नई दिल्ली: पेरिस समझौता लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिशों की समय-समय पर की जानी वाली पहली वैश्विक समीक्षा (ग्लोबल स्टॉकटेक) में जीवश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से रोकने, सब्सिडी में सुधार करने और वैश्विक नवीनीकरण ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करने का आह्वान शामिल हो सकता है. पहला ग्लोबल स्टॉकटेक दिसंबर में दुबई में वार्षिक जलवायु वार्ता (सीओपी28) में समाप्त होगा. इसकी पहल ग्लासगो में 2021 में की गई थी.
जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र मसौदा संधि (यूएनएफसीसीसी) ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वैश्विक स्टॉकटेक पर राजनीतिक प्रतिक्रिया के संबंध में देशों और गैर-पार्टी हितधारकों द्वारा दी गई प्रस्तुतियों का सारांश है.
जलवायु नीति थिंक टैंक इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट (आईआईएसडी) में नीति सलाहकार नेटली जोन्स ने कहा, 'वे वार्ता के बारे में जानकारी देंगे, लेकिन इसकी कोई गारंटी नहीं है कि कोई विशेष तत्व इसके अंतिम पाठ में शामिल होगा. संभावित निर्णय बिंदुओं की इस लंबी सूची में जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से इस्तेमाल से बाहर करना शामिल है.
यूएनएफसीसीसी रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्टॉकटेक परिणाम के संभावित तत्वों में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने, जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को समाप्त करने में तेजी लाने के लिए वैश्विक प्रतिबद्धता का समर्थन करने और अकुशल ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के प्रयासों का आह्वान शामिल हो सकता है और 2025 तक, सक्षम वातावरण और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश बढ़ाने का समर्थन किया जा सकता है.
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) ने सितंबर में कहा था कि तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की वैश्विक मांग 2030 तक अपने चरम पर पहुंच सकती है. आईईए ने इसे एक उत्साहजनक घटनाक्रम कहा, लेकिन वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए अपार्याप्त करार दिया.
देशों ने 2021 में ग्लासगो में आयोजित सीओपी26 और 2022 में शर्म अल शेख में आयोजित सीओपी27 में अदक्ष जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का वादा किया था, लेकिन वे 2022 में यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया.