हैदराबाद : संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना महामारी के कारण करीब एक करोड़ बीस लाख महिलाओं की पहुंच गर्भनिरोधकों तक नहीं हो सकी. यानी उन्हें गर्भनिरोधक नहीं मिले. इसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा.
यूएनएफपीए ने 115 निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर अध्ययन के आधार पर ये रिपोर्ट जारी की है.
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने अनुमान जताया है कि कोरोना महामारी के दौरान तीन महीने तक गर्भनिरोधक न मिलने से महिलाओं के गर्भवती होने की संख्या एक करोड़ 40 लाख भी हो तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए. 11 मार्च 2020 को आधिकारिक तौर पर कोरोना को महामारी घोषित किया गया था.
कई माध्यमों से जुटाया डेटा
यूएनएफपीए ने इस अध्ययन ने लिए किराने की दुकानों और फार्मेसियों से अनाम Google गतिशीलता डेटा का उपयोग महत्वपूर्ण सेवाओं तक पहुंच के लिए प्रॉक्सी के रूप में किया. संस्था ने इसमें पाया कि यात्रा प्रतिबंध, बाधित आपूर्ति श्रृंखला, स्टॉक-आउट के कारण महिलाओं की परिवार नियोजन तक पहुंच बाधित थी. इससे महिलाओं के जीवन पर खासा असर पड़ा.
यूएनएफपीए का कहना है कि पिछले साल अप्रैल और मई में परिवार नियोजन सेवा में व्यवधान रहा. अप्रैल 2020 में कम और मध्यम आय वाले देशों में चार करोड़ 70 लाख महिलाएं प्रभावित हो सकती हैं, जिसके परिणामस्वरूप 7 मिलियन महिलाएं न चाहते हुए भी गर्भवती हुई हैं.
पढ़ें- कोरोना महामारी के कारण एक करोड़ लड़कियों पर बाल विवाह का खतरा : यूनेस्को
हालांकि यूएनएफपीए का ये भी कहना है कि वह गर्भनिरोधक और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य आपूर्ति वितरित करने में सक्षम था. इसके लिए काफी हद तक उसने राइड-हेलिंग एप के जरिए महिलाओं की मदद भी की.