कांकेर : जेल का नाम सुनते ही जेहन में खूंखार कैदी और यातनाओं से भरी तस्वीर सामने आती है. लेकिन जेल हमारी सोच से बहुत अलग है. जेल के अंदर कैदी अपने किए का पश्चाताप तो करते ही हैं. लेकिन जेल में रहने के दौरान वो अपने जीवन को नए सिरे से संवार भी सकते हैं. जैसे यदि कोई कैदी विचाराधीन है तो उसे प्रशासन पढ़ाई की इजाजत देता है.
कांकेर जिला जेल में तैयारी पूरी : कांकेर जिला जेल में भी ऐसे कई कैदी हैं जो बोर्ड परीक्षा का एग्जाम देने जा रहे हैं. इसके लिए प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है. विचारधीन बंदियों में नक्सल मामलों में बन्द, हत्या और बलात्कार के आरोपों के कैदी शामिल हैं. जेल से परीक्षा देने वाले बंदियों की परीक्षा फीस जिला प्रशासन ने खनिज न्यास निधि से जमा कराई है. जिसके लिए स्वीकृति कलेक्टर ने दे दी है. साथ ही ओपन समन्वय केंद्र कांकेर इन्हें निशुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध करा रहा है.
''मैंने कक्षा दसवीं का पेपर दिया था. लेकिन फेल हो गया था. 2020 से जेल में हूं. पता चला जेल में रहते एग्जाम फॉर्म भर कर यहीं जेल में परीक्षा दे सकते हैं. तो मैंने भी एग्जाम फॉर्म भरा है. मेरे ऊपर नक्सल सामग्री सप्लाई का आरोप है. मैं आगे और पढ़ना चाहता हूं. जेल में यह सुविधा मिल रही इसका लाभ ले रहा हूं.'' -जेल में बंद कैदी
वहीं हत्या के मामले में बंद कैदी ने बताया कि उसने पहले राज्य ओपन से दसवीं पास की थी. लेकिन सजा के बाद अब वो फिर से पढ़ना चाहता है. इसलिए ओपन स्कूल के माध्यम से बारहवीं का पेपर दे रहा है.
''कांकेर कलेक्टर के मार्गदर्शन में बंदियों को बोर्ड एग्जाम देने प्रस्ताव बना कर भेजा गया था. जिसे अनुमति दिया गया. प्रति सोमवार बंदियों की परेड लगाई जाती है. जिसमे बंदियों को बताया गया कि, जो कैदी परीक्षा देना चाहते हैं. वह फॉर्म भर सकते हैं. जेल में ही एग्जाम होगा. 25 से 30 बंदियों ने एग्जाम देने की हामी भरी थी.अभी तक 12 कैदियों ने फॉर्म भरा है. जिसमें से दसवीं बोर्ड एग्जाम के लिए 9 बंदियों और 12 बोर्ड एग्जाम के लिए 3 लोगों ने फॉर्म डाला है. आगे भी बंदी फॉर्म डाल रहे हैं. इनका दो सेमेस्टर में एग्जाम होगा. पहला सितम्बर 2023 में और फिर अप्रैल 2024 में. इनका एग्जाम सेंटर कांकेर जेल ही होगा.'' एस एल नायक,जेलर
किसके कारण कैदियों का पेपर देना हुआ मुमकिन :आपको बता दें कि कैदियों को पेपर दिलवाने का सारा श्रेय जिले की कलेक्टर प्रियंका शुक्ला को जाता है.प्रियंका शुक्ला के प्रयासों से ही कांकेर जिला जेल को पहली बार परीक्षा केंद्र का दर्जा मिला है.जिसमें अब बंदियों को जेल के अंदर रहकर पेपर देने की सुविधा मिलेगी.इस बारे में कलेक्टर प्रियंका शुक्ला का मानना है कि हर किसी को जीवन में नई शुरुआत करने का मौका मिलना चाहिए. बंदियों को एक और मौका देने की ये एक कोशिश है.