ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड : ऋषि गंगा वैली में बनी झील को लेकर सामने आई ये हकीकत

ऋषि गंगा वैली में बनी झील को लेकर राज्य सरकार और वैज्ञानिकों के बीच मंथन जारी है. सरकार इस झील को खाली करना चाहती है. वहीं, सरकार ने इस आपदा में 1500 से 2000 करोड़ रुपये तक के नुकसान की संभावना जताई है.

rishi ganga
rishi ganga
author img

By

Published : Feb 16, 2021, 8:28 PM IST

देहरादून : जोशीमठ के रैणी गांव में आई आपदा के बाद से रेस्क्यू अभियान जारी है. वहीं, ऋषि गंगा वैली में बनी झील को लेकर राज्य सरकार और वैज्ञानिकों के बीच मंथन चल रहा है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ऋषि गंगा वैली में बनी झील से रिसाव हो रहा है, लिहाजा ये झील खतरनाक नहीं है. लेकिन भविष्य के खतरों को देखते हुए राज्य सरकार इस झील को खाली कराने पर विचार कर रही है, जिसके लिए उत्तराखंड सरकार भारत सरकार की इंस्टीट्यूशन की भी सहायता लेगी. यही नहीं, रैणी गांव में आई आपदा के नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है.

लेनी पड़ सकती है भारत सरकार की मदद

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि झील अभी स्टेबल है और उस झील से रिसाव हो रहा है. ऐसे में रिसाव होना अच्छा है. साथ ही कहा कि जो वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट सौंपी है. उस पर अध्ययन किया जा रहा है. जिसके बाद तय किया जाएगा कि क्या करना है? इसके लिए भारत सरकार की मदद भी लेनी पड़ सकती है. क्योंकि सरकार का प्रयास है कि ऋषि गंगा में बनी झील को खाली करा दिया जाए.

आपदा से बड़ा नुकसान.

ग्लेशियर मॉनिटरिंग इंस्टीट्यूट की जरूरत

ओमप्रकाश ने बताया कि एक प्रस्ताव पर सहमति बनी है कि प्रदेश में एक ग्लेशियर मॉनिटरिंग इंस्टीट्यूट को स्थापित किया जाए, जिससे उत्तराखंड के हिमालय रीजन में मौजूद ग्लेशियर की लगातार स्टडी कराई जा सके. इसका प्रस्ताव तैयार जा रहा है, जिसे जल्द ही भारत सरकार को भेजा जाएगा.

पढ़ें- जल प्रलय रेस्क्यू LIVE: 10वें दिन भी राहत व बचाव कार्य जारी, अब तक 31 शव की हुई पहचान

करीब 2 हजार करोड़ के नुकसान की संभावना

जोशीमठ के रैणी गांव में आई आपदा से जानमाल को काफी नुकसान पहुंचा है. राज सरकार इस आपदा से हुए आर्थिक नुकसान का आकलन करने में जुट गई है. वहीं, नुकसान के आकलन के सवाल पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि अभी पूरा स्पष्ट आकलन नहीं है. लेकिन आपदा से सरकार को 1500 से 2000 करोड़ रुपये तक के नुकसान की संभावना है.

देहरादून : जोशीमठ के रैणी गांव में आई आपदा के बाद से रेस्क्यू अभियान जारी है. वहीं, ऋषि गंगा वैली में बनी झील को लेकर राज्य सरकार और वैज्ञानिकों के बीच मंथन चल रहा है. हालांकि, वैज्ञानिकों ने यह पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि ऋषि गंगा वैली में बनी झील से रिसाव हो रहा है, लिहाजा ये झील खतरनाक नहीं है. लेकिन भविष्य के खतरों को देखते हुए राज्य सरकार इस झील को खाली कराने पर विचार कर रही है, जिसके लिए उत्तराखंड सरकार भारत सरकार की इंस्टीट्यूशन की भी सहायता लेगी. यही नहीं, रैणी गांव में आई आपदा के नुकसान का भी आकलन किया जा रहा है.

लेनी पड़ सकती है भारत सरकार की मदद

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि झील अभी स्टेबल है और उस झील से रिसाव हो रहा है. ऐसे में रिसाव होना अच्छा है. साथ ही कहा कि जो वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट सौंपी है. उस पर अध्ययन किया जा रहा है. जिसके बाद तय किया जाएगा कि क्या करना है? इसके लिए भारत सरकार की मदद भी लेनी पड़ सकती है. क्योंकि सरकार का प्रयास है कि ऋषि गंगा में बनी झील को खाली करा दिया जाए.

आपदा से बड़ा नुकसान.

ग्लेशियर मॉनिटरिंग इंस्टीट्यूट की जरूरत

ओमप्रकाश ने बताया कि एक प्रस्ताव पर सहमति बनी है कि प्रदेश में एक ग्लेशियर मॉनिटरिंग इंस्टीट्यूट को स्थापित किया जाए, जिससे उत्तराखंड के हिमालय रीजन में मौजूद ग्लेशियर की लगातार स्टडी कराई जा सके. इसका प्रस्ताव तैयार जा रहा है, जिसे जल्द ही भारत सरकार को भेजा जाएगा.

पढ़ें- जल प्रलय रेस्क्यू LIVE: 10वें दिन भी राहत व बचाव कार्य जारी, अब तक 31 शव की हुई पहचान

करीब 2 हजार करोड़ के नुकसान की संभावना

जोशीमठ के रैणी गांव में आई आपदा से जानमाल को काफी नुकसान पहुंचा है. राज सरकार इस आपदा से हुए आर्थिक नुकसान का आकलन करने में जुट गई है. वहीं, नुकसान के आकलन के सवाल पर मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि अभी पूरा स्पष्ट आकलन नहीं है. लेकिन आपदा से सरकार को 1500 से 2000 करोड़ रुपये तक के नुकसान की संभावना है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.