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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिए कई फैसले खनिजों की रॉयल्टी से जुड़े कानून में संशोधन को मंजूरी दी

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Published : Mar 9, 2022, 4:37 PM IST

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने बुधवार को कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर स्पष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम (Mines and Minerals (Development and Regulation) Act), 1957 में संशोधन को मंजूरी दे दी. इसके अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने सरकारी एजेंसियों और उन सार्वजनिक उपक्रमों की अधिशेष भूमि और इमारतों का मौद्रीकरण करने के लिए राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (National Land Monetization Corporation) (एनएलएमसी) की स्थापना को भी मंजूरी दी है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) (ICMR) और जर्मनी के डॉयशे फोर्सचुंग्सजेमइंशाफ्ट ई.वी. (डीएफजी) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को बुधवार को भी मंजूरी मिली.

PM Narednra Modi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने बुधवार को कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर स्पष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम (Mines and Minerals (Development and Regulation) Act), 1957 में संशोधन को मंजूरी दे दी. इससे इन खनिजों के भंडार की नीलामी का रास्ता साफ होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता (The Union Cabinet Meeting, chaired by PM) में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लैटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिब्डेनम जैसे कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर स्पष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दी गई.

  • The Union Cabinet, chaired by PM @narendramodi ji, has approved the setting up of the National Land Monetization Corporation as a wholly owned Government of India company with an initial authorized capital of Rs 5000 crore and paid-up capital of Rs 150 crore.#CabinetDecisions

    — Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) March 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मंत्रिमंडल की इस मंजूरी से इन खनिजों के भंडार की नीलामी हो पाएगी. इससे इन खनिजों का आयात घटेगा और साथ ही खनन क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.इस मंजूरी से अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी इन खनिजों के आयात का घरेलू विकल्प भी तैयार होगा. इस तरह मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत होगी. इन खनिजों के स्थानीय उत्पादन से दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी. खनिज रियायतों के नए दौर में आगे बढ़ने के लिए इस अधिनियम में वर्ष 2015 में संशोधन किया गया था. देश की खनिज संपदा के आवंटन में पारदर्शिता और भेदभाव-रहित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए नीलामी का तरीका अपनाया गया था.

  • Our Cabinet led by PM @narendramodi ji has approved the establishment of WHO Global Centre for traditional medicine in India.

    First of its kind, this centre will help take our indigenous knowledge and position our AYUSH systems across the world.#CabinetDecisions

    — Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) March 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

खनिज क्षेत्र में और तेजी लाने के लिए इस अधिनियम को वर्ष 2021 में फिर संशोधित किया गया. इस दौरान सरकार ने खनिज भंडार की नीलामी को बढ़ावा दिया, उत्पादन में बढ़ोतरी की, देश में व्यापार सुगमता में सुधार किया और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनिज उत्पादन का योगदान बढ़ाया. ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लैटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिब्डेनम के मामले में देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर है. खनिज आत्मनिर्भरता के लिए कई राज्य सरकारों ने नीलामी के लिए ऐसे खनिज ब्लॉकों की पहचान की है. खान मंत्रालय ने नीलामी में भागीदारी बढ़ाने के लिए रॉयल्टी की तर्कसंगत दर का प्रस्ताव रखा था जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के साथ विस्तृत परामर्श करने के बाद इन दरों को तय किया गया है. खान मंत्रालय इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना की पद्धति प्रदान करेगा, जो इन खनिज ब्लॉकों की नीलामी शुरू करने के लिए जरूरी है.

पढ़ेंः केंद्र सरकार ने पांच साल के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को दी मंजूरी

अधिशेष भूमि के मौद्रीकरण के लिए ‘राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम’ के गठन को मंत्रिमंडल की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने सरकारी एजेंसियों और उन सार्वजनिक उपक्रमों की अधिशेष भूमि और इमारतों का मौद्रीकरण करने के लिए राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (National Land Monetization Corporation) (एनएलएमसी) की स्थापना को मंजूरी दी है, जिन्हें या तो बेचा जा रहा है या जो बंद होने के कगार पर हैं. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनएलएमसी को 5,000 करोड़ रुपए की शुरुआती अधिकृत शेयर पूंजी और 150 करोड़ रुपए की चुकता शेयर पूंजी के साथ भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा. इसमें कहा गया कि एनएलएमसी (National Land Monetization Corporation) सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों तथा अन्य सरकारी एजेंसियों की अधिशेष भूमि और इमारत-भवन जैसी संपत्तियों के मौद्रीकरण का कार्य करेगी. बयान के मुताबिक, गैर-प्रमुख संपत्तियों के मौद्रीकरण के साथ निगम ऐसी संपत्तियों का मौद्रीकरण भी करेगा जिनका या तो इस्तेमाल नहीं हो रहा या समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है.

पढ़ेंः मंत्रिमंडल की यूपीआई, रूपे डेबिट कार्ड से लेनदेन पर 1,300 करोड़ रुपये का 'शुल्क' लौटाने की मंजूरी

आईसीएमआर व जर्मनी के डीएफजी के बीच चिकित्सा अनुसंधान में सहयोग पर एमओयू को मंत्रिमंडल की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) (ICMR) और जर्मनी के डॉयशे फोर्सचुंग्सजेमइंशाफ्ट ई.वी. (डीएफजी) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को बुधवार को मंजूरी दे दी. इसके तहत दोनों संस्थाओं में विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोग, असाधारण रोग और आपसी हित के अन्य क्षेत्रों सहित चिकित्सा विज्ञान/ स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई . सरकारी बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल को आईसीएमआर और जर्मनी के डीएफजी के बीच दिसंबर 2021 में हस्‍ता‍क्षरित और भारत सरकार (व्‍यवसाय के लेन-देन) नियम 1961 की दूसरी अनुसूची के नियम 7 (डी) (1) के अनुरूप समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया. इसके तहत विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोग, असाधारण रोग और आपसी हित के अन्य क्षेत्रों सहित चिकित्सा विज्ञान/स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग शामिल है. इसका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास के क्षेत्र में सहयोग में वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाओं के संयुक्त वित्त पोषण के साथ-साथ शोधकर्ताओं का आदान-प्रदान, संयुक्त संगोष्ठियों, संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का वित्त पोषण शामिल है.

नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने बुधवार को कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर स्पष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम (Mines and Minerals (Development and Regulation) Act), 1957 में संशोधन को मंजूरी दे दी. इससे इन खनिजों के भंडार की नीलामी का रास्ता साफ होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता (The Union Cabinet Meeting, chaired by PM) में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लैटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिब्डेनम जैसे कुछ खनिजों के संबंध में रॉयल्टी की दर स्पष्ट करने के लिए खान और खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 की दूसरी अनुसूची में संशोधन को मंजूरी दी गई.

  • The Union Cabinet, chaired by PM @narendramodi ji, has approved the setting up of the National Land Monetization Corporation as a wholly owned Government of India company with an initial authorized capital of Rs 5000 crore and paid-up capital of Rs 150 crore.#CabinetDecisions

    — Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) March 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मंत्रिमंडल की इस मंजूरी से इन खनिजों के भंडार की नीलामी हो पाएगी. इससे इन खनिजों का आयात घटेगा और साथ ही खनन क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.इस मंजूरी से अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी इन खनिजों के आयात का घरेलू विकल्प भी तैयार होगा. इस तरह मूल्यवान विदेशी मुद्रा की बचत होगी. इन खनिजों के स्थानीय उत्पादन से दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी. खनिज रियायतों के नए दौर में आगे बढ़ने के लिए इस अधिनियम में वर्ष 2015 में संशोधन किया गया था. देश की खनिज संपदा के आवंटन में पारदर्शिता और भेदभाव-रहित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए नीलामी का तरीका अपनाया गया था.

  • Our Cabinet led by PM @narendramodi ji has approved the establishment of WHO Global Centre for traditional medicine in India.

    First of its kind, this centre will help take our indigenous knowledge and position our AYUSH systems across the world.#CabinetDecisions

    — Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) March 9, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

खनिज क्षेत्र में और तेजी लाने के लिए इस अधिनियम को वर्ष 2021 में फिर संशोधित किया गया. इस दौरान सरकार ने खनिज भंडार की नीलामी को बढ़ावा दिया, उत्पादन में बढ़ोतरी की, देश में व्यापार सुगमता में सुधार किया और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में खनिज उत्पादन का योगदान बढ़ाया. ग्लूकोनाइट, पोटाश, एमराल्ड, प्लैटिनम समूह की धातुओं (पीजीएम), एंडेलूसाइट, सिलिमाइट और मॉलिब्डेनम के मामले में देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए पूरी तरह आयात पर निर्भर है. खनिज आत्मनिर्भरता के लिए कई राज्य सरकारों ने नीलामी के लिए ऐसे खनिज ब्लॉकों की पहचान की है. खान मंत्रालय ने नीलामी में भागीदारी बढ़ाने के लिए रॉयल्टी की तर्कसंगत दर का प्रस्ताव रखा था जिसे केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है. राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों/विभागों के साथ विस्तृत परामर्श करने के बाद इन दरों को तय किया गया है. खान मंत्रालय इन खनिजों के औसत बिक्री मूल्य (एएसपी) की गणना की पद्धति प्रदान करेगा, जो इन खनिज ब्लॉकों की नीलामी शुरू करने के लिए जरूरी है.

पढ़ेंः केंद्र सरकार ने पांच साल के लिए आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन को दी मंजूरी

अधिशेष भूमि के मौद्रीकरण के लिए ‘राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम’ के गठन को मंत्रिमंडल की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने सरकारी एजेंसियों और उन सार्वजनिक उपक्रमों की अधिशेष भूमि और इमारतों का मौद्रीकरण करने के लिए राष्ट्रीय भूमि मौद्रीकरण निगम (National Land Monetization Corporation) (एनएलएमसी) की स्थापना को मंजूरी दी है, जिन्हें या तो बेचा जा रहा है या जो बंद होने के कगार पर हैं. एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि एनएलएमसी को 5,000 करोड़ रुपए की शुरुआती अधिकृत शेयर पूंजी और 150 करोड़ रुपए की चुकता शेयर पूंजी के साथ भारत सरकार की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी के रूप में स्थापित किया जाएगा. इसमें कहा गया कि एनएलएमसी (National Land Monetization Corporation) सार्वजनिक क्षेत्र के केंद्रीय उपक्रमों तथा अन्य सरकारी एजेंसियों की अधिशेष भूमि और इमारत-भवन जैसी संपत्तियों के मौद्रीकरण का कार्य करेगी. बयान के मुताबिक, गैर-प्रमुख संपत्तियों के मौद्रीकरण के साथ निगम ऐसी संपत्तियों का मौद्रीकरण भी करेगा जिनका या तो इस्तेमाल नहीं हो रहा या समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है.

पढ़ेंः मंत्रिमंडल की यूपीआई, रूपे डेबिट कार्ड से लेनदेन पर 1,300 करोड़ रुपये का 'शुल्क' लौटाने की मंजूरी

आईसीएमआर व जर्मनी के डीएफजी के बीच चिकित्सा अनुसंधान में सहयोग पर एमओयू को मंत्रिमंडल की मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (Indian Council of Medical Research) (ICMR) और जर्मनी के डॉयशे फोर्सचुंग्सजेमइंशाफ्ट ई.वी. (डीएफजी) के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन को बुधवार को मंजूरी दे दी. इसके तहत दोनों संस्थाओं में विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोग, असाधारण रोग और आपसी हित के अन्य क्षेत्रों सहित चिकित्सा विज्ञान/ स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई . सरकारी बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल को आईसीएमआर और जर्मनी के डीएफजी के बीच दिसंबर 2021 में हस्‍ता‍क्षरित और भारत सरकार (व्‍यवसाय के लेन-देन) नियम 1961 की दूसरी अनुसूची के नियम 7 (डी) (1) के अनुरूप समझौता ज्ञापन से अवगत कराया गया. इसके तहत विष विज्ञान, उपेक्षित (उष्णकटिबंधीय) रोग, असाधारण रोग और आपसी हित के अन्य क्षेत्रों सहित चिकित्सा विज्ञान/स्वास्थ्य अनुसंधान के क्षेत्र में सहयोग शामिल है. इसका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास के क्षेत्र में सहयोग में वैज्ञानिक अनुसंधान परियोजनाओं के संयुक्त वित्त पोषण के साथ-साथ शोधकर्ताओं का आदान-प्रदान, संयुक्त संगोष्ठियों, संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का वित्त पोषण शामिल है.

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