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उत्तर प्रदेश की चुनावी फिजा में राम के बाद अब गूंजा कृष्णा का नाम...

उत्तर प्रदेश की चुनावी फिजा में अब राम के बाद कृष्ण का नाम गूंज रहा है. सभी राजनीतिक पार्टियों को ऐसा लगता है कि राम की नगरी अयोध्या में मंदिर निर्माण का कार्य शुरू हो चुका है तो कहीं ना कहीं राम पर 'एकाधिकार' भारतीय जनता पार्टी का हो चुका है. ऐसे में अब कृष्ण के नाम पर लोगों की धार्मिक आस्था को टटोला जा रहा है. आखिर क्या है यूपी चुनाव में राम और कृष्ण के मुद्दों का राजनीतिक महत्व, वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की एक रिपोर्ट.

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Published : Jan 6, 2022, 9:24 PM IST

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी सरकार की तरफ से अयोध्या में निर्माण कराए जा रहे राम मंदिर का श्रेय कहीं ना कहीं भाजपा की झोली में ज्यादा दिख रहा है और उसका विकल्प राजनीतिक पार्टियां अब कृष्ण का नाम लेकर पूरा करती हुई दिख रहीं हैं.

यूपी चुनाव पर जानकारी देतीं ईटीवी भारत की संवाददाता

यहां यह बात भी साफ है कि बीजेपी के नेता भी कृष्ण पर अपना दावा नहीं छोड़ रहे और मथुरा में भी मंदिर बनवाने के मुद्दे पर दावे कर रहे हैं, लेकिन 'सपने' में भगवान श्रीकृष्ण के आने और सरकार बनाने का आशीर्वाद देने के सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के दावे और उस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जवाब के बाद भगवान श्रीकृष्ण, राजनीतिक दलों के लिए एक राजनीतिक मुद्दे का विषय बन गए हैं.

इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के एक राष्ट्रीय महासचिव ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि श्रीकृष्ण और मथुरा का मंदिर हर हाल में पार्टी के लिए एक मुद्दा है. इस सवाल पर कि अखिलेश यादव कहते हैं कि उन्हें सपने में भगवान ने आकर कहा कि उनकी सरकार बनने वाली है, पार्टी के नेता ने कहा कि उनकी सरकार सपने में ही बनेगी.

उन्होंने कहा कि हमारे भगवान राम का मंदिर अयोध्या में तोड़ा गया, काशी विश्वनाथ और मथुरा का मंदिर तोड़ा गया, एक तरह से हिंदुओं को हिंदू समाज को अपमानित किया गया और यह भारतीय सनातन धर्म का अपमान है और यदि भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर यूपी की सरकार बनाती है तो इसमें गलत क्या है.

कुल मिलाकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में मात्र विकास की बातें ही नहीं बल्कि राम और कृष्ण भी इस बार चर्चा के विषय हैं.

पढ़ें :- यूपी चुनाव में सीटों के बंटवारे पर सपा के साथ RLD की सहमति

यह मुद्दा तभी से गरमाने लगा था जब हिंदूवादी संगठनों ने दिसंबर में, मथुरा की एक अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसमें यह कहा गया था कि औरंगजेब के जमाने में बनी मथुरा की शाही मस्जिद में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखने की अनुमति दी जाए.

इन संगठनों ने अपनी इस याचिका में बताया था कि मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है और इसी मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं ने काशी में मंदिर बनाने की बात और दावे किए थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अलीगढ़ में एक बिजली परियोजना का उद्घाटन करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के सपने का जिक्र किया था और उन्हें कंस का 'पुजारी' तक बता दिया था.

हालांकि इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां कितना लाभ ले पाएंगी, यह कहना तो अभी मुश्किल है, लेकिन उत्तर प्रदेश की सियासत में राम के बाद अब कृष्ण और मथुरा के मंदिर का मुद्दा गरमाने लगा है.

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी सरकार की तरफ से अयोध्या में निर्माण कराए जा रहे राम मंदिर का श्रेय कहीं ना कहीं भाजपा की झोली में ज्यादा दिख रहा है और उसका विकल्प राजनीतिक पार्टियां अब कृष्ण का नाम लेकर पूरा करती हुई दिख रहीं हैं.

यूपी चुनाव पर जानकारी देतीं ईटीवी भारत की संवाददाता

यहां यह बात भी साफ है कि बीजेपी के नेता भी कृष्ण पर अपना दावा नहीं छोड़ रहे और मथुरा में भी मंदिर बनवाने के मुद्दे पर दावे कर रहे हैं, लेकिन 'सपने' में भगवान श्रीकृष्ण के आने और सरकार बनाने का आशीर्वाद देने के सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के दावे और उस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जवाब के बाद भगवान श्रीकृष्ण, राजनीतिक दलों के लिए एक राजनीतिक मुद्दे का विषय बन गए हैं.

इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के एक राष्ट्रीय महासचिव ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि श्रीकृष्ण और मथुरा का मंदिर हर हाल में पार्टी के लिए एक मुद्दा है. इस सवाल पर कि अखिलेश यादव कहते हैं कि उन्हें सपने में भगवान ने आकर कहा कि उनकी सरकार बनने वाली है, पार्टी के नेता ने कहा कि उनकी सरकार सपने में ही बनेगी.

उन्होंने कहा कि हमारे भगवान राम का मंदिर अयोध्या में तोड़ा गया, काशी विश्वनाथ और मथुरा का मंदिर तोड़ा गया, एक तरह से हिंदुओं को हिंदू समाज को अपमानित किया गया और यह भारतीय सनातन धर्म का अपमान है और यदि भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर यूपी की सरकार बनाती है तो इसमें गलत क्या है.

कुल मिलाकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में मात्र विकास की बातें ही नहीं बल्कि राम और कृष्ण भी इस बार चर्चा के विषय हैं.

पढ़ें :- यूपी चुनाव में सीटों के बंटवारे पर सपा के साथ RLD की सहमति

यह मुद्दा तभी से गरमाने लगा था जब हिंदूवादी संगठनों ने दिसंबर में, मथुरा की एक अदालत में याचिका दाखिल की थी, जिसमें यह कहा गया था कि औरंगजेब के जमाने में बनी मथुरा की शाही मस्जिद में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रखने की अनुमति दी जाए.

इन संगठनों ने अपनी इस याचिका में बताया था कि मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है और इसी मुद्दे को आगे बढ़ाते हुए भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं ने काशी में मंदिर बनाने की बात और दावे किए थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अलीगढ़ में एक बिजली परियोजना का उद्घाटन करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के सपने का जिक्र किया था और उन्हें कंस का 'पुजारी' तक बता दिया था.

हालांकि इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां कितना लाभ ले पाएंगी, यह कहना तो अभी मुश्किल है, लेकिन उत्तर प्रदेश की सियासत में राम के बाद अब कृष्ण और मथुरा के मंदिर का मुद्दा गरमाने लगा है.

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