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संयुक्त किसान मोर्चा ने किया एमएसपी गारंटी सप्ताह का आवाह्न, देशव्यापी धरना प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने देश भर के किसान संगठनों को सोमवार से एमएसपी गारंटी (MSP ) सप्ताह मनाने का आवाह्न किया है. रविवार को जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता की हर चर्चा में उनकी तरफ से एमएसपी की मांग को दोहराया गया था.

Sanyukt Kisan Morcha story
संयुक्त किसान मोर्चा ने किया एमएसपी गारंटी सप्ताह का आवाह्न
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Published : Apr 10, 2022, 7:36 PM IST

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने देश भर के किसान संगठनों को सोमवार से एमएसपी गारंटी (MSP ) सप्ताह मनाने का आवाह्न किया है. रविवार को जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता की हर चर्चा में उनकी तरफ से एमएसपी की मांग को दोहराया गया था. यह मांग भारत सरकार के किसान आयोग (स्वामीनाथन कमीशन) की सिफारिश, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए दी गई रिपोर्ट और वर्तमान सरकार के दौरान कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश के मुताबिक है. वर्ष 2014 के चुनाव में किसान को लागत का डेढ़ गुना दाम दिलवाने का वादा करने के बावजूद मोदी सरकार मुकर चुकी है.

  • संयुक्त किसान मोर्चा ने की आंदोलन के अगले चरण की घोषणा।
    11 से 17 अप्रैल तक देशभर के किसान मनाएंगे एमएसपी गारंटी सप्ताह।
    जानिए पूरी रणनीति संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रवि आजाद से।@Kisanektamorcha pic.twitter.com/ISuqs6sh7G

    — Ravi Azad BKU (@RAVIAZADBKU) April 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें कि 22 मार्च को केंद्रीय कृषि सचिव की ओर से किसान नेता युद्धवीर सिंह को एमएसपी कमिटी के गठन के लिये तीन किसान नेताओं के नाम भेजने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से आए प्रस्ताव को यह कह कर ठुकरा दिया कि जब तक सरकार की तरफ से कमिटी के गठन पर पूर्ण स्पष्टता नहीं होती तब तक वह इसमें शामिल नहीं होंगे. किसान मोर्चा की मांग है कि एमएसपी केवल 23 फसलों के लिए नहीं, बल्कि फल, सब्जी, वनोपज और दूध, अंडा जैसे समस्त कृषि उत्पाद के लिए तय की जाए.एमएसपी तय करते समय आंशिक लागत (A2+FL) की जगह संपूर्ण लागत (C2) के डेढ़ गुणा को न्यूनतम स्तर रखा जाए.

पढ़ें: किसान आंदोलन में जान फूंकने की कवायद, अब बनेगा MSP गारंटी किसान मोर्चा

एमएसपी की सिर्फ घोषणा न हो, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर किसान को अपने पूरे उत्पाद का कम से कम एमएसपी के बराबर भाव मिले. किसान चाहते हैं कि एमएसपी सरकार के आश्वासन और योजनाओं पर निर्भर न रहे, बल्कि इसे मनरेगा और न्यूनतम मजदूरी की तरह कानूनी गारंटी की शक्ल दी जाए, ताकि एमएसपी न मिलने पर किसान कोर्ट कचहरी में जाकर मुआवजा वसूल कर सके. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को एक बार फिर कहा है कि किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी और अन्य मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की थी. सरकार के 9 दिसंबर के आश्वासन पत्र में भी इसका जिक्र था. लेकिन आज 4 महीने बीतने के बावजूद भी सरकार ने इस समिति का गठन नहीं किया है.

इसी 22 मार्च को सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को समिति में कुछ नाम देने का मौखिक संदेशा भेजा था. लेकिन मोर्चे द्वारा समिति के गठन, इसकी अध्यक्षता, इसके TOR (टर्म्स ऑफ रेफरेंस)और कार्यावधि आदि के बारे में लिखित स्पष्टीकरण की मांग करने के बाद से सरकार ने फिर चुप्पी साध ली है. किसान मोर्चा का आरोप है कि उनके सवाल पर सरकार की नीयत साफ नहीं है.संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बात का भी खंडन किया है कि इस सीजन में किसान को सभी फसलों पर एमएसपी से ऊपर दाम मिल रहे हैं.

पढ़ें: वर्चस्व की लड़ाई में उलझा संयुक्त किसान मोर्चा हुआ दो फाड़

यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं के दाम बढ़े, फिर भी अप्रैल के पहले सप्ताह में देश की अधिकांश मंडियों में गेहूं का दाम सरकारी एमएसपी ₹2,015 से अधिक नहीं था. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की कई मंडियों में गेहूं इससे कम दाम पर बिक रहा है. आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में चना एमएसपी ₹ 5,230 से बहुत नीचे बिक रहा है. कर्नाटक की प्रमुख फसल रागी एमएसपी ₹ 3,377 से बहुत नीचे ₹ 2,500 या और भी कम दाम पर बिक रही है. यही हाल कुसुम (safflower) का है. अरहर, उड़द और शीतकालीन धान की फसल भी एमएसपी से नीचे बिक रही है. (यह सभी आंकड़े सरकार की अपनी वेबसाइट Agrimarknet से अप्रैल के पहले सप्ताह में लिए गए हैं).संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर के किसानों और किसान संगठनों से अपील किया है कि वह 11 से 17 अप्रैल के बीच अपने अपने जिले में कम से कम एक कार्यक्रम का आयोजन करें ताकि एमएसपी के सवाल पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी शुरू की जा सके.

नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने देश भर के किसान संगठनों को सोमवार से एमएसपी गारंटी (MSP ) सप्ताह मनाने का आवाह्न किया है. रविवार को जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा है कि सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता की हर चर्चा में उनकी तरफ से एमएसपी की मांग को दोहराया गया था. यह मांग भारत सरकार के किसान आयोग (स्वामीनाथन कमीशन) की सिफारिश, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए दी गई रिपोर्ट और वर्तमान सरकार के दौरान कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिश के मुताबिक है. वर्ष 2014 के चुनाव में किसान को लागत का डेढ़ गुना दाम दिलवाने का वादा करने के बावजूद मोदी सरकार मुकर चुकी है.

  • संयुक्त किसान मोर्चा ने की आंदोलन के अगले चरण की घोषणा।
    11 से 17 अप्रैल तक देशभर के किसान मनाएंगे एमएसपी गारंटी सप्ताह।
    जानिए पूरी रणनीति संयुक्त किसान मोर्चा के नेता रवि आजाद से।@Kisanektamorcha pic.twitter.com/ISuqs6sh7G

    — Ravi Azad BKU (@RAVIAZADBKU) April 10, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें कि 22 मार्च को केंद्रीय कृषि सचिव की ओर से किसान नेता युद्धवीर सिंह को एमएसपी कमिटी के गठन के लिये तीन किसान नेताओं के नाम भेजने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से आए प्रस्ताव को यह कह कर ठुकरा दिया कि जब तक सरकार की तरफ से कमिटी के गठन पर पूर्ण स्पष्टता नहीं होती तब तक वह इसमें शामिल नहीं होंगे. किसान मोर्चा की मांग है कि एमएसपी केवल 23 फसलों के लिए नहीं, बल्कि फल, सब्जी, वनोपज और दूध, अंडा जैसे समस्त कृषि उत्पाद के लिए तय की जाए.एमएसपी तय करते समय आंशिक लागत (A2+FL) की जगह संपूर्ण लागत (C2) के डेढ़ गुणा को न्यूनतम स्तर रखा जाए.

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एमएसपी की सिर्फ घोषणा न हो, बल्कि यह सुनिश्चित किया जाए कि हर किसान को अपने पूरे उत्पाद का कम से कम एमएसपी के बराबर भाव मिले. किसान चाहते हैं कि एमएसपी सरकार के आश्वासन और योजनाओं पर निर्भर न रहे, बल्कि इसे मनरेगा और न्यूनतम मजदूरी की तरह कानूनी गारंटी की शक्ल दी जाए, ताकि एमएसपी न मिलने पर किसान कोर्ट कचहरी में जाकर मुआवजा वसूल कर सके. संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार को एक बार फिर कहा है कि किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की घोषणा करते हुए 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एमएसपी और अन्य मुद्दों पर विचार करने के लिए एक समिति बनाने की घोषणा की थी. सरकार के 9 दिसंबर के आश्वासन पत्र में भी इसका जिक्र था. लेकिन आज 4 महीने बीतने के बावजूद भी सरकार ने इस समिति का गठन नहीं किया है.

इसी 22 मार्च को सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा को समिति में कुछ नाम देने का मौखिक संदेशा भेजा था. लेकिन मोर्चे द्वारा समिति के गठन, इसकी अध्यक्षता, इसके TOR (टर्म्स ऑफ रेफरेंस)और कार्यावधि आदि के बारे में लिखित स्पष्टीकरण की मांग करने के बाद से सरकार ने फिर चुप्पी साध ली है. किसान मोर्चा का आरोप है कि उनके सवाल पर सरकार की नीयत साफ नहीं है.संयुक्त किसान मोर्चा ने इस बात का भी खंडन किया है कि इस सीजन में किसान को सभी फसलों पर एमएसपी से ऊपर दाम मिल रहे हैं.

पढ़ें: वर्चस्व की लड़ाई में उलझा संयुक्त किसान मोर्चा हुआ दो फाड़

यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं के दाम बढ़े, फिर भी अप्रैल के पहले सप्ताह में देश की अधिकांश मंडियों में गेहूं का दाम सरकारी एमएसपी ₹2,015 से अधिक नहीं था. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की कई मंडियों में गेहूं इससे कम दाम पर बिक रहा है. आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तरप्रदेश में चना एमएसपी ₹ 5,230 से बहुत नीचे बिक रहा है. कर्नाटक की प्रमुख फसल रागी एमएसपी ₹ 3,377 से बहुत नीचे ₹ 2,500 या और भी कम दाम पर बिक रही है. यही हाल कुसुम (safflower) का है. अरहर, उड़द और शीतकालीन धान की फसल भी एमएसपी से नीचे बिक रही है. (यह सभी आंकड़े सरकार की अपनी वेबसाइट Agrimarknet से अप्रैल के पहले सप्ताह में लिए गए हैं).संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर के किसानों और किसान संगठनों से अपील किया है कि वह 11 से 17 अप्रैल के बीच अपने अपने जिले में कम से कम एक कार्यक्रम का आयोजन करें ताकि एमएसपी के सवाल पर राष्ट्रव्यापी आंदोलन की तैयारी शुरू की जा सके.

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