फतेहाबाद: हरियाणा के फतेहाबाद जिले में शादी का एक अलग ही नजारा देखने को मिला. ये शादी इन दिनों प्रदेश भर में चर्चा का विषय बन गई है. दरअसल दो लड़कियों की शादी में ननिहाल से भात भरने की रस्म निभाने वाला कोई नहीं था, ऐसे में भात रस्म को निभाने के लिए उनके ननिहाल पक्ष से करीब 700 लोग एक साथ पहुंच गये. अपनेपन की ये त्सवीर देखकर हर कोई भावुक हो गया. लड़कियों के ननिहाल के गांव के 700 लोगों ने एक साथ दोनों बेटियों की भात की रस्म पूरी की.
इस गांव का है मामला: बता दें कि फतेहाबाद के जांडवाला बागड़ गांव में मीरा की दो बेटियों की शादी हो रही थी. राजस्थान के पास स्थित गांव निठराना की बेटी मीरा की शादी जांडवाला बागड़ गांव में महाबीर माचरा के साथ हुई थी. बाद में पति का देहांत हो गया ऐसे में मीरा ने अकेले ही दोनों बेटियों को पाला-पोसा. बताया जा रहा है कि, मीरा के मायके में उनके पिता जोराराम बेनीवाल का बहुत पहले निधन हो हो गया था. जिसके बाद मीरा का एक भाई संतलाल बचा, जो आगे चलकर संत बन गया. भाई के देहांत के बाद गांव में उसकी समाधि बना दी गई थी.
मीरा ने बेटियों का विवाह तय किया, लेकिन पीहर में भात का रस्म निभाने के लिए कोई नहीं था तो वह गांव नेठराना स्थित भाई की समाधि पर गई और टीका लगाकर भात का न्यौता दे दिया. इसे देखकर पूरा नेठराना गांव के लोग भावुक हो उठे और दोनों बेटियों की शादी में भात भरने का फैसला लिया. इसके बाद उसके मायके के गांव नेठराना से महिला और पुरुषों समेत 700 ग्रामीण भात भरने के लिए पहुंच गये. इस दौरान, शादी समारोह में 700 लोगों का प्यार देखकर दुल्हन मीनू और सोनू समेत सभी की आंखों में आंसू छलक आए. बुधवार देर रात दोनों बेटियों ने दूल्हों संग 7 फेरे लेकर शादी के बंधन में बंध गए. फिलहाल फतेहाबाद में हुई ये शादी चारों और में चर्चा का विषय बन गई है.
शादी में भात रस्म का महत्व: दरअसल शादी में मायके पक्ष (दूल्हा या दुल्हन का ननिहाल) से भात भरने की एक रस्म होती है. भात रस्म को दूल्हे या दुल्हन का मामा निभाते हैं. इस रस्म में शादी से पहले मामा अपने भांजे या भांजी की थाल सजाकर पूजा करते हैं. उसके बाद टीका लगाकर अपनी तरफ से पैसे और सामान का कुछ शगुन देते हैं. इसके बाद शादी की आगे की रस्में शुरू होती है. वहीं, फतेहाबाद में हुई इस शादी में मामा की जगह 700 लोग पहुंचे तो सभी ने दुल्हनों की अलग-अलग भात की रस्में की. इस दौरान करीब 10 लाख का चढ़ावा चढ़ा. इस रस्म में अधिक लोगों के पहुंचने के कारण टीका लगाने में करीब पांच घंटे लग गये.
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