लखनऊ : उत्तर प्रदेश (यूपी) में धर्मांतरण के आरोप में गिरफ्तार हुए दोनों आरोपी मौलानाओं को रिमांड पर लेकर एटीएस की टीम ने फिर पूछताछ शुरू कर दी है. इस मामले में रोज नए खुलासे और सबूत सामने आ रहे हैं.
बुधवार को उमर गौतम और जहांगीर ने ATS की पूछताछ में ऐसे कई राज कुबूले हैं. ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के मुताबिक, पूछताछ में पता चला कि दवाह के नाम से कट्टरपंथी और कट्टरपंथी संगठनों द्वारा धर्म परिवर्तन जैसी गतिविधियां चलाई जा रही हैं, जिसे साइलेंट जिहाद का नाम दिया गया है.
ADG का कहना है कि, ISI लखनऊ व दिल्ली के गैर सरकारी संगठनों को फंडिंग करता था. इसमें लखनऊ में मलिहाबाद का अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन भी शामिल है. इसके पुख्ता प्रमाण भी मिले हैं. आरोपी उमर गौतम फाउंडेशन का वाइस प्रेसिडेंट है. उमर एक अन्य संस्था का भी पदाधिकारी है. अब ATS ने अल हसन एजुकेशनल एंड वेलफेयर फाउंडेशन के सातों मेंबर की पड़ताल शुरू कर दी है.
एडीजी के मुताबिक दसवीं तक सीबीएसई बोर्ड के इस स्कूल में 500 बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का भी दावा किया जाता है. 9000 स्क्वायर मीटर में यह स्कूल का बनाया गया है. इकबाल अहमद नदवी संस्था का अध्यक्ष, उमर गौतम उपाध्यक्ष, सचिव नजीबुल हसन और अब्दुल हाई, मुहीब-ए-आलम, आमना रिजवान और मुशीर अहमद सदस्य हैं.
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यूपी एटीएस के राडार पर सात मेंबर
इस फाउंडेशन के सात सदस्य यूपी एटीएस के राडार पर हैं. लखनऊ के साथ हरदोई के रसूलपुर इलाके में भी संस्था गर्ल्स स्कूल संचालित कर रही है. यूपी एटीएस इस स्कूल की भी डिटेल खंगाल रही है. उमर गौतम का दिल्ली के ग्लोबल पीस सेंटर के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसे मौलाना कलीम सिद्दीकी द्वारा संचालित किया जाता है. वह विशेष रूप से मेवात क्षेत्र में धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल है.
देश में चलाए जा रहे 60 से ज्यादा दवाह संस्थान
ATS सूत्रों की मानें तो देशभर में 60 से अधिक इस्लामिक दवाह सेंटर (IDC) चलाए जा रहे हैं. इनके मेन टारगेट पर यूपी, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र हैं. दवाह के नाम से कट्टरपंथी और कट्टरपंथी संगठनों द्वारा धर्म परिवर्तन जैसी गतिविधियां चलाई जा रही हैं, जिसे साइलेंट जिहाद का नाम दिया गया है. उमर गौतम का दिल्ली के ग्लोबल पीस सेंटर के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, जिसे मौलाना कलीम सिद्दीकी द्वारा संचालित किया जाता है. वह विशेष रूप से मेवात क्षेत्र में धर्मांतरण गतिविधियों में शामिल है.
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14 राज्यों में फैला है जाल
एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार के मुताबिक, धर्मांतरण के लिए न सिर्फ विदेशों से पैसा आता था, बल्कि देश के 14 राज्यों में सक्रिय तौर पर धर्मांतरण किया जा रहा है. खास बात ये है कि धर्म परिवर्तन कराने में महिलाओं को ज्यादातर टारगेट किया गया है. इन मौलानाओं पर एक हजार से ज्यादा हिंदुओं को मुसलमान बनाने का आरोप है. हिंदुओं के धर्मांतरण के तार विदेशों से जुड़े होने की भी बात सामने आ रही है.
कतर से हो रही थी फंडिंग
मददगारों की लिस्ट में सांसद बदरुद्दीन अजमल का नाम भी शामिल है. ADG के मुताबिक, ISI फंड को फातिमा चैरिटेबल फाउंडेशन (दिल्ली), लखनऊ की अल हसन एजुकेशन एंड वेलफेयर फाउंडेशन सहित कई भारत-आधारित FCRA पंजीकृत गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से IDC में भेजा जाता है.
मेवात ट्रस्ट फॉर एजुकेशनल वेलफेयर (फरीदाबाद), मरकजुल मारीफ (मुंबई) और ह्यूमन सॉलिडेरिटी फाउंडेशन (दिल्ली) उमर गौतम ने पूछताछ में अजमल बदाउद्दीन (सांसद, लोकसभा / एआईयूडीएफ) द्वारा फंडिंग होने का भी बात कुबूली है. ATS को पता चला है कि धर्मांतरण के लिए लखनऊ और दिल्ली गैर सरकारी संस्थानों को कतर से पैसे आ रहे थे. एटीएस सुबूतों की गहराई से पड़ताल कर रही है.
इरफान शेख मुहैया कराता था मूक-बधिरों की डिटेल
ATS की गिरफ्त में आए आरोपियों का संपर्क सीधा सरकार में संस्थागत तौर पर भी था. ADG की मानें तो इरफान शेख नाम का एक शख्स महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार में बतौर अनुवादक कार्यरत था. शेख IDC को जरूरतमंद मूक-बधिर युवाओं और महिलाओं की डिटेल मुहैया करवा रहा था, जिन्हें आर्थिक मदद देकर धर्मांतरण के लिए टारगेट किया जाता था.
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IDC का कतर स्थित सलाफी उपदेशक डॉ. बिलाल फिलिप्स द्वारा स्थापित इस्लामिक ऑनलाइन विश्वविद्यालय के साथ संबंध हैं, जो जाकिर नाइक के सहयोगी हैं. जांच एजेंसी जल्द ही उस अधिकारी से भी पूछताछ कर सकती है.
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