मुंबई : सुप्रीम कोर्ट द्वारा मराठा आरक्षण को असंवैधानिक करार देने और उसे खारिज करने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कोर्ट के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि हमने मराठा समुदाय के आत्मसम्मान के साथ जीवन गुजारने के लिए सर्वसम्मति से एक कानून पारित किया था.
उन्होंने कहा, 'दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण के कानून को खारिज कर दिया. हमने अपने मराठा समुदाय के आत्मसम्मान के साथ जीवन के लिए सर्वसम्मति से एक कानून पारित किया था. अब कोर्ट का कहना है कि महाराष्ट्र इस पर कानून नहीं बना सकता है, केवल पीएम और राष्ट्रपति ही कर सकते हैं.'
सीएम ने कहा, 'हम पीएम से इस मामले में हस्तक्षेप करने और मराठों को आरक्षण देने के लिए एक कानून बनाने का आग्रह करते हैं. संभाजी राजे मराठा आरक्षण के बारे में पीएम के साथ एक अपॉइंटमेंट की मांग कर रहे हैं. उन्हें अभी तक यह अपॉइंटमेंट क्यों नहीं दी गई है ?
उन्होंने कहा कि हम मराठा समुदाय को न्याय दिलाने अपनी कानूनी लड़ाई उस समय तक जारी रखेंगे जब तक यह हासिल नहीं हो जाता.
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इससे पहले मराठा आरक्षण को अंसविधानिक घोषित करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि मराठा समुदाय को शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े समुदाय के रूप में घोषित श्रेणी में नहीं लाया जा सकता.