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हाथरस मामला : सरकार ने नहीं स्वीकार की नौकरी और घर देने जैसी कोई मांग

हाथरस गैंगरेप मामले में 16 दिसंबर को हुई सुनवाई पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश जारी किया. 16 दिसंबर को हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि पीड़िता के परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी और मकान देने जैसी कोई मांग सरकार ने स्वीकार नहीं की है.

हाथरस गैंगरेप
हाथरस गैंगरेप
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Published : Dec 18, 2020, 11:09 PM IST

लखनऊ: हाथरस मामले में 16 दिसंबर को हुई सुनवाई पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश जारी किया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि उन्हें राज्य सरकार से प्राप्त निर्देश के अनुसार पीड़िता के परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी और मकान देने जैसी कोई मांग सरकार ने स्वीकार नहीं की है.

दरअसल, सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार की अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष कहा कि जिलाधिकारी हाथरस ने लिखित आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री के साथ परिवार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर हुई वार्ता के आधार पर उनकी सभी मांगें मान ली गई हैं. बावजूद इसके मुआवजे के अतिरिक्त उनकी किसे भी मांग को पूरा नहीं किया गया है.

पढ़ें- ₹7926 करोड़ का बैंक घोटाला, सीबीआई ने हैदराबाद की कंपनी पर दर्ज किया केस

इस पर राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता ने उत्तर दिया कि उन्हें प्राप्त निर्देशों में बताया गया कि नौकरी और मकान जैसी किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया गया है. हालांकि उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के लिखित आश्वासन के बाबत वह पुनः निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराएंगे. इस पर न्यायाधीश पंकज मित्तल और न्यायाधीश राजन रॉय की खंडपीठ ने उन्हें अगली सुनवाई पर इस संबंध में स्पष्ट निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया.

उल्लेखनीय है कि इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी. इसके पूर्व 16 जनवरी को एमिकस क्यूरी, सभी पक्षों के अधिवक्ता, राज्य सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी और हाथरस के जिलाधिकारी व तत्कालीन एसपी को अंतिम संस्कार से संबंधित मीडिया व अन्य स्त्रोतों से आए फोटो व वीडियो देखने के भी आदेश दिये गए हैं.

लखनऊ: हाथरस मामले में 16 दिसंबर को हुई सुनवाई पर शुक्रवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने आदेश जारी किया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एसवी राजू ने कोर्ट को बताया कि उन्हें राज्य सरकार से प्राप्त निर्देश के अनुसार पीड़िता के परिवार के किसी भी सदस्य को नौकरी और मकान देने जैसी कोई मांग सरकार ने स्वीकार नहीं की है.

दरअसल, सुनवाई के दौरान पीड़िता के परिवार की अधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष कहा कि जिलाधिकारी हाथरस ने लिखित आश्वासन दिया था कि मुख्यमंत्री के साथ परिवार की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर हुई वार्ता के आधार पर उनकी सभी मांगें मान ली गई हैं. बावजूद इसके मुआवजे के अतिरिक्त उनकी किसे भी मांग को पूरा नहीं किया गया है.

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इस पर राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता ने उत्तर दिया कि उन्हें प्राप्त निर्देशों में बताया गया कि नौकरी और मकान जैसी किसी भी मांग को स्वीकार नहीं किया गया है. हालांकि उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी के लिखित आश्वासन के बाबत वह पुनः निर्देश प्राप्त कर कोर्ट को अवगत कराएंगे. इस पर न्यायाधीश पंकज मित्तल और न्यायाधीश राजन रॉय की खंडपीठ ने उन्हें अगली सुनवाई पर इस संबंध में स्पष्ट निर्देश प्राप्त करने का आदेश दिया.

उल्लेखनीय है कि इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी को होगी. इसके पूर्व 16 जनवरी को एमिकस क्यूरी, सभी पक्षों के अधिवक्ता, राज्य सरकार के किसी वरिष्ठ अधिकारी और हाथरस के जिलाधिकारी व तत्कालीन एसपी को अंतिम संस्कार से संबंधित मीडिया व अन्य स्त्रोतों से आए फोटो व वीडियो देखने के भी आदेश दिये गए हैं.

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