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उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड से रहें सावधान, नहीं तो ठग लिए जाएंगे

उत्तर प्रदेश में एक फर्जी संस्था का खुलासा हुआ है. बेरोजगारों को ठगने के लिए जालसाजों ने उत्तर प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग से मिलते जुलते 'उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड' नाम से एक फर्जी संस्था बनाई है. इसकी ओर से प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती का दावा करते हुए करीब 25000 पदों पर आवेदन मांगे गए हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 11, 2021, 7:56 PM IST

लखनऊ : अगर आप भी बेरोजगार हैं और सरकारी शिक्षक की नौकरी के लिए तैयारी कर रहे हैं तो ये खबर आप के लिए है. जी हां, हम ये बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आप जैसे बेरोजगारों को ठगने के लिए कई सारे ठग भी सक्रिय हैं. ऐसी ही एक संस्था का खुलासा हुआ है जो फर्जी है और इस संस्था का नाम है- 'उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड'.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों को ठगने के लिए जालसाजों का एक नया कारनामा खुलकर सामने आया है. इन ठगों ने उत्तर प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग से मिलते जुलते 'उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड' नाम से एक फर्जी संस्था बनाई है. अब इसके नाम पर प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती का दावा कर रहे हैं. इनकी ओर से करीब 25000 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन तक मांग लिया गया है. शनिवार दोपहर यह मामला सामने आया है. ईटीवी भारत ने इसकी पुष्टि माध्यमिक शिक्षा विभाग से कर ली है. ईटीवी भारत के खुलासे के बाद हरकत में आए शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में इस संस्था के फर्जी होने की पुष्टि कर दिया.

शिक्षा विभाग ने जारी किया पत्र.
शिक्षा विभाग ने जारी किया पत्र.


यह है पूरा मामला

'उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड' नाम से शनिवार को उत्तर प्रदेश के स्कूलों में भर्ती के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया. यह विज्ञापन प्रयागराज के कुछ प्रतिष्ठित अखबारों में प्रकाशित हुआ. विज्ञापन ईटीवी भारत की टीम के पास पहुंचा. इस विज्ञापन में एक वेबसाइट का भी जिक्र किया गया था. ईटीवी भारत की प्रारंभिक पड़ताल में इसके फर्जी होने की बात सामने आ गई. जिसके बाद आधिकारिक पक्ष जानने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया.


शिक्षा विभाग में मची हड़कंप

इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में अपर शिक्षा निदेशक शिक्षा निदेशालय प्रयागराज डॉ महेंद्र देव की ओर से पत्र जारी कर दिया गया. उन्होंने अपने पत्र में साफ किया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड (Uttar Pradesh school staff selection Board) इस तरह की किसी भी बोर्ड का गठन नहीं किया गया है. इसकी तरफ से भर्ती के संबंध में जो भी सूचना जारी की गई वह पूरी तरह से फर्जी है.


करीब 25000 पदों पर निकाली गई भर्तियां

इस फर्जी स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड की तरफ से प्रदेशभर के विद्यालयों में करीब 25000 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया. इसमें, शिक्षक वर्ग की योग्यता स्नातक और परास्नातक रखी गई. वहीं कर्मचारियों की योग्यता इंटरमीडिएट मांगी जा रही है. आवेदन की प्रक्रिया शनिवार दोपहर 2:00 बजे से शुरू होनी थी.

आवेदन के नाम पर पैसा इकट्ठा कर हो जाते हैं गायब

यह पहला मामला नहीं है, जब नौकरी के नाम पर बेरोजगारों को ठगने का धंधा खुलकर सामने आया हो. इसके पहले भी कई ऐसे मामले आए हैं, जहां पर ग्रामीण स्कूलों समेत विद्यालयों में अलग-अलग स्तर पर स्टाफ की भर्ती के नाम पर फर्जी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई. हजारों पद रिक्तियां दिखाकर बड़ी संख्या में आवेदन लिए गए. आवेदन शुल्क के नाम पर 500-500 और 1000-1000 रुपए लिए गए और बाद में ठग गायब हो गए. क्योंकि यह रकम बहुत छोटी होती है, इसलिए कोई व्यक्ति इन ठगों के खिलाफ FIR या कानूनी प्रक्रिया में भी नहीं पढ़ना चाहता है. उधर, लाखों बेरोजगार युवकों से मिलने वाला आवेदन शुल्क इन ठगों के लिए बड़ी रकम बन जाती है और ये रकम लेकर गायब हो जाते हैं.


पढ़ेंः अदालतें ब्रिटिश काल की है और इसलिए विभिन्न पहलुओं में कमी है : CJI एनवी रमना

लखनऊ : अगर आप भी बेरोजगार हैं और सरकारी शिक्षक की नौकरी के लिए तैयारी कर रहे हैं तो ये खबर आप के लिए है. जी हां, हम ये बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आप जैसे बेरोजगारों को ठगने के लिए कई सारे ठग भी सक्रिय हैं. ऐसी ही एक संस्था का खुलासा हुआ है जो फर्जी है और इस संस्था का नाम है- 'उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड'.

दरअसल, उत्तर प्रदेश में बेरोजगारों को ठगने के लिए जालसाजों का एक नया कारनामा खुलकर सामने आया है. इन ठगों ने उत्तर प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग से मिलते जुलते 'उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड' नाम से एक फर्जी संस्था बनाई है. अब इसके नाम पर प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती का दावा कर रहे हैं. इनकी ओर से करीब 25000 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन तक मांग लिया गया है. शनिवार दोपहर यह मामला सामने आया है. ईटीवी भारत ने इसकी पुष्टि माध्यमिक शिक्षा विभाग से कर ली है. ईटीवी भारत के खुलासे के बाद हरकत में आए शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में इस संस्था के फर्जी होने की पुष्टि कर दिया.

शिक्षा विभाग ने जारी किया पत्र.
शिक्षा विभाग ने जारी किया पत्र.


यह है पूरा मामला

'उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड' नाम से शनिवार को उत्तर प्रदेश के स्कूलों में भर्ती के लिए एक विज्ञापन जारी किया गया. यह विज्ञापन प्रयागराज के कुछ प्रतिष्ठित अखबारों में प्रकाशित हुआ. विज्ञापन ईटीवी भारत की टीम के पास पहुंचा. इस विज्ञापन में एक वेबसाइट का भी जिक्र किया गया था. ईटीवी भारत की प्रारंभिक पड़ताल में इसके फर्जी होने की बात सामने आ गई. जिसके बाद आधिकारिक पक्ष जानने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया.


शिक्षा विभाग में मची हड़कंप

इस फर्जीवाड़े के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में अपर शिक्षा निदेशक शिक्षा निदेशालय प्रयागराज डॉ महेंद्र देव की ओर से पत्र जारी कर दिया गया. उन्होंने अपने पत्र में साफ किया कि माध्यमिक शिक्षा विभाग की तरफ से उत्तर प्रदेश स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड (Uttar Pradesh school staff selection Board) इस तरह की किसी भी बोर्ड का गठन नहीं किया गया है. इसकी तरफ से भर्ती के संबंध में जो भी सूचना जारी की गई वह पूरी तरह से फर्जी है.


करीब 25000 पदों पर निकाली गई भर्तियां

इस फर्जी स्कूल स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड की तरफ से प्रदेशभर के विद्यालयों में करीब 25000 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया. इसमें, शिक्षक वर्ग की योग्यता स्नातक और परास्नातक रखी गई. वहीं कर्मचारियों की योग्यता इंटरमीडिएट मांगी जा रही है. आवेदन की प्रक्रिया शनिवार दोपहर 2:00 बजे से शुरू होनी थी.

आवेदन के नाम पर पैसा इकट्ठा कर हो जाते हैं गायब

यह पहला मामला नहीं है, जब नौकरी के नाम पर बेरोजगारों को ठगने का धंधा खुलकर सामने आया हो. इसके पहले भी कई ऐसे मामले आए हैं, जहां पर ग्रामीण स्कूलों समेत विद्यालयों में अलग-अलग स्तर पर स्टाफ की भर्ती के नाम पर फर्जी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई. हजारों पद रिक्तियां दिखाकर बड़ी संख्या में आवेदन लिए गए. आवेदन शुल्क के नाम पर 500-500 और 1000-1000 रुपए लिए गए और बाद में ठग गायब हो गए. क्योंकि यह रकम बहुत छोटी होती है, इसलिए कोई व्यक्ति इन ठगों के खिलाफ FIR या कानूनी प्रक्रिया में भी नहीं पढ़ना चाहता है. उधर, लाखों बेरोजगार युवकों से मिलने वाला आवेदन शुल्क इन ठगों के लिए बड़ी रकम बन जाती है और ये रकम लेकर गायब हो जाते हैं.


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