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गृह मंत्रालय की अपील, माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में सोशल मीडिया का करें इस्तेमाल

माओवादियों के खिलाफ सरकार की लड़ाई (Governments fight against Maoists) को और मजबूत करने की एक बड़ी पहल की गई है. केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने नागरिकों से सोशल मीडिया के माध्यम से माओवादियों द्वारा किए जा रहे हिंसक और क्रूर अत्याचारों की निंदा करने की अपील की है.

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Published : Feb 12, 2022, 9:20 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से देश के नागरिकों से कहा कि सीपीआई (माओवादियों) और अन्य एलडब्ल्यूई समूहों द्वारा निर्दोष नागरिकों पर किए जा रहे हिंसक और क्रूर अत्याचारों की सोशल मीडिया सहित किसी भी उपलब्ध मंच पर निंदा करें.

गृह मंत्रालय ने राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया के लिए पुरानी, ​​असफल और गहरी त्रुटिपूर्ण माओवादी विचारधारा के खतरों के प्रति सभी देशवासियों को संवेदनशील बनाने पर जोर दिया. माओवादी विद्रोह की तुलना में सरकार की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए एमएचए ने कहा कि माओवादी विद्रोह को एक गंभीर आंतरिक खतरे के रूप में नहीं देखा गया. एक लंबे समय के लिए सुरक्षा समस्या बनी रही. माओवादी कुछ राज्यों में दूरस्थ और दुर्गम आदिवासी इलाकों में खुद को स्थापित करने में कामयाब रहे हैं.

मंत्रालय ने आगे कहा कि सीएपीएफ के 100 से अधिक बीएनएस और कई कोबरा टीमों को वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में तैनात किया गया है. अन्य संगठनों के साथ माओवादियों के संबंधों को आगे बढ़ाते हुए एमएचए ने कहा कि माओवादियों के कई पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि माओवादियों ने अक्सर जम्मू-कश्मीर आतंकवादी समूहों के साथ भी अपनी एकजुटता व्यक्त की है. माओवादियों के फिलीपींस, तुर्की आदि में देशों के माओवादी संगठनों के साथ संबंध हैं. मंत्रालय ने बताया कि देश में माओवादियों से जुड़ी घटनाएं घट रही हैं. मंत्रालय ने हाल ही में संसद में सूचित किया है कि देश भर में माओवादियों से संबंधित हिंसा के भौगोलिक क्षेत्रों में कमी आई है.

यह भी पढ़ें- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ 70 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिलीं

इस मुद्दे पर बात करते हुए सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने गृह मंत्रालय की पहल की सराहना करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से निश्चित रूप से माओवादियों के खिलाफ सरकार की लड़ाई में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. सिंह ने कहा कि वास्तव में पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में माओवादियों से संबंधित हिंसा में कमी आई है. इससे पता चलता है कि माओवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के अलावा विभिन्न पहलों के सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं.

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने अपनी वेबसाइट के माध्यम से देश के नागरिकों से कहा कि सीपीआई (माओवादियों) और अन्य एलडब्ल्यूई समूहों द्वारा निर्दोष नागरिकों पर किए जा रहे हिंसक और क्रूर अत्याचारों की सोशल मीडिया सहित किसी भी उपलब्ध मंच पर निंदा करें.

गृह मंत्रालय ने राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया के लिए पुरानी, ​​असफल और गहरी त्रुटिपूर्ण माओवादी विचारधारा के खतरों के प्रति सभी देशवासियों को संवेदनशील बनाने पर जोर दिया. माओवादी विद्रोह की तुलना में सरकार की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए एमएचए ने कहा कि माओवादी विद्रोह को एक गंभीर आंतरिक खतरे के रूप में नहीं देखा गया. एक लंबे समय के लिए सुरक्षा समस्या बनी रही. माओवादी कुछ राज्यों में दूरस्थ और दुर्गम आदिवासी इलाकों में खुद को स्थापित करने में कामयाब रहे हैं.

मंत्रालय ने आगे कहा कि सीएपीएफ के 100 से अधिक बीएनएस और कई कोबरा टीमों को वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों में तैनात किया गया है. अन्य संगठनों के साथ माओवादियों के संबंधों को आगे बढ़ाते हुए एमएचए ने कहा कि माओवादियों के कई पूर्वोत्तर विद्रोही समूहों के साथ घनिष्ठ संबंध हैं. गृह मंत्रालय ने कहा कि माओवादियों ने अक्सर जम्मू-कश्मीर आतंकवादी समूहों के साथ भी अपनी एकजुटता व्यक्त की है. माओवादियों के फिलीपींस, तुर्की आदि में देशों के माओवादी संगठनों के साथ संबंध हैं. मंत्रालय ने बताया कि देश में माओवादियों से जुड़ी घटनाएं घट रही हैं. मंत्रालय ने हाल ही में संसद में सूचित किया है कि देश भर में माओवादियों से संबंधित हिंसा के भौगोलिक क्षेत्रों में कमी आई है.

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इस मुद्दे पर बात करते हुए सीमा सुरक्षा बल के पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह ने गृह मंत्रालय की पहल की सराहना करते हुए कहा कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से निश्चित रूप से माओवादियों के खिलाफ सरकार की लड़ाई में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. सिंह ने कहा कि वास्तव में पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में माओवादियों से संबंधित हिंसा में कमी आई है. इससे पता चलता है कि माओवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के अलावा विभिन्न पहलों के सकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं.

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