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देश की इस University में स्टूडेंट्स पढ़ रहे 103 साल पुरानी उर्दू रामायण

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में 103 साल पुरानी उर्दू में लिखित रामायण है. इस रामायण को महात्मा शिवव्रत लाल ने उर्दू में लिखा था. उर्दू में लिखित यह धर्मग्रन्थ चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में सुरक्षित है.

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उर्दू में रामायण.
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Published : Aug 29, 2022, 4:09 PM IST

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh University) के राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय में 100 साल से भी पुरानी उर्दू में लिखित रामायण (urdu ramayana) संरक्षित है.यह रामायण शोध छात्र छात्राओं के अलावा उर्दू में अध्ययनरत स्टूडेंट के लिए तो उपयोगी है ही, साथ ही हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल को भी पेश करती है.

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में 103 साल पुरानी उर्दू रामायण.

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में यूं तो एक लाख से भी अधिक पुस्तकें हैं. तमाम ग्रन्थ और धर्मग्रन्थ भी हैं लेकिन इस पुस्तकालय की जो सबसे अमूल्य धरोहर है वह है उर्दू में लिखित रामायण. राजा महेन्द्रप्रताप सिंह पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि किसी भी पुस्तकालय की विशेषता जो होती है वह उनके विशेष कलेक्शन से की जाती है. जहां तक राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय की बात है तो हमारा भी एक विशेष सेक्शन है. इसमें विशेष शैक्षिक कलेक्शन सुरक्षित ढंग से सहेजकर रखा हुआ है .

प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि, 1919 में लाहौर से उर्दू में रामायण प्रकाशित हुई थी. इस रामायण को महात्मा शिवव्रत लाल ने उर्दू में लिखा था.यह उर्दू में लिखित एक ऐसा धर्मग्रन्थ है जो कि केवल और केवल चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में ही सुरक्षित है.जहां तक इसे पढ़ने की बात है तो उर्दू भाषा जानने वाले विद्यार्थी इसे आकर पढ़ सकते हैं. जल्द ही उर्दू में लिखित रामायण को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डिजिटल फॉर्म में लांच करने की तैयारी की जा रही है. इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अगले महीने में अपलोड कर दिया जाएगा ताकि जो भी स्टूडेंट्स भविष्य में उर्दू भाषा की इस रामायण को पढ़ना चाहें तो आसानी से घर बैठे ही पढ़ सकें .

इसे भी पढ़े-लंपी वायरस के खिलाफ योगी सरकार एक्शन में, जल्द शुरू होगा पशुओं का टीकाकरण

प्रोफेसर ज़माल अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि उर्दू में लिखित इस रामायण को डिजिटल फॉर्म में कन्वर्ट कर लिया गया है. अब इसकी फॉर्मेटिंग करनी है. अगले एक महीने में यह विश्वविद्यालय की साइट पर निश्चित ही उपलब्ध हो जाएगी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में स्थित राजा महेंद्र प्रताप सिंह लाइब्रेरी के पुस्तकालय अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी का दावा है कि सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसी भी विश्वविद्यालय में उर्दू में लिखी हुई रामायण नहीं है. इसकी खास बात यह है कि इसमें तस्वीरें भी दी गई हैं. तस्वीरों से कोई भी स्टूडेंट या पाठक हर बात को आसानी से समझ लेता है. स्टूडेंट्स इसे पढ़ने के लिये बेहद ही उत्सुक रहते हैं. वे दूसरे बच्चों को इसकी जानकारी देते है और इसी तरह ये सिलसिला निरन्तर चलता रहता है. इस धर्म ग्रन्थ में 1000 से ज्यादा पेज हैं जबकि यह क़रीब 103 साल पुरानी है. इसे विश्वविद्यालय में सहेजकर रखा गया है.

यह भी पढ़े-मेरठ के खेल के सामान के साथ खिलौनों की भी डिमांड बढने लगी, ऐसे हुई तरक्की

मेरठ: चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (Chaudhary Charan Singh University) के राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय में 100 साल से भी पुरानी उर्दू में लिखित रामायण (urdu ramayana) संरक्षित है.यह रामायण शोध छात्र छात्राओं के अलावा उर्दू में अध्ययनरत स्टूडेंट के लिए तो उपयोगी है ही, साथ ही हिन्दू मुस्लिम एकता की मिसाल को भी पेश करती है.

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में 103 साल पुरानी उर्दू रामायण.

मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी में यूं तो एक लाख से भी अधिक पुस्तकें हैं. तमाम ग्रन्थ और धर्मग्रन्थ भी हैं लेकिन इस पुस्तकालय की जो सबसे अमूल्य धरोहर है वह है उर्दू में लिखित रामायण. राजा महेन्द्रप्रताप सिंह पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि किसी भी पुस्तकालय की विशेषता जो होती है वह उनके विशेष कलेक्शन से की जाती है. जहां तक राजा महेंद्र प्रताप पुस्तकालय की बात है तो हमारा भी एक विशेष सेक्शन है. इसमें विशेष शैक्षिक कलेक्शन सुरक्षित ढंग से सहेजकर रखा हुआ है .

प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी ने बताया कि, 1919 में लाहौर से उर्दू में रामायण प्रकाशित हुई थी. इस रामायण को महात्मा शिवव्रत लाल ने उर्दू में लिखा था.यह उर्दू में लिखित एक ऐसा धर्मग्रन्थ है जो कि केवल और केवल चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में ही सुरक्षित है.जहां तक इसे पढ़ने की बात है तो उर्दू भाषा जानने वाले विद्यार्थी इसे आकर पढ़ सकते हैं. जल्द ही उर्दू में लिखित रामायण को विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर डिजिटल फॉर्म में लांच करने की तैयारी की जा रही है. इसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अगले महीने में अपलोड कर दिया जाएगा ताकि जो भी स्टूडेंट्स भविष्य में उर्दू भाषा की इस रामायण को पढ़ना चाहें तो आसानी से घर बैठे ही पढ़ सकें .

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प्रोफेसर ज़माल अहमद सिद्दीकी बताते हैं कि उर्दू में लिखित इस रामायण को डिजिटल फॉर्म में कन्वर्ट कर लिया गया है. अब इसकी फॉर्मेटिंग करनी है. अगले एक महीने में यह विश्वविद्यालय की साइट पर निश्चित ही उपलब्ध हो जाएगी.

ईटीवी भारत से खास बातचीत में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में स्थित राजा महेंद्र प्रताप सिंह लाइब्रेरी के पुस्तकालय अध्यक्ष प्रोफेसर डॉक्टर ज़माल अहमद सिद्दीकी का दावा है कि सिर्फ यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश के किसी भी विश्वविद्यालय में उर्दू में लिखी हुई रामायण नहीं है. इसकी खास बात यह है कि इसमें तस्वीरें भी दी गई हैं. तस्वीरों से कोई भी स्टूडेंट या पाठक हर बात को आसानी से समझ लेता है. स्टूडेंट्स इसे पढ़ने के लिये बेहद ही उत्सुक रहते हैं. वे दूसरे बच्चों को इसकी जानकारी देते है और इसी तरह ये सिलसिला निरन्तर चलता रहता है. इस धर्म ग्रन्थ में 1000 से ज्यादा पेज हैं जबकि यह क़रीब 103 साल पुरानी है. इसे विश्वविद्यालय में सहेजकर रखा गया है.

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