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पटना में बोले किरेन रिजिजू- मोदी सरकार ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिससे ज्यूडिशरी को नुकसान पहुंचे - कानून मंत्री किरेन रिजिजू

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि देश में लंबित मामलों के निपटारा हेतु सबको मिलकर काम करना होगा. पटना में वकीलों के राष्ट्रीय स्तर सेमिनार (Advocates Seminar In Patna) को संबोधित करते हुए यह बात कही. आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Sep 24, 2022, 11:08 PM IST

पटना : न्यायपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप को लेकर कई बार विपक्ष ने सरकार पर हमला किया है. वहीं दूसरी तरफ केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister Kiren Rijiju) ने साफ किया है कि पिछले 8 साल में मोदी सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे ज्यूडिशरी को नुकसान पहुंचे. पटना के बापू सभागार में बार कांउसिल ऑफ इंडिया और बिहार राज्य बार कांउसिल द्वारा संयुक्त रूप से एक राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित किया गया. इस दौरान किरेन रिजिजू ने सेमिनार को सम्बोधित करते हुए यह बात कही. इस अवसर पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यू यू ललित भी मौजूद थे.

ये भी पढ़ें - पटना में अधिवक्ताओं के नेशनल सेमिनार में बोले CJI- 'वकीलों की सामाजिक भूमिका काफी बड़ी'

''पिछले आठ साल में आपने देखा होगा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार जिस तरीके से काम कर रही है, एक भी हमारा कदम ऐसा नहीं हुआ है, भारत सरकार ने एक भी ऐसा कदम नहीं उठाया है जिससे ज्यूडिशरी को नुकसान पहुंचे. हम ज्यूडिशरी को इंडिपेंडेंट बनाना चाहते हैं और मजबूत बनाना चाहते हैं.''- किरेन रिजिजू, कानून मंत्री, भारत सरकार

4 करोड़ 80 लाख लंबित केस : केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि देश की अदालतों, सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित मामलों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने बताया कि अभी लगभग 4 करोड़ 80 लाख मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं. लगभग 60 हजार मामले सुप्रीम कोर्ट, सभी हाईकोर्ट में लगभग 60 लाख मामले सुनवाई हेतु लंबित हैं. शेष मामले निचली अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित हैं. उन्होंने कहा कि यदि आधुनिक तकनीक के साथ अदालतें और वकील आपस में तालमेल करें, तो लंबित मामलों की संख्या काफी कम हो सकती है.

आपसी तालमेल से सुलझाने होंगे मामले : किरेन रिजिजू ने कहा कि न्याय सिर्फ कोर्ट से ही नहीं मिल सकता है, बल्कि इसके लिए और भी विकल्प हैं. आपसी समझौते, लोक अदालत और न्याय मित्रों की सहायता से बहुत सारे मामलों का निपटारा हो सकता है. इतनी बड़ी संख्या में अदालतों में मामले लंबित होने के लिए सरकार, न्यायपालिका और वकीलों की जिम्मेदारी है, जिसे सभी को आपसी तालमेल से सुलझाना होगा. उन्होंने जजों की शिकायत के सम्बन्ध में कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी की जाती है.

'न्यायपालिका की स्वतंत्रता और मजबूत होना जरूरी' : कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मधुर सम्बन्ध होना चाहिए. सरकार के तीनो अंग, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को देश के कल्याण एवं विकास के लिए एक टीम की तरह काम करना होगा. न्यायपालिका की स्वतंत्रता और मजबूत होना जरूरी है. लेकिन तीनों अंगों के बीच सही तालमेल से ही सभी कार्य सुचारु रुप से होंगे.

'केंद्र सरकार के बजट का उपयोग नहीं किया गया' : केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि कोर्ट में देसी भाषाओं का उपयोग किया जाना चाहिए. हिंदी और क्षेत्रीय भाषा का कोर्ट में उपयोग किया जा सकता है. आधुनिक तकनीक से भाषाओं का अनुवाद भी हो सकता है. इस सुविधा का कोर्ट में उपयोग किया जा सकता है. जिला और अन्य निचली अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. वहां पर बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. इसके लिए केंद्र सरकार ने बजट में 9 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था. लेकिन इस राशि का पूरा उपयोग नहीं किया गया, जो अफसोसजन है.

'896 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे' : किरेन रिजिजू ने अपने सम्बोधन में कहा कि गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए 1800 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाना था, लेकिन अभी 896 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वकील, न्यायालय और समाज के बीच पुल का कार्य करते हैं. आम लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता मिले, इसके लिए न्याय बंधु को नियुक्त किया गया है.

पटना : न्यायपालिका के कार्यों में हस्तक्षेप को लेकर कई बार विपक्ष ने सरकार पर हमला किया है. वहीं दूसरी तरफ केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू (Union Minister Kiren Rijiju) ने साफ किया है कि पिछले 8 साल में मोदी सरकार ने ऐसा कोई काम नहीं किया है जिससे ज्यूडिशरी को नुकसान पहुंचे. पटना के बापू सभागार में बार कांउसिल ऑफ इंडिया और बिहार राज्य बार कांउसिल द्वारा संयुक्त रूप से एक राष्ट्रीय स्तर का समारोह आयोजित किया गया. इस दौरान किरेन रिजिजू ने सेमिनार को सम्बोधित करते हुए यह बात कही. इस अवसर पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया यू यू ललित भी मौजूद थे.

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''पिछले आठ साल में आपने देखा होगा कि नरेन्द्र मोदी की सरकार जिस तरीके से काम कर रही है, एक भी हमारा कदम ऐसा नहीं हुआ है, भारत सरकार ने एक भी ऐसा कदम नहीं उठाया है जिससे ज्यूडिशरी को नुकसान पहुंचे. हम ज्यूडिशरी को इंडिपेंडेंट बनाना चाहते हैं और मजबूत बनाना चाहते हैं.''- किरेन रिजिजू, कानून मंत्री, भारत सरकार

4 करोड़ 80 लाख लंबित केस : केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि देश की अदालतों, सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक बड़ी संख्या में सुनवाई के लिए लंबित मामलों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने बताया कि अभी लगभग 4 करोड़ 80 लाख मामले सुनवाई के लिए लंबित हैं. लगभग 60 हजार मामले सुप्रीम कोर्ट, सभी हाईकोर्ट में लगभग 60 लाख मामले सुनवाई हेतु लंबित हैं. शेष मामले निचली अदालतों में सुनवाई के लिए लंबित हैं. उन्होंने कहा कि यदि आधुनिक तकनीक के साथ अदालतें और वकील आपस में तालमेल करें, तो लंबित मामलों की संख्या काफी कम हो सकती है.

आपसी तालमेल से सुलझाने होंगे मामले : किरेन रिजिजू ने कहा कि न्याय सिर्फ कोर्ट से ही नहीं मिल सकता है, बल्कि इसके लिए और भी विकल्प हैं. आपसी समझौते, लोक अदालत और न्याय मित्रों की सहायता से बहुत सारे मामलों का निपटारा हो सकता है. इतनी बड़ी संख्या में अदालतों में मामले लंबित होने के लिए सरकार, न्यायपालिका और वकीलों की जिम्मेदारी है, जिसे सभी को आपसी तालमेल से सुलझाना होगा. उन्होंने जजों की शिकायत के सम्बन्ध में कहा कि सोशल मीडिया पर जजों के विरुद्ध अभद्र टिप्पणी की जाती है.

'न्यायपालिका की स्वतंत्रता और मजबूत होना जरूरी' : कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मधुर सम्बन्ध होना चाहिए. सरकार के तीनो अंग, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका को देश के कल्याण एवं विकास के लिए एक टीम की तरह काम करना होगा. न्यायपालिका की स्वतंत्रता और मजबूत होना जरूरी है. लेकिन तीनों अंगों के बीच सही तालमेल से ही सभी कार्य सुचारु रुप से होंगे.

'केंद्र सरकार के बजट का उपयोग नहीं किया गया' : केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि कोर्ट में देसी भाषाओं का उपयोग किया जाना चाहिए. हिंदी और क्षेत्रीय भाषा का कोर्ट में उपयोग किया जा सकता है. आधुनिक तकनीक से भाषाओं का अनुवाद भी हो सकता है. इस सुविधा का कोर्ट में उपयोग किया जा सकता है. जिला और अन्य निचली अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. वहां पर बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. इसके लिए केंद्र सरकार ने बजट में 9 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था. लेकिन इस राशि का पूरा उपयोग नहीं किया गया, जो अफसोसजन है.

'896 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे' : किरेन रिजिजू ने अपने सम्बोधन में कहा कि गंभीर मामलों की सुनवाई के लिए 1800 फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाना था, लेकिन अभी 896 फास्ट ट्रैक कोर्ट काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि वकील, न्यायालय और समाज के बीच पुल का कार्य करते हैं. आम लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता मिले, इसके लिए न्याय बंधु को नियुक्त किया गया है.

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