नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें तीन महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए. कैबिनेट ने राष्ट्रीय रसद नीति को मंजूरी दी. यह रसद सेवाओं में अधिक दक्षता के लिए ULIP, मानकीकरण, निगरानी ढांचे और कौशल विकास की शुरुआत करेगा. केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसका लक्ष्य लॉजिस्टिक्स परफॉर्मेंस इंडेक्स रैंकिंग में सुधार करना और भारत को 2030 तक शीर्ष 25 देशों में शामिल करना है.
जानकारी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कैबिनेट ने राष्ट्रीय रसद नीति को मंजूरी दे दी, जिसका उद्देश्य परिवहन लागत को कम करना और देश में माल की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा देना है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते उस नीति का अनावरण किया जो देशभर में माल की निर्बाध आवाजाही को बढ़ावा देकर परिवहन लागत में कटौती करना चाहता है.
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Cabinet approved National Logistics Policy. It'll introduce ULIP, standardization, monitoring framework & skill development for greater efficiency in logistics services. Target is to improve Logistics Performance Index ranking,be among top 25 countries by 2030: Union Min A Thakur pic.twitter.com/g7QSZn1zxK
— ANI (@ANI) September 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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नीति की शुरुआत करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा था, "13-14 प्रतिशत (जीडीपी के) से, हम सभी को रसद लागत को जल्द से जल्द एकल अंक में लाने का लक्ष्य रखना चाहिए." नीति रसद क्षेत्र के लिए एक व्यापक अंतःविषय, क्रॉस-क्षेत्रीय, बहु-क्षेत्राधिकार और व्यापक नीति ढांचा निर्धारित करती है. प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, नियामक ढांचे, कौशल विकास, उच्च शिक्षा में लॉजिस्टिक्स को मुख्यधारा में लाने और उपयुक्त प्रौद्योगिकियों को अपनाने के माध्यम से रसद सेवाओं और मानव संसाधनों में दक्षता लाने की भी परिकल्पना की गई है. इसका उद्देश्य त्वरित और समावेशी विकास के लिए तकनीकी रूप से सक्षम, एकीकृत, लागत-कुशल, लचीला, टिकाऊ और विश्वसनीय रसद पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करना है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कैबिनेट ने "सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम" में संशोधनों को मंजूरी दी. इससे प्रौद्योगिकी नोड्स के साथ-साथ मिश्रित अर्धचालक, पैकेजिंग और अन्य अर्धचालक सुविधाओं के लिए सेमीकंडक्टर फैब को 50 प्रतिशत प्रोत्साहन मिलेगा. उन्होंने बताया कि मंत्रीमंडल ने उच्च दक्षता वाले सौलर पीवी मॉड्यूल ट्रांस-2 के लिए PLI स्कीम को मंजूरी दी है. इसके लिए 19,500 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया. साथ ही 14 क्षेत्र में PLI स्कीम लाई गई है.
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Cabinet approved modifications in “Programme for Development of Semiconductors & Display Manufacturing Ecosystem”. 50% incentives for semiconductor fabs across technology nodes as well as for compound semiconductors, packaging & other semiconductor facilities: Union Min A Thakur pic.twitter.com/eQQHi49klj
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आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के उच्च दक्षता के सौर पीवी मॉड्यूल्स पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिये 19,500 करोड़ रुपये के व्यय के साथ पीएलआई योजना (दूसरा चरण) के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई. इससे क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से करीब 94,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा. इस पहल का मकसद 1,000 मेगावॉट क्षमता के उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल्स के विनिर्माण की क्षमता प्राप्त करना है.
उच्च दक्षता के सौर पीवी मॉड्यूल पर राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के विनिर्माण के लिए एक परिवेश तैयार करना और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करना है. साथ ही यह आत्मनिर्भर भारत पहल को मजबूत करेगा और रोजगार पैदा करेगा. बयान के अनुसार, पारदर्शी चयन प्रक्रिया के माध्यम से सोलर पीवी विनिर्माताओं चुना जाएगा. सौर फोटोवोल्टिक विनिर्माण संयंत्रों के चालू होने के बाद घरेलू बाजार से उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल की बिक्री पर प्रोत्साहन स्वरूप पांच साल के लिए पीएलआई का वितरण किया जाएगा.
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A provision of Rs 19, 500 crore has been made for achieving manufacturing capacity of Giga Watt scale under PLI Scheme (Tranche II). Aim to create an ecosystem for manufacturing of high efficiency Solar PV Modules: Union Minister Anurag Thakur pic.twitter.com/nUEYXR4M7N
— ANI (@ANI) September 21, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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इसमें कहा गया है कि योजना से प्रत्यक्ष रूप से करीब 94,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा. साथ ही ईवीए, सौर ग्लास आदि जैसी अन्य सामाग्रियों की विनिर्माण क्षमता सृजित होगी. इसके अलावा इससे प्रत्यक्ष रूप से 1,95,000 तथा परोक्ष रूप से 7,80,000 रोजगार सृजित होंगे. इससे करीब 1.37 लाख करोड़ रुपये के आयात में कमी आने का अनुमान है. इसके अलावा सौर पीवी मॉड्यूल में दक्षता में सुधार के लिए अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन मिलेगा.
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