लखनऊ : 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर योगी सरकार और बीजेपी संगठन हर स्तर पर काम कर रही है. प्रदेश के 28 लाख कर्मचारी व पेंशनरों की नाराजगी दूर करने को लेकर एक बड़ा मास्टर स्ट्रोक खेला गया है. सरकार ने कर्मचारियों और पेंशनरों को बढ़ा हुआ मानदेय भत्ता देने का फैसला करके उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की है. काफी समय से महंगाई के कारण लोग परेशान हैं और अब उन्हें किसी न किसी रूप से संतुष्ट करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में जो राज्य कर्मचारी हैं उन्हें संतुष्ट करने के लिए महंगाई भत्ता देने की बात कही गई है. देखना दिलचस्प होगा कि कर्मचारी सरकार की कवायद से संतुष्ट होते हैं या नहीं और इसका सियासी फायदा भाजपा को होता है या नहीं.
11 फीसदी महंगाई भत्ता देकर नाराजगी दूर करने की कोशिश
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 11 फीसद महंगाई भत्ता व महंगाई राहत देने का आदेश जारी किया था. 1 जुलाई 21 से उत्तर प्रदेश के 16 लाख कर्मचारी व 12 लाख पेंशनरों को बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता दिया जाएगा. अब कर्मचारियों व पेंशनरों को 28 फीसद महंगाई भत्ता दिया जाएगा. भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले हर स्तर पर कील कांटे दुरुस्त करने का काम किया है.
बीजेपी नेतृत्व को मिले फीडबैक के बाद यह बड़ा फैसला किया गया है. बीजेपी को यह फीडबैक लगातार मिल रहा था कि कर्मचारियों में काफी नाराजगी है. उनका जो महंगाई भत्ता है, वह नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में चुनाव में इसका नुकसान भी भारतीय जनता पार्टी को उठाना पड़ सकता है. यही कारण है कि बीजेपी नेतृत्व के निर्देश पर योगी आदित्यनाथ सरकार ने 1 जुलाई से बढ़ा हुआ महंगाई भत्ता देने का बड़ा आदेश कर दिया है.
वहीं, कर्मचारी संगठनों की तरफ से कोविड-19 के दौरान जो महंगाई भत्ता नहीं दिया गया था उसे भी दिए जाने की मांग कर रहे हैं. कर्मचारी संगठनों की तरफ से महंगाई भत्ता दिए जाने के आदेश का स्वागत किया गया है और सरकार की सराहना की गई है कि कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखा गया. उत्तर प्रदेश सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र ने कहा है कि सरकार ने कर्मचारियों के हित में फैसला किया है. सरकार से हमारी मांग है कि पिछले 18 महीने तक जो महंगाई भत्ता नहीं दिया गया था, वह भी आने वाले समय में दिया जाए और कर्मचारियों के हितों का सरकार लगातार ध्यान दें और इस में कोई बाधा ना उत्पन्न होने पाए.
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