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स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत, अमेरिका के बीच MoU को मंजूरी

भारत और अमेरिका के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) एचआईवी, टीबी, कोविड-19 और अन्य संक्रामक बीमारियों को रोकने तथा उनका इलाज करने के लिए नए, बेहतर और नवोन्मेषी जैव चिकित्सा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान करेगा. साथ ही कई अन्य एमओयू को मंजूरी दी गई है.

union cabinet decisions
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Published : Jun 8, 2022, 10:34 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और अमेरिका के बीच समझौता ज्ञापन को बुधवार को मंजूरी दे दी. सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय एड्स वैक्सीन पहल (आईएवीआई) के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी गई.

बयान में कहा गया है कि यह एचआईवी, टीबी, कोविड-19 और अन्य संक्रामक बीमारियों को रोकने तथा उनका इलाज करने के लिए नए, बेहतर और नवोन्मेषी जैव चिकित्सा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान करेगा. बयान के मुताबिक, यह समझौता ज्ञापन पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग की रूपरेखा के अंतर्गत भारत तथा अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा.

10 संचार उपग्रहों को एनएसआईएल को हस्तांतरित करने को मंजूरी
साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 अंत: कक्षीय (इन-ऑर्बिट) संचार उपग्रहों को भारत सरकार से न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी है. सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 10 इन-ऑर्बिट संचार उपग्रहों को भारत सरकार से न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को हस्तांतरित करने को मंजूरी प्रदान कर दी.

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड, अंतरिक्ष विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम है. बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल ने एनएसआईएल की अधिकृत शेयर पूंजी को 1000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7500 करोड़ रुपये करने को भी मंजूरी दे दी है. इसमें कहा गया है कि एनएसआईएल को इन परिसंपत्तियों का हस्तांतरण होने से इस कंपनी को कार्यक्रमों/परियोजनाओं पर अमल करने के लिए जरूरी वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी.

सरकार को इससे अंतरिक्ष क्षेत्र में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को गति मिलने और वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है. बयान के अनुसार, अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों ने एनएसआईएल को समग्र वाणिज्यिक अंतरिक्ष गतिविधियों को शुरू करने और एक पूर्ण उपग्रह ऑपरेटर के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया है. इसमें कहा गया है कि एनएसआईएल बोर्ड को अब उपग्रह संचार के क्षेत्र में बाजार के परिदृश्य तथा वैश्विक रुझानों के अनुरूप ट्रांसपोंडरों का मूल्य निर्धारित करने का अधिकार होगा. इसके तहत एनएसआईएल को अपनी आंतरिक नीतियों एवं दिशानिर्देशों के अनुसार क्षमता प्रस्तुत करने और उसे आवंटित करने के लिए भी अधिकृत किया गया है.

औद्योगिक सहयोग पर भारत-यूएई समझौते की मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच उद्योगों और उन्नत प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक द्विपक्षीय सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी. आधिकारिक बयान में कहा गया कि एमओयू के तहत उद्योगों की आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन, नवीकरणीय और ऊर्जा दक्षता, स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान, अंतरिक्ष प्रणाली, कृत्रिम बुद्धि, मानकीकरण, माप पद्धित और हलाल प्रमाणीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत किया जाएगा. एमओयू का मकसद निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उद्योगों में प्रमुख प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के जरिए दोनों देशों में उद्योगों को बढ़ावा देना है. एमओयू के लागू होने से आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा.

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच जल सुरक्षा के क्षेत्र में एमओयू को मंजूरी
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-ऑस्ट्रेलिया जल सुरक्षा पहल (एआईडब्ल्यूएएसआई) के लिये तकनीकी सहयोग को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी है. सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान भारत सरकार के शहरी एवं आवास मामलों के मंत्रालय तथा आस्ट्रेलिया के विदेश एवं कारोबार मामलों के विभाग के बीच शहरी जल प्रबंधन के लिये तकनीकी सहयोग से संबंधित इस समझौता ज्ञापन की जानकारी दी गई.

यह भी पढ़ें- सरकार ने 2022-23 के लिए धान का MSP ₹100 रुपये बढ़ाकर किया ₹2,040 प्रति क्विंटल

इस समझौता ज्ञापन पर दिसंबर 2021 में हस्ताक्षर किये गए थे. बयान के अनुसार, यह समझौता ज्ञापन शहरी जल सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करेगा. यह शहरी जल प्रबंधन के लिए सभी स्तरों पर संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करेगा और पानी तथा स्वच्छता सेवाओं की पहुंच, सामर्थ्य और गुणवत्ता में सुधार करेगा. इससे पानी की उपलब्‍धता वाले शहरों की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा तथा जल प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी बढ़ने और बुनियादी ढांचे के विकास से सामाजिक समावेश में सुधार लाया जा सकेगा. यह समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों को शहरी जल सुरक्षा के प्रमुख क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान में सहायता प्रदान करेगा.

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान के एमओयू को मंजूरी
वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जापान स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरमेंटल स्टडीज (एनआईएएस) और भारत के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के बीच वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को बुधवार को मंजूरी दी है. सरकारी बयान के अनुसार, इसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान (बाद में "संयुक्त अनुसंधान" के रूप में संदर्भित) करना और इन्हें कार्यान्वित करना है. इसके तहत वैज्ञानिक उपकरणों का संयुक्त उपयोग और संचालन करने, निगरानी विधियों पर वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान करने तथा संबंधित आंकड़ों का संयुक्त विश्लेषण और वैज्ञानिक रिपोर्ट बनाना आदि कार्य शामिल है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत और अमेरिका के बीच समझौता ज्ञापन को बुधवार को मंजूरी दे दी. सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) तथा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय एड्स वैक्सीन पहल (आईएवीआई) के बीच समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी गई.

बयान में कहा गया है कि यह एचआईवी, टीबी, कोविड-19 और अन्य संक्रामक बीमारियों को रोकने तथा उनका इलाज करने के लिए नए, बेहतर और नवोन्मेषी जैव चिकित्सा उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के विकास में योगदान करेगा. बयान के मुताबिक, यह समझौता ज्ञापन पारस्परिक हित के क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग की रूपरेखा के अंतर्गत भारत तथा अमेरिका के बीच संबंधों को और मजबूत करेगा.

10 संचार उपग्रहों को एनएसआईएल को हस्तांतरित करने को मंजूरी
साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 अंत: कक्षीय (इन-ऑर्बिट) संचार उपग्रहों को भारत सरकार से न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को हस्तांतरित करने के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दी है. सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में 10 इन-ऑर्बिट संचार उपग्रहों को भारत सरकार से न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) को हस्तांतरित करने को मंजूरी प्रदान कर दी.

न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड, अंतरिक्ष विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत भारत सरकार का पूर्ण स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का एक उपक्रम है. बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल ने एनएसआईएल की अधिकृत शेयर पूंजी को 1000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7500 करोड़ रुपये करने को भी मंजूरी दे दी है. इसमें कहा गया है कि एनएसआईएल को इन परिसंपत्तियों का हस्तांतरण होने से इस कंपनी को कार्यक्रमों/परियोजनाओं पर अमल करने के लिए जरूरी वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी.

सरकार को इससे अंतरिक्ष क्षेत्र में घरेलू आर्थिक गतिविधियों को गति मिलने और वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने की उम्मीद है. बयान के अनुसार, अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों ने एनएसआईएल को समग्र वाणिज्यिक अंतरिक्ष गतिविधियों को शुरू करने और एक पूर्ण उपग्रह ऑपरेटर के रूप में कार्य करने का अधिकार दिया है. इसमें कहा गया है कि एनएसआईएल बोर्ड को अब उपग्रह संचार के क्षेत्र में बाजार के परिदृश्य तथा वैश्विक रुझानों के अनुरूप ट्रांसपोंडरों का मूल्य निर्धारित करने का अधिकार होगा. इसके तहत एनएसआईएल को अपनी आंतरिक नीतियों एवं दिशानिर्देशों के अनुसार क्षमता प्रस्तुत करने और उसे आवंटित करने के लिए भी अधिकृत किया गया है.

औद्योगिक सहयोग पर भारत-यूएई समझौते की मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच उद्योगों और उन्नत प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक द्विपक्षीय सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी. आधिकारिक बयान में कहा गया कि एमओयू के तहत उद्योगों की आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन, नवीकरणीय और ऊर्जा दक्षता, स्वास्थ्य और जीवन विज्ञान, अंतरिक्ष प्रणाली, कृत्रिम बुद्धि, मानकीकरण, माप पद्धित और हलाल प्रमाणीकरण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत किया जाएगा. एमओयू का मकसद निवेश, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और उद्योगों में प्रमुख प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल के जरिए दोनों देशों में उद्योगों को बढ़ावा देना है. एमओयू के लागू होने से आपसी सहयोग के सभी क्षेत्रों में अनुसंधान और नवाचार को भी बढ़ावा मिलेगा.

भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच जल सुरक्षा के क्षेत्र में एमओयू को मंजूरी
इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत-ऑस्ट्रेलिया जल सुरक्षा पहल (एआईडब्ल्यूएएसआई) के लिये तकनीकी सहयोग को लेकर दोनों देशों के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) को मंजूरी दी है. सरकारी बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान भारत सरकार के शहरी एवं आवास मामलों के मंत्रालय तथा आस्ट्रेलिया के विदेश एवं कारोबार मामलों के विभाग के बीच शहरी जल प्रबंधन के लिये तकनीकी सहयोग से संबंधित इस समझौता ज्ञापन की जानकारी दी गई.

यह भी पढ़ें- सरकार ने 2022-23 के लिए धान का MSP ₹100 रुपये बढ़ाकर किया ₹2,040 प्रति क्विंटल

इस समझौता ज्ञापन पर दिसंबर 2021 में हस्ताक्षर किये गए थे. बयान के अनुसार, यह समझौता ज्ञापन शहरी जल सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करेगा. यह शहरी जल प्रबंधन के लिए सभी स्तरों पर संस्थागत क्षमताओं को मजबूत करेगा और पानी तथा स्वच्छता सेवाओं की पहुंच, सामर्थ्य और गुणवत्ता में सुधार करेगा. इससे पानी की उपलब्‍धता वाले शहरों की चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा तथा जल प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी बढ़ने और बुनियादी ढांचे के विकास से सामाजिक समावेश में सुधार लाया जा सकेगा. यह समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों को शहरी जल सुरक्षा के प्रमुख क्षेत्र में तकनीकी प्रगति के बारे में जानकारी के आदान-प्रदान में सहायता प्रदान करेगा.

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान के एमओयू को मंजूरी
वहीं, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जापान स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरमेंटल स्टडीज (एनआईएएस) और भारत के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस) के बीच वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान के लिए हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को बुधवार को मंजूरी दी है. सरकारी बयान के अनुसार, इसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता और जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त अनुसंधान (बाद में "संयुक्त अनुसंधान" के रूप में संदर्भित) करना और इन्हें कार्यान्वित करना है. इसके तहत वैज्ञानिक उपकरणों का संयुक्त उपयोग और संचालन करने, निगरानी विधियों पर वैज्ञानिक और तकनीकी जानकारी का आदान-प्रदान करने तथा संबंधित आंकड़ों का संयुक्त विश्लेषण और वैज्ञानिक रिपोर्ट बनाना आदि कार्य शामिल है.

(पीटीआई-भाषा)

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