शामली: अमेरिका में वर्ष 2024 में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाले हर्षवर्धन सिंह का यूपी के कैराना और बुलंदशहर से गहरा रिश्ता है. हर्षवर्धन कैराना से पलायन के मुद्दे को उठाने वाले दिवंगत भाजपा सांसद हुकुम सिंह के नाती (धेवते) हैं. वहीं, 90 के दशक में राज्यसभा सांसद रहे बुलंदशहर के नौनिहाल सिंह के पोते हैं. इसी के चलते अब अमेरिका के साथ-साथ भारत में भी हर्ष वर्धन सिंह की दावेदारी सुर्खियों में हैं.
हर्षवर्धन सिंह अमेरिकी राजनीतिक क्षितिज में एक नए नाम के रूप में उभरे हैं. क्योंकि, वह संयुक्त राज्य अमेरिका में अगले साल के राष्ट्रपति पद की दौड़ के लिए अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने वाले भारतीय मूल के तीसरे व्यक्ति बन गए हैं. जबकि, अन्य दो निक्की हैली और विवेक रामास्वामी हैं. पेशे से इंजीनियर, 38 वर्षीय हर्षवर्धन सिंह ने सोशल मीडिया पर रिपब्लिकन उम्मीदवार के रूप में अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की है. इसके बाद से ही वें सुर्खियों में बने हुए हैं.
हर्षवर्धन सिंह कैराना से दिवंगत भाजपा सांसद हुकुम सिंह के नाती हैं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक रूप से विभाजित कैराना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 'पलायन' मुद्दे को जन्म दिया था. इसके बाद बीजेपी ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया था. पिता की ओर से वह 90 के दशक में बीजेपी से राज्यसभा सांसद रहे. हर्षवर्धन सिंह बुलंदशहर जिले के सोजना रानी गांव निवासी डॉ. नौनिहाल सिंह के पोते हैं. कैराना से भाजपा नेता और दिवंगत सांसद हुकुम सिंह की बड़ी बेटी मृगांका सिंह ने बताया कि हर्ष उनकी छोटी बहन नंदिता के बेटे हैं. उन्होंने बताया कि बहनोई त्रिभुवन सिंह करीब 40 साल से परिवार सहित अमेरिका में रहते हैं.
न्यू जर्सी में बसा हुआ है परिवार
पेशे से इंजीनियर हर्षवर्धन सिंह का परिवार अमेरिका के न्यू जर्सी में रहता है. हर्षवर्धन सिंह ने गत गुरुवार को ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में घोषणा की है कि वह राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में शामिल हो रहे हैं. इसके बाद से ही वे सुर्खियों में बने हुए हैं. हर्षवर्धन सिंह ने अपने वीडियो संदेश में यह भी कहा, 'मैं कभी भी राजनेता नहीं रहा, लेकिन मैं एक इंजीनियर हूं, जो समस्याओं को समझते हैं. जानकारी के अनुसार, हर्षवर्धन सिंह वर्ष 2017 में न्यू जर्सी के पूर्व गवर्नर क्रिस क्रिस्टी (आर) की जगह लेने के लिए न्यू जर्सी के गवर्नर पद का चुनाव भी लड़े थे. हालांकि 10 प्रतिशत वोट के साथ वे तीसरे स्थान पर आए थे.
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