन ही गाडू घड़ा यात्रा बदरीनाथ पहुंचती है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को टिहरी राजपरिवार और डिमरी समाज के लोग निभाते आ रहे हैं. कलश यात्रा अपने पहले पड़ाव पर रेलवे रोड स्थित चेला चेतराम धर्मशाला ऋषिकेश लाई जाएगी. शनिवार को लोगों के दर्शन के लिए कलश को रखा जाएगा. उसके बाद विभिन्न पड़ाओं से होकर पवित्र तेल बदरीनाथ धाम पहुंचेगा.

बदरीनाथ भगवान के लिए तिल का तेल

गाडू घड़ा कलश यात्रा का महत्व: उत्तराखंड में 400 सालों के गौरवमयी इतिहास को अपने में समेटे गाडू घड़ा यात्रा काफी मशहूर है. प्राचीन काल से ही गाडू घड़ा यात्रा को कपाट खुलने से पहले चारधाम यात्रा के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित किया जाता रहा है. साथ ही नरेंद्रनगर राजमहल गाडू घड़ा कलश यात्रा में भी शिरकत करता है. तिल के तेल से भगवान बदरी विशाल का पूरी यात्रा काल के दौरान अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है. इस पूरी यात्रा में बदरीनाथ के डिमरी समाज का सबसे अहम रोल होता है. प्राचीन काल से ही बदरीनाथ धाम की यात्रा का प्रचार-प्रसार का जिम्मा डिमरी समाज के लोगों के ही पास है. गाडू घड़ा यात्रा को चारधाम यात्रा का आगाज भी माना जाता है.

8 मई को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट: बदरीनाथ धाम के कपाट इस साल 8 मई को सुबह 6.15 मिनट पर खुल रहे हैं. इसी क्रम में तेल कलश यात्रा 22 अप्रैल को नरेंद्रनगर राजदरबार से शुरू हुई. 23 अप्रैल को सुबह से दोपहर तक चेला चेतराम धर्मशाला ऋषिकेश में श्रद्धालु गाडू घड़ा के दर्शन कर सकेंगे. 23 अप्रैल अपराह्न तेल कलश यात्रा श्रीनगर गढ़वाल प्रस्थान करेगी. 24 अप्रैल को सुबह दर्शन के पश्चात तेल कलश उमा देवी मंदिर कर्णप्रयाग प्रस्थान करेगी. इसी दिन यात्रा श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर पहुंचेगी. 4 मई तक तेल कलश गाडू घड़ा श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर में प्रवास करेगा. इस दौरान प्रात: एवं सायंकाल तेल कलश की पूजा अर्चना की जाएगी. 5 मई को गाडू घड़ा (तेल कलश) श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगा.

7 मई को बदरीनाथ धाम पहुंचेगा गाडू घड़ा: 6 मई को तेल कलश जोशीमठ से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, रावल सहित श्रीयोग बदरी पांडुकेश्वर और 7 मई को पांडुकेश्वर से श्री उद्धव एवं कुबेर की डोली के साथ ही गाडू घड़ा तेल कलश श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगा.

पढ़ें- भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे 8 मई को

पढ़ें- बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति का पुनर्गठन

नरेंद्रनगर/ऋषिकेश: बदरीनाथ धाम के लिए तिल का तेल (sesame oil for Badrinath) निकालने की परंपरा शुक्रवार को नरेंद्रनगर राजमहल ( Narendra Nagar Rajmahal) में हुई. बदरीनाथ में ग्रीष्मकालीन पूजापाठ के दौरान बदरी विशाल के लेप और अखंड ज्योति के लिए तिल का तेल निकालने की प्रक्रिया सदियों पुरानी है. ये आज भी टिहरी नरेंद्रनगर राजमहल में निभाई जाती है.

नरेंद्रनगर राजमहल में निकाला जाता है तिलों का तेल: टिहरी के नरेंद्रनगर राजमहल में महारानी की अगुवाई में राज परिवार और डिमरी समाज की सुहागिन महिलाओं द्वारा तिल का तेल निकाला जाता है. इस बार रानी की पुत्री श्रीजा की अगुआई में तेल निकाला गया. यह तेल प्राचीन कोल्हू और हाथों से परंपरागत ढंग से ही निकाला जाता है. प्राचीन काल से इस परंपरा को ही बदरीनाथ जी के कपाट खुलने की प्रकिया की शुरुआत माना जाता रहा है.

तेल निकालने के बाद इसे एक घड़े में डाला जाता है जिसे गाडू घड़ा (gaadu ghada) कहा जाता है. इसके बाद ऋषिकेश से गढ़वाल के प्रमुख शहरों से होते हुए बदरीनाथ धाम जी के कपाट खुलने के दिन ही गाडू घड़ा यात्रा बदरीनाथ पहुंचती है. सदियों से चली आ रही इस परंपरा को टिहरी राजपरिवार और डिमरी समाज के लोग निभाते आ रहे हैं. कलश यात्रा अपने पहले पड़ाव पर रेलवे रोड स्थित चेला चेतराम धर्मशाला ऋषिकेश लाई जाएगी. शनिवार को लोगों के दर्शन के लिए कलश को रखा जाएगा. उसके बाद विभिन्न पड़ाओं से होकर पवित्र तेल बदरीनाथ धाम पहुंचेगा.

बदरीनाथ भगवान के लिए तिल का तेल

गाडू घड़ा कलश यात्रा का महत्व: उत्तराखंड में 400 सालों के गौरवमयी इतिहास को अपने में समेटे गाडू घड़ा यात्रा काफी मशहूर है. प्राचीन काल से ही गाडू घड़ा यात्रा को कपाट खुलने से पहले चारधाम यात्रा के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित किया जाता रहा है. साथ ही नरेंद्रनगर राजमहल गाडू घड़ा कलश यात्रा में भी शिरकत करता है. तिल के तेल से भगवान बदरी विशाल का पूरी यात्रा काल के दौरान अभिषेक और श्रृंगार किया जाता है. इस पूरी यात्रा में बदरीनाथ के डिमरी समाज का सबसे अहम रोल होता है. प्राचीन काल से ही बदरीनाथ धाम की यात्रा का प्रचार-प्रसार का जिम्मा डिमरी समाज के लोगों के ही पास है. गाडू घड़ा यात्रा को चारधाम यात्रा का आगाज भी माना जाता है.

8 मई को खुलेंगे बदरीनाथ धाम के कपाट: बदरीनाथ धाम के कपाट इस साल 8 मई को सुबह 6.15 मिनट पर खुल रहे हैं. इसी क्रम में तेल कलश यात्रा 22 अप्रैल को नरेंद्रनगर राजदरबार से शुरू हुई. 23 अप्रैल को सुबह से दोपहर तक चेला चेतराम धर्मशाला ऋषिकेश में श्रद्धालु गाडू घड़ा के दर्शन कर सकेंगे. 23 अप्रैल अपराह्न तेल कलश यात्रा श्रीनगर गढ़वाल प्रस्थान करेगी. 24 अप्रैल को सुबह दर्शन के पश्चात तेल कलश उमा देवी मंदिर कर्णप्रयाग प्रस्थान करेगी. इसी दिन यात्रा श्रीलक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर पहुंचेगी. 4 मई तक तेल कलश गाडू घड़ा श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर डिम्मर में प्रवास करेगा. इस दौरान प्रात: एवं सायंकाल तेल कलश की पूजा अर्चना की जाएगी. 5 मई को गाडू घड़ा (तेल कलश) श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ प्रस्थान करेगा.

7 मई को बदरीनाथ धाम पहुंचेगा गाडू घड़ा: 6 मई को तेल कलश जोशीमठ से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, रावल सहित श्रीयोग बदरी पांडुकेश्वर और 7 मई को पांडुकेश्वर से श्री उद्धव एवं कुबेर की डोली के साथ ही गाडू घड़ा तेल कलश श्री बदरीनाथ धाम पहुंचेगा.

पढ़ें- भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे 8 मई को

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