झांसीः केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर ने ज्ञानवापी विवाद को लेकर सवाल उठाया कि ज्ञानवापी हिंदी शब्द है, आखिर यह मस्जिद का नाम कैसे हो सकता है? अगर मस्जिद का नाम उर्दू या अरबी में होता तो मान लेते कि मस्जिद बनाई गई है.
उन्होंने कहा कि जो भी धर्म होता है उसकी अपनी एक भाषा होती है, हमारे सनातन धर्म की हिंदी व संस्कृत भाषा है. उर्दू और अरबी मुस्लमानों व इस्लाम की भाषा है. पंजाबी सरदारों की और ईसाइयों की भाषा अंग्रेजी है. जो भी लोग धार्मिक स्थल बनवाते हैं वह नाम भी उसी धर्म की भाषा में रखते हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ज्ञानवापी पर कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह मान्य होगा. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव और ओवैसी जानबूझकर मुस्लिम भाइयों को उकसा रहे हैं. उन्होंने कहा कि आजम खान को जमानत मिलने पर कहा कि कोर्ट का निर्णय मान्य है. जेल में वह सबसे मिले लेकिन जब अखिलेश यादव का प्रतिनिधि मंडल मिलने पहुंचा तो उन्होंने मना कर दिया. उनकी अखिलेश से कुछ अपेक्षा रही होगी जो पूरी नहीं हुई.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अखिलेश यादव महान आदमी हैं, जब उनकी सरकार थी, तब उन्होंने जिंदा लोगों के लिए काम नहीं किया बल्कि मुर्दों के लिए काम किया. एक लाख से ज्यादा कब्रिस्तान की बाउंड्री करा दी. अगर कब्रिस्तान के बजाय आवास देते तो इतने रुपए में 4 लाख आवास बन जाते.
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