नई दिल्ली : देश में नई स्क्रैपिंग पॉलिसी की घोषणा कर दी गई है. इसके तहत 15 साल पुराने व्यावसायिक वाहनों के लिए फिटनेस टेस्ट जरूरी कर दिया गया है. इसी तरह 20 साल पुरानी प्राइवेट गाड़ियों के लिए भी ऐसा करना जरूरी हो गया है.
प्रदूषण रोकने और खराब गुणवत्ता वाले वाहनों के हटाने के लिए ऐसा किया गया है. पहली श्रेणी के वाहनों के लिए फिटनेस संबंधी अनिवार्य जांच 1 अप्रैल 2023 से शुरू होगी.
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सदन में गाड़ियों की फिटनेस से संबंधित नई स्क्रैपिंग पॉलिसी की घोषणा की. इस पॉलिसी के अनुसार 20 साल से पुरानी गाड़ियों को अब फिटनेस टेस्ट देना होगा. यदि वह पर्यावरण के मानक व्यवस्था पर खरी उतरती हैं तभी वह सड़कों पर उतर पाएंगी. इसके अलावा कमर्शियल गाड़ियों के लिए यह समय सीमा 15 साल की की गई है.
गडकरी ने कहा कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को कम करने से ऑटोमोबाइल क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन आएगा. उन्होंने कहा कि इससे वाहनों की ईंधन खपत तो कम होगी ही साथ ही उद्योगों के लिए कम कीमत में कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ेगी. केंद्र तथा राज्य सरकारों के जीएसटी में भी वृद्धि होगी.
उन्होंने कहा कि इस नीति के लागू होने से देश में तीन करोड़ 70 लाख से अधिक रोजगार सृजित होंगे और साथ ही इस योजना के तहत पुराने और खराब गुणवत्ता वाले वाहनों को पंजीकृत ट्रैपिंग केंद्रों में जमा कराने वाले वाहन मालिकों को स्क्रेपिंग प्रमाण पत्र भी मिलेगा.
'ऑटोमोबाइल क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करेगा भारत'
उन्होंने कहा कि भारत अगले 5 वर्षों में ऑटोमोबाइल क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करेगा और अगले 1 साल में 100% लिथियम आयन बैटरी का स्वदेश में उत्पादन होने लगेगा. गडकरी ने कहा कि इस नीति की विशेषता यह होगी कि खराब गुणवत्ता वाले वाहन या पंजीकरण का नवीनीकरण न कराने वाले निजी वाहनों की वैधता 20 साल के बाद खत्म कर दी जाएगी और साथ ही फिटनेस प्रमाणपत्र न लेने वाले व्यवसायिक वाहनों का पंजीकरण भी 15 साल के बाद खत्म कर दिया जाएगा.
उन्होंने बताया कि सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों के 15 साल पुराने वाहनों को स्टेप करने की समय सीमा 1 अप्रैल 2022 रखी गई है जबकि भारी व्यावसायिक वाहनों के लिए फिटनेस संबंधी अनिवार्य जांच 1 अप्रैल 2023 से शुरू होगी. इसी तरह दूसरी श्रेणी के वाहनों के लिए भी चरणबद्ध तरीके से फिटनेस जांच 1 जून 2024 से शुरू होगी.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पॉलिसी इस बात को ध्यान में रखते हुए लाई गई है कि देश में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सरकार काफी चिंतित है और जिसके कई साइड इफेक्ट हैं. जब पुरानी गाड़ियों के फिटनेस टेस्ट कराए जाएंगे तो प्रदूषण को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकेगा. इसके अलावा पुरानी गाड़ियों की वजह से सड़कों पर कई दिक्कतें आती है और दुर्घटना का भी खतरा बना रहता है.
जीएसटी से बढ़ेगी आय
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा यह पॉलिसी एक विन विन पॉलिसी की तरह होगी और यह फ्यूल एफिशिएंसी को बढ़ाने में सहायक होगी तथा वातावरण से प्रदूषण को घटाने और साथ ही साथ जीएसटी की आय को भी बढ़ाने में सहायक होगी.
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने यह भी कहा कि इससे सड़क सुरक्षा में सुधार तो होगा ही साथ ही साथ प्रदूषण एवं ईंधन खपत में भी कमी आएगी. इससे पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाने के लिए सरकार उनका फिटनेस टेस्ट करेगी. जो समय सीमा तय की गई है वह अपने आप में काफी पर्याप्त है.