कोलकाता : यह डेल्टा क्षेत्र पिछले कुछ समय से खतरे में है, लेकिन जानकाराें की मानें ताे पिछली सरकारों ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है. कोलकाता में पिछले साल आए भीषण चक्रवाती तूफान अम्फान के दौरान तबाही से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.
50 मिलियन मैंग्रोव पौधे लगाने की थी योजना
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Chief Minister Mamata Banerjee) ने 2020 में डेल्टा क्षेत्र में चक्रवात के बाद हुई तबाही के बाद 50 मिलियन मैंग्रोव पौधे लगाने की महत्वाकांक्षी योजना का उद्घाटन किया था. लेकिन, कई पर्यावरणविदों ने इसे 'अति महत्वाकांक्षी' याेजना बताया.
विशेषज्ञों का कहना है कि एक हेक्टेयर भूमि पर लगभग 5,000 मैंग्रोव (mangroves) लगाए जा सकते हैं और उस विस्तारित सीमा के साथ 50 मिलियन पौधे लगाने के लिए लगभग 10,000 हेक्टेयर भूमि या 100 वर्ग किमी से कुछ अधिक की आवश्यकता होती. मोटे तौर पर कहें तो यह कोलकाता शहर का लगभग आधा हिस्सा माना जा सकता है.
एक बार में इतनी बड़ी संख्या में पेड़ लगाना एक अव्यावहारिक निर्णय था. डेल्टा क्षेत्र में सिल्ट द्वीप के साथ-साथ बहती नदियों में मैंग्रोव के रोपण के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है.
विशेषज्ञों की चेतावनी सही साबित हुई
विशेषज्ञों की चेतावनी सही साबित हुई है, अम्फान के बाद जो भी मैंग्रोव वनरोपण किया गया था, वह इस साल के चक्रवात यास (Cyclone Yas) के बाद समाप्त हाे गया, हालांकि अम्फान की तुलना में यास की क्षमता कम थी. फिर भी इसकी वजह से अधिकांश नए लगाए गए मैंग्रोव पौधे नष्ट हाे गए.
भारत की ओर सुंदरवन (Sundarbans)अनुमानित 9,630 वर्ग किमी में फैला हुआ है, जिसमें से लगभग 5,400 वर्ग किमी में लाेग रहते हैं. शेष वन क्षेत्र है, जैव-विविधता स्थल है.
चेतावनी के बावजूद अवैध रूप से काटे जा रहे मैंग्रोव पेड़
कई स्थानीय संरक्षणवादी बार-बार सरकार को चेतावनी दे रहे हैं कि ग्रामीणों का एक वर्ग राजनेताओं के समर्थन से मैंग्रोव पेड़ों को अवैध रूप से काट रहा था, लेकिन उन चेतावनियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.
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सुंदरवन के विशेषज्ञों का कहना है कि नए मैंग्रोव लगाने, उनका पोषण करने और उनकी रक्षा करने के लिए ठोस निर्णय लेने का समय आ गया है. वरना फिर एक और चक्रवात उस बफर को प्रभावित करेगा जो कोलकाता महानगर की रक्षा करता है.