नई दिल्ली : इजरायली निगरानी कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस सॉफ्टवेयर ( Pegasus software) का उपयोग संभवतया लगभग 300 भारतीयों पर निगरानी करने के लिए किया गया था. इसमें दो कैबिनेट मंत्री, विपक्षी नेता और लगभग 40 पत्रकार शामिल थे. इस मामले पर साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए खतरनाक है और किसी लोकतंत्र में इस तरह की जासूसी की अनुमति नहीं है.
इस बारे में सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबरलॉ के चेयरमैन अनुज अग्रवाल (Anuj Agarwal ) ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि राजनेताओं, नौकरशाहों, नीति निर्माताओं, पत्रकारों के फोन हैक करना और उनके फोन कॉल की जासूसी करना और उनके दस्तावेज चोरी करना हमारे देश के लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.
उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में पत्रकारिता और न्यायपालिका से जुड़े पेशेवरों को अपने भीतर बोलने और चर्चा करने का अधिकार होना चाहिए. उनका मानना है कि अगर सरकार या शत्रुतापूर्ण लोग समाज के ऐसे प्रभावशाली लोगों की निगरानी करते हैं तो लीक की गई जानकारी को गलत तरीके से पेश किया जाएगा और इससे उनके खिलाफ नफरत का माहौल पैदा होगा और वे उस विशेष जानकारी को खुले तौर पर व्यक्त नहीं कर पाएंगे. नतीजतन, हमारे देश की सुरक्षा, हमारे समाज की शांति और लोकतंत्र को बड़ा खतरा होगा.
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अनुज अग्रवाल ने कहा कि यह जासूसी निजता के अधिकार का उल्लंघन है. चाहे वह किसी निजी संस्था द्वारा किया जा रहा हो या सरकार या कॉरपोरेट द्वारा, इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता है और किसी भी लोकतांत्रिक कानून में इस तरह की जासूसी की अनुमति नहीं है.
अनुज अग्रवाल ने पेगासस के काम के बारे में बताया कि इस स्पाइवेयर को वॉयस कॉल, फाइल ट्रांसफर या फोन के लिंक के माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है. साथ ही पेगासस स्पाइवेयर के हस्तांतरण के बाद कोई भी फोन कॉल, व्हाट्सएप संदेशों के सभी विवरणों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. उन्होंने आगे कहा कि एक आम आदमी के लिए अपने फोन को पेगासस स्पाइवेयर से बचाना बहुत मुश्किल है. हालांकि, उन्होंने कहा कि किसी को भी अनावश्यक लिंक नहीं खोले जाने चाहिए, इसके अलावा कुछ ऑफ़र और ई-मेल वाले स्पैम संदेशों से भी बचने के साथ अज्ञात फोन कॉल से बचना चाहिए.