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स्पेन के 'ला टोमाटीना' से खास है उत्तराखंड का बटर फेस्टिवल, 11 हजार फीट पर खेली जाती है मक्खन की होली - उत्तराखंड का बटर फेस्टिवल

उत्तराखंड को कुदरत ने नैसर्गिक खूबसूरती से संवारा है, यहां मीलों तक फैले हरे भरे मखमली बुग्याल आंखों को सुकून देते हैं. इन्हीं खूबसूरत बुग्यालों में दयारा बुग्याल भी शामिल है. यह बुग्याल उस वक्त गुलजार हो जाता है, जब लोग बटर फेस्टिवल या अढूंडी उत्सव मनाने पहुंचते हैं. इस उत्सव में लोग मक्खन की होली खेलते हैं.

Butter Festival of Uttarakhand
उत्तरकाशी बटर फेस्टिवल
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Published : Aug 7, 2023, 8:40 PM IST

Updated : Aug 7, 2023, 10:52 PM IST

बटर फेस्टिवल की खासियत

देहरादून (उत्तराखंड): अक्सर आपने रंगों की होली खेलते हुए लोगों को देखा होगा, लेकिन कभी आपने मक्खन की होली देखी है. शायद आपको सुनकर हैरानी हो होगी, लेकिन यह सच है. यह होली अगस्त महीने में बुग्यालों में खेली जाती है. जिसे बटर फेस्टिवल या अढूंडी उत्सव कहा जाता है, जो अपने आप में बेहद अनूठा और खास उत्सव होता है. इस उत्सव में देवभूमि की संस्कृति और विरासत की झलक का समागम देखने को मिलता है. इस दौरान एक दूसरे पर मक्खन और दही लगाकर होली खेली जाती है.

Butter Festival of Uttarakhand
मखमली बुग्याल में बटर फेस्टिवल

उच्च हिमालय में 11 हजार फीट पर खेली जाती है मक्खन की होलीः दरअसल, मक्खन की यह होली उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के दयारा बुग्याल में खेली जाती है. इस बार भी आगामी 17 अगस्त को दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल मनाई जाएगी. ऐसे में एक बार फिर से दूध, मट्ठा, घी, मक्खन की होली खेलने के लिए रैथल, नटीण, भटवाड़ी, क्यार्क, बंद्राणी के ग्रामीण तैयारी में हैं.

उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में मनाया जाने वाला यह पर्व पूरी तरह से कुदरत को समर्पित है. इस पर्व को अढूंडी उत्सव के रूप में मनाया जाता है. उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर और समुद्र तल से तकरीबन 11 हजार फीट की उंचाई पर मौजूद कई वर्ग किलोमीटर में फैले दयारा बुग्याल में पारंपरिक तौर तरीके से ग्रामीण अढूंडी उत्सव मनाते हैं.

Butter Festival of Uttarakhand
बटर फेस्टिवल में मक्खन की होली

दयारा बुग्याल में मनाए जाने वाले इस अढूंडी उत्सव में स्थानीय लोगों के साथ पर्यटक भी पहुंचने लगे हैं. इतना नहीं विदेशी पर्यटक भी इस पर्व में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. यही वजह है कि उत्तरकाशी के पारंपरिक पर्व को वैश्विक लोकप्रियता मिली है. जिसकी वजह से कुछ लोग स्पेन में होने वाले 'ला टोमाटीना' यानी टमाटर की होली से जोड़ते हुए इसका बटर फेस्टिवल नाम दिया है.
ये भी पढ़ेंः यहां रंग गुलाल से नहीं दूध मक्खन से मनाते हैं त्योहार, देखें बटर फेस्टिवल की ऐतिहासिक तस्वीरें

इसलिए मनाया जाता है बटर फेस्टिवलः रैथल गांव के ग्रामीण हर साल अपने मवेशियों के साथ गर्मियों की दस्तक के साथ ही दयारा बुग्याल स्थित छानियों में चले जाते हैं. दयारा बुग्याल रैथल गांव से 7 किमी की पैदल दूरी पर है. कई किमी तक फैले बुग्याल मवेशियों के आदर्श चारागाह होते हैं. यहां उगने वाले औषधीय गुणों से भरपूर पौधों से गायों की दुग्ध उत्पादन बढ़ती है.

Butter Festival of Uttarakhand
बटर फेस्टिवल में होता है खास

मॉनसून बीतने के साथ ही जब बुग्याल में सर्दियां दस्तक देने लगती है तो ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ वापस गांव लौटने की तैयारियों में जुट जाते हैं, लेकिन इससे पहले ग्रामीण दयारा बुग्याल में मवेशियों एवं उन्हें सुरक्षित रखने, दुधारू पशुओं के दूध में वृद्धि के लिए प्रकृति और स्थानीय देवताओं का आभार जताना नहीं भूलते. प्रकृति का आभार जताने के लिए ही ग्रामीण सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः रुद्रनाथ की खूबसूरती स्वर्ग से सुंदर, देखिए मनमोहक तस्वीरें

ऐसे मनाया जाता है बटर फेस्टिवलः ग्रामीण सदियों से ही भाद्रपद महीने की संक्रांति को पारंपरिक रूप से दूध, मक्खन, मट्ठा की होली खेलते आ रहे हैं. प्रकृति का आभार जताने वाले यह उत्सव ग्रामीणों और प्रकृति के बीच के मधुर संबंध को दर्शाता है. साल 2006 में रैथल के ग्रामीणों की दयारा पर्यटन उत्सव समिति ने इस अनोखी होली को देश विदेश के पर्यटकों से जोड़ने के लिए प्रयास किए और बड़े स्तर पर आयोजन करने का फैसला लिया.

Butter Festival Celebration in Dayara Bugyal
उत्तराखंड का बटर फेस्टिवल

साल 2006 से लेकर अब तक दयारा पर्यटन उत्सव समिति हर साल भाद्रपद माह की संक्रांति यानी अगस्त महीने के मध्य में दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव का भव्य आयोजन करती आ रही है. पूरी दुनिया में मक्खन, मट्ठा, दूध की यह अनोखी होली का आयोजन केवल दयारा बुग्याल में ही होता है. देश विदेश से हजारों पर्यटक भी हर साल इस अनोखे मक्खन की होली में भाग लेने के लिए दयारा बुग्याल पहुंचते हैं.
ये भी पढ़ेंः तस्वीरों में देखें दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल का मनमोहक दृश्य

दयारा के मक्खन की होली के अलावा स्पेन में खेली जाती है टमाटर की अनोखी होलीः उत्तरकाशी के बटर फेस्टिवल के आयोजकों का कहना है कि हिमालय क्षेत्र में मनाया जाने वाला यह दुनिया का एक तरह का आयोजन है. जिस तरह की स्पेन में टमाटर की होली की जाती है, उसी तरह से दयारा बुग्याल में मक्खन की होली खेली जाती है. बता दें कि बटर फेस्टिवल की तरह ही स्पेन में भी टमाटर की होली खेली जाती है. जिसे 'ला टोमाटीना' फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है.

Butter Festival of Uttarakhand
अढूंडी उत्सव में रासो लगाती महिलाएं

स्पेन में होने वाले इस टमाटर की होली में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं. यह फेस्टिवल भी अगस्त महीने में होती है. जहां एक तरफ उत्तरकाशी के बटर फेस्टिवल में तकरीबन 2 क्विंटल मठ्ठा और 100 किलो मक्खन की होली खेली जाती है तो वहीं स्पेन के टमाटर की होली में अनुमानित तौर पर करीब 2,50,000 पाउंड टमाटरों का प्रयोग किया जाता है.

स्पेन में ऐसे हुई थी टमाटर की होली की शुरुआत: दरअसल, स्पेन में टोमाटो फेस्टिवल की शुरुआत साल 1945 में हुई थी. जब एक धरना प्रदर्शन के चलते कुछ लोगों ने स्पेन के शहर में अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए जब पुलिस आगे बढ़ी तो तब लोगों ने पास में मौजूद सब्जी की दुकानों से सब्जियों और फलों को उठाकर पुलिस पर हमला कर दिया. आखिर में जिस मांग को लेकर धरना दिया गया था, उसे सरकार ने माना और उत्सव की तरह तब से इस फेस्टिवल को मनाया जाता है.
ये भी पढ़ेंः कभी देखा है ऐसा अनूठा नजारा, नंगे पांव कुल्हाड़ियों की तेज धार पर चलते हैं 'पश्वा'

बटर फेस्टिवल की खासियत

देहरादून (उत्तराखंड): अक्सर आपने रंगों की होली खेलते हुए लोगों को देखा होगा, लेकिन कभी आपने मक्खन की होली देखी है. शायद आपको सुनकर हैरानी हो होगी, लेकिन यह सच है. यह होली अगस्त महीने में बुग्यालों में खेली जाती है. जिसे बटर फेस्टिवल या अढूंडी उत्सव कहा जाता है, जो अपने आप में बेहद अनूठा और खास उत्सव होता है. इस उत्सव में देवभूमि की संस्कृति और विरासत की झलक का समागम देखने को मिलता है. इस दौरान एक दूसरे पर मक्खन और दही लगाकर होली खेली जाती है.

Butter Festival of Uttarakhand
मखमली बुग्याल में बटर फेस्टिवल

उच्च हिमालय में 11 हजार फीट पर खेली जाती है मक्खन की होलीः दरअसल, मक्खन की यह होली उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के दयारा बुग्याल में खेली जाती है. इस बार भी आगामी 17 अगस्त को दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल मनाई जाएगी. ऐसे में एक बार फिर से दूध, मट्ठा, घी, मक्खन की होली खेलने के लिए रैथल, नटीण, भटवाड़ी, क्यार्क, बंद्राणी के ग्रामीण तैयारी में हैं.

उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में मनाया जाने वाला यह पर्व पूरी तरह से कुदरत को समर्पित है. इस पर्व को अढूंडी उत्सव के रूप में मनाया जाता है. उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर और समुद्र तल से तकरीबन 11 हजार फीट की उंचाई पर मौजूद कई वर्ग किलोमीटर में फैले दयारा बुग्याल में पारंपरिक तौर तरीके से ग्रामीण अढूंडी उत्सव मनाते हैं.

Butter Festival of Uttarakhand
बटर फेस्टिवल में मक्खन की होली

दयारा बुग्याल में मनाए जाने वाले इस अढूंडी उत्सव में स्थानीय लोगों के साथ पर्यटक भी पहुंचने लगे हैं. इतना नहीं विदेशी पर्यटक भी इस पर्व में हिस्सा लेने पहुंचते हैं. यही वजह है कि उत्तरकाशी के पारंपरिक पर्व को वैश्विक लोकप्रियता मिली है. जिसकी वजह से कुछ लोग स्पेन में होने वाले 'ला टोमाटीना' यानी टमाटर की होली से जोड़ते हुए इसका बटर फेस्टिवल नाम दिया है.
ये भी पढ़ेंः यहां रंग गुलाल से नहीं दूध मक्खन से मनाते हैं त्योहार, देखें बटर फेस्टिवल की ऐतिहासिक तस्वीरें

इसलिए मनाया जाता है बटर फेस्टिवलः रैथल गांव के ग्रामीण हर साल अपने मवेशियों के साथ गर्मियों की दस्तक के साथ ही दयारा बुग्याल स्थित छानियों में चले जाते हैं. दयारा बुग्याल रैथल गांव से 7 किमी की पैदल दूरी पर है. कई किमी तक फैले बुग्याल मवेशियों के आदर्श चारागाह होते हैं. यहां उगने वाले औषधीय गुणों से भरपूर पौधों से गायों की दुग्ध उत्पादन बढ़ती है.

Butter Festival of Uttarakhand
बटर फेस्टिवल में होता है खास

मॉनसून बीतने के साथ ही जब बुग्याल में सर्दियां दस्तक देने लगती है तो ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ वापस गांव लौटने की तैयारियों में जुट जाते हैं, लेकिन इससे पहले ग्रामीण दयारा बुग्याल में मवेशियों एवं उन्हें सुरक्षित रखने, दुधारू पशुओं के दूध में वृद्धि के लिए प्रकृति और स्थानीय देवताओं का आभार जताना नहीं भूलते. प्रकृति का आभार जताने के लिए ही ग्रामीण सदियों से इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं.
ये भी पढ़ेंः रुद्रनाथ की खूबसूरती स्वर्ग से सुंदर, देखिए मनमोहक तस्वीरें

ऐसे मनाया जाता है बटर फेस्टिवलः ग्रामीण सदियों से ही भाद्रपद महीने की संक्रांति को पारंपरिक रूप से दूध, मक्खन, मट्ठा की होली खेलते आ रहे हैं. प्रकृति का आभार जताने वाले यह उत्सव ग्रामीणों और प्रकृति के बीच के मधुर संबंध को दर्शाता है. साल 2006 में रैथल के ग्रामीणों की दयारा पर्यटन उत्सव समिति ने इस अनोखी होली को देश विदेश के पर्यटकों से जोड़ने के लिए प्रयास किए और बड़े स्तर पर आयोजन करने का फैसला लिया.

Butter Festival Celebration in Dayara Bugyal
उत्तराखंड का बटर फेस्टिवल

साल 2006 से लेकर अब तक दयारा पर्यटन उत्सव समिति हर साल भाद्रपद माह की संक्रांति यानी अगस्त महीने के मध्य में दयारा बुग्याल में अढूंडी उत्सव का भव्य आयोजन करती आ रही है. पूरी दुनिया में मक्खन, मट्ठा, दूध की यह अनोखी होली का आयोजन केवल दयारा बुग्याल में ही होता है. देश विदेश से हजारों पर्यटक भी हर साल इस अनोखे मक्खन की होली में भाग लेने के लिए दयारा बुग्याल पहुंचते हैं.
ये भी पढ़ेंः तस्वीरों में देखें दयारा बुग्याल में बटर फेस्टिवल का मनमोहक दृश्य

दयारा के मक्खन की होली के अलावा स्पेन में खेली जाती है टमाटर की अनोखी होलीः उत्तरकाशी के बटर फेस्टिवल के आयोजकों का कहना है कि हिमालय क्षेत्र में मनाया जाने वाला यह दुनिया का एक तरह का आयोजन है. जिस तरह की स्पेन में टमाटर की होली की जाती है, उसी तरह से दयारा बुग्याल में मक्खन की होली खेली जाती है. बता दें कि बटर फेस्टिवल की तरह ही स्पेन में भी टमाटर की होली खेली जाती है. जिसे 'ला टोमाटीना' फेस्टिवल के नाम से जाना जाता है.

Butter Festival of Uttarakhand
अढूंडी उत्सव में रासो लगाती महिलाएं

स्पेन में होने वाले इस टमाटर की होली में हजारों की संख्या में लोग शामिल होते हैं. यह फेस्टिवल भी अगस्त महीने में होती है. जहां एक तरफ उत्तरकाशी के बटर फेस्टिवल में तकरीबन 2 क्विंटल मठ्ठा और 100 किलो मक्खन की होली खेली जाती है तो वहीं स्पेन के टमाटर की होली में अनुमानित तौर पर करीब 2,50,000 पाउंड टमाटरों का प्रयोग किया जाता है.

स्पेन में ऐसे हुई थी टमाटर की होली की शुरुआत: दरअसल, स्पेन में टोमाटो फेस्टिवल की शुरुआत साल 1945 में हुई थी. जब एक धरना प्रदर्शन के चलते कुछ लोगों ने स्पेन के शहर में अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया था. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए जब पुलिस आगे बढ़ी तो तब लोगों ने पास में मौजूद सब्जी की दुकानों से सब्जियों और फलों को उठाकर पुलिस पर हमला कर दिया. आखिर में जिस मांग को लेकर धरना दिया गया था, उसे सरकार ने माना और उत्सव की तरह तब से इस फेस्टिवल को मनाया जाता है.
ये भी पढ़ेंः कभी देखा है ऐसा अनूठा नजारा, नंगे पांव कुल्हाड़ियों की तेज धार पर चलते हैं 'पश्वा'

Last Updated : Aug 7, 2023, 10:52 PM IST
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