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यूपी में जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने की तैयारी, विधि आयोग तैयार कर रहा मसौदा

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Published : Jun 22, 2021, 7:39 AM IST

असम के बाद अब योगी सरकार जनसंख्या नियंत्रण पर कानून लाने जा रही है. राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण के कानून का मसौदा बनाना शुरू कर दिया है. नए कानून को बनाने के लिए आयोग ने अन्य राज्यों में लागू कानून का अध्ययन करना भी शुरू दिया है. जल्द आयोग इसका मसौदा तैयार कर सरकार को सौंपेगा.

population control
population control

लखनऊ : उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) में जनसंख्या नियंत्रण कानून (law on population control) लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में दो से अधिक संतान वालों की सुविधाओं में कटौती की जा सकती है. ऐसे में उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नया कानून बनाए जाने की तैयारी शुरू कर दी है. दूसरी तरफ इसको लेकर उत्तर प्रदेश में सियासी पारा भी चढ़ने लगा है. विपक्ष ने योगी सरकार पर ध्यान भटकाने का आरोप लगाया है, वहीं सत्ताधारी दल भाजपा ने इसे उचित कदम करार दिया है.

दूसरे राज्यों के कानून का अध्ययन कर रहा राज्य विधि आयोग

राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस एएन मित्तल कहते हैं कि 'उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना आवश्यक हो गया है. कई राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं. जनसंख्या पर रोक नहीं लगाया गया तो बेरोजगारी, भुखमरी समेत अन्य समस्याएं बढ़ती जाएंगी. इसलिए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर असम, राजस्थान और मध्य प्रदेश में लागू कानूनों का अध्ययन शुरू किया गया है.'

उन्होंने कहा कि 'बेरोजगारी और भुखमरी समेत अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर एक मसौदा तैयार किया जा रहा है. रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे सरकार को सौंपा जाएगा. इसके बाद सरकार इसे प्रदेश में कानून के रूप में लागू करेगी, जिन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेना होगा वे कानून का पालन भी करेंगे.'

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या की स्थिति

2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 20 करोड़ थी. मौजूदा समय में अनुमानित जनसंख्या करीब 24 करोड़ है. धर्म के आधार पर 2011 में उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 16 करोड़ थी. यह कुल आबादी का करीब 80 फीसदी है. वहीं, मुसलमानों की आबादी करीब चार करोड़ के आस-पास रही है. ईसाई की करीब चार लाख, सिख की साढ़े छह लाख और जैन की दो लाख 30 हजार जनसंख्या रही है.

जनसंख्या के मामले में यूपी दुनिया के पांच देशों से ही पीछे है. यानी कि छठे देश के बराबर उत्तर प्रदेश की आबादी है. यही वजह है कि योगी सरकार जनसंख्या विस्फोट को रोकने की कवायद में जुट गई है.

विपक्ष ने मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने का लगाया आरोप
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि 'जनसंख्या नियंत्रण पर एक सार्थक बहस होनी चाहिए. कांग्रेस भी चाहती है कि जरूर ऐसे प्रभावी कदम उठाए जाएं, लेकिन क्या यह राज्य का विषय है ? यह तो एक राष्ट्रीय विषय है. दरअसल भाजपा की योगी सरकार पूरी तरीके से विफल हो चुकी है. इसलिए ऐसे शिगूफे छोड़े जा रहे हैं. बीजेपी समझ चुकी है कि जनता नाराज है इसलिए लोगों को मुख्य मुद्दों से गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.'

देश से प्यार करने वाले नहीं करेंगे जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध

यूपी भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला कहते हैं कि 'देश में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति लागू है. सभी को उसका पालन करना चाहिए. बढ़ती हुई जनसंख्या देश के संसाधनों पर भारी पड़ रही है. राज्य विधि आयोग ने उस पर चिंता व्यक्त की है.'

पढ़ें- जनसंख्या नियंत्रण : केंद्र ने कहा- परिवार नियोजन के लिए बाध्य नहीं कर सकते

उनका कहना है कि जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण कैसे हो, इसके लिए मसौदा तैयार किया जा रहा है. जो व्यक्ति या राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं, उनसे मेरा सवाल है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जो समस्याएं खड़ी हो रही हैं, उस पर उनके क्या विचार है ? मेरा स्पष्ट कहना है कि जिसको देश से प्यार है, देश के विकास से प्यार है, देश के सशक्तिकरण से प्यार है, जो देश का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहता है वह जनसंख्या नियंत्रण कानून का कभी विरोध नहीं करेगा.'

लखनऊ : उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) में जनसंख्या नियंत्रण कानून (law on population control) लाने की तैयारी शुरू कर दी गई है. आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में दो से अधिक संतान वालों की सुविधाओं में कटौती की जा सकती है. ऐसे में उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा.

उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ने जनसंख्या नियंत्रण को लेकर नया कानून बनाए जाने की तैयारी शुरू कर दी है. दूसरी तरफ इसको लेकर उत्तर प्रदेश में सियासी पारा भी चढ़ने लगा है. विपक्ष ने योगी सरकार पर ध्यान भटकाने का आरोप लगाया है, वहीं सत्ताधारी दल भाजपा ने इसे उचित कदम करार दिया है.

दूसरे राज्यों के कानून का अध्ययन कर रहा राज्य विधि आयोग

राज्य विधि आयोग के चेयरमैन जस्टिस एएन मित्तल कहते हैं कि 'उत्तर प्रदेश की जनसंख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाना आवश्यक हो गया है. कई राज्यों ने इस दिशा में कदम उठाए हैं. जनसंख्या पर रोक नहीं लगाया गया तो बेरोजगारी, भुखमरी समेत अन्य समस्याएं बढ़ती जाएंगी. इसलिए जनसंख्या नियंत्रण को लेकर असम, राजस्थान और मध्य प्रदेश में लागू कानूनों का अध्ययन शुरू किया गया है.'

उन्होंने कहा कि 'बेरोजगारी और भुखमरी समेत अन्य पहलुओं को ध्यान में रखकर एक मसौदा तैयार किया जा रहा है. रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे सरकार को सौंपा जाएगा. इसके बाद सरकार इसे प्रदेश में कानून के रूप में लागू करेगी, जिन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ लेना होगा वे कानून का पालन भी करेंगे.'

उत्तर प्रदेश में जनसंख्या की स्थिति

2011 की जनगणना के अनुसार उत्तर प्रदेश की आबादी करीब 20 करोड़ थी. मौजूदा समय में अनुमानित जनसंख्या करीब 24 करोड़ है. धर्म के आधार पर 2011 में उत्तर प्रदेश में हिंदुओं की आबादी करीब 16 करोड़ थी. यह कुल आबादी का करीब 80 फीसदी है. वहीं, मुसलमानों की आबादी करीब चार करोड़ के आस-पास रही है. ईसाई की करीब चार लाख, सिख की साढ़े छह लाख और जैन की दो लाख 30 हजार जनसंख्या रही है.

जनसंख्या के मामले में यूपी दुनिया के पांच देशों से ही पीछे है. यानी कि छठे देश के बराबर उत्तर प्रदेश की आबादी है. यही वजह है कि योगी सरकार जनसंख्या विस्फोट को रोकने की कवायद में जुट गई है.

विपक्ष ने मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकाने का लगाया आरोप
कांग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि 'जनसंख्या नियंत्रण पर एक सार्थक बहस होनी चाहिए. कांग्रेस भी चाहती है कि जरूर ऐसे प्रभावी कदम उठाए जाएं, लेकिन क्या यह राज्य का विषय है ? यह तो एक राष्ट्रीय विषय है. दरअसल भाजपा की योगी सरकार पूरी तरीके से विफल हो चुकी है. इसलिए ऐसे शिगूफे छोड़े जा रहे हैं. बीजेपी समझ चुकी है कि जनता नाराज है इसलिए लोगों को मुख्य मुद्दों से गुमराह करने की कोशिश की जा रही है.'

देश से प्यार करने वाले नहीं करेंगे जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध

यूपी भाजपा प्रवक्ता मनीष शुक्ला कहते हैं कि 'देश में राष्ट्रीय जनसंख्या नीति लागू है. सभी को उसका पालन करना चाहिए. बढ़ती हुई जनसंख्या देश के संसाधनों पर भारी पड़ रही है. राज्य विधि आयोग ने उस पर चिंता व्यक्त की है.'

पढ़ें- जनसंख्या नियंत्रण : केंद्र ने कहा- परिवार नियोजन के लिए बाध्य नहीं कर सकते

उनका कहना है कि जनसंख्या पर प्रभावी नियंत्रण कैसे हो, इसके लिए मसौदा तैयार किया जा रहा है. जो व्यक्ति या राजनीतिक दल इसका विरोध कर रहे हैं, उनसे मेरा सवाल है कि बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण जो समस्याएं खड़ी हो रही हैं, उस पर उनके क्या विचार है ? मेरा स्पष्ट कहना है कि जिसको देश से प्यार है, देश के विकास से प्यार है, देश के सशक्तिकरण से प्यार है, जो देश का भविष्य उज्ज्वल देखना चाहता है वह जनसंख्या नियंत्रण कानून का कभी विरोध नहीं करेगा.'

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