चमोली (उत्तराखंड): केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के सीमांत जिला चमोली के जोशीमठ के ढाक पहुंचे. जहां से उन्होंने बीआरओ यानी सीमा सड़क संगठन की ओर से निर्मित 35 इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं का उद्घाटन कर देश को समर्पित किया. इसमें 7 राज्यों की 6 सड़कें और 29 ब्रिज शामिल हैं. इन परियोजनाओं को बीआरओ ने 669.69 करोड़ की लागत से पूरा किया है.
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Speaking at the inauguration of 35 BRO Projects across seven States & UTs. https://t.co/jopsFBisyT
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इन परियोजनाओं का किया लोकार्पण: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 7 राज्यों की जिन परियोजनाओं का उद्घाटन किया. उनमें जम्मू कश्मीर में 1 सड़क और 10 पुल, लद्दाख में 3 सड़कें और 6 पुल, हिमाचल प्रदेश में 1 पुल, उत्तराखंड में 3 पुल, सिक्किम में 2 सड़कें, अरूणाचल प्रदेश में 8 पुल और मिजोरम में 1 पुल शामिल है.
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उत्तराखंड में इन 3 पुलों का हुआ उद्घाटन: उत्तराखंड के 3 पुलों की बात करें तो भारत चीन सीमा को जोड़ने वाले जोशीमठ-मलारी मार्ग पर ढाक ब्रिज और भापकुंड ब्रिज बनाया गया है. जबकि, सुमना-रिमखिम मोटर मार्ग पर रिमखिम गाढ ब्रिज को शिवालिक परियोजना के तहत तैयार किया है. इन तीनों पुलों को करीब 33.24 करोड़ लागत से बनाए गए हैं. अब इन पुलों से सीमांत क्षेत्रों में आवागमन सुगम हो गया है.
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राजनाथ सिंह ने की बीआरओ की तारीफ: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा. इन परियोजनाओं को सीमा सड़क संगठन ने समय पर पूरा किया है. जो तारीफ के काबिल है. साथ ही उन्होंने पर्यावरण के अनुकूल ज्यादातर राष्ट्रीय सुरक्षा और कल्याण के मंत्र के साथ काम करने का आह्वान भी किया.
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सीमांत क्षेत्रों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ रहा बीआरओ: रक्षा मंत्री ने देश के सीमावर्ती बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए बीआरओ की सराहना की. उन्होंने कहा कि सड़क, पुल आदि का निर्माण कर बीआरओ दूर दराज के इलाकों को भौगोलिक दृष्टि से देश के बाकी हिस्सों से जोड़ रहा है. साथ ही दूर दराज के गांवों में रहने वाले लोगों के दिलों को बाकी नागरिकों के साथ भी जोड़ रहा है.
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आज भारत के सीमावर्ती इलाकों के किसी सुदूर गांव में बैठा हुआ व्यक्ति, सड़कों या पुलों के माध्यम से खुद को भारत के बाकी क्षेत्रों से जुड़ा हुआ महसूस करता है, तो इसमें BRO का बहुत बड़ा योगदान है: श्री @rajnathsingh
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सीमावर्ती क्षेत्र मुख्यधारा का हिस्सा हैं, न कि बफर जोन: रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार सीमावर्ती क्षेत्रों को मुख्यधारा का हिस्सा मानती है न कि बफर जोन. एक समय था, जब सीमा पर बुनियादी ढांचे के विकास को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था. इस मानसिकता के साथ सरकारें काम करती थी कि मैदानी इलाकों में रहने वाले ही मुख्यधारा के लोग हैं. उन्हें चिंता थी कि सीमा पर घटनाक्रम का इस्तेमाल दुश्मन कर सकते हैं.
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उन्होंने कहा कि इसी संकीर्ण मानसिकता के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों तक विकास ही नहीं पहुंच सका. ये सोच आज बदल गई है. पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार देश की सुरक्षा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है. हमारी सरकार इन क्षेत्रों को बफर जोन नहीं मानती है, ये हमारी मुख्यधारा का हिस्सा हैं.
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जलवायु परिवर्तन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला: वहीं, राजनाथ सिंह ने जलवायु परिवर्तन को सिर्फ मौसम संबंधी घटना नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा बेहद गंभीर मुद्दा बताया. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय इसे बहुत गंभीरता से ले रहा है. इस संबंध में मित्र देशों से सहयोग मांगेगा. राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए हाल ही में शुरू किए गए सिलक्यारा टनल ऑपरेशन में बीआरओ के योगदान का भी जिक्र किया.
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