नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट (उल्फा-आई) के भर्ती मामले की जांच के लिए प्रत्येक समूह में दो से तीन सदस्यों वाली छोटी टीमों का गठन किया है. आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए भारत की सबसे ताकतवर एजेंसी एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां नई दिल्ली में 'ईटीवी भारत' को बताया कि जांच दल ने पहले ही असम के डिब्रूगढ़, चापाखोवा और शिवसागर जिले में स्थानीय पुलिस से संपर्क किया है.
अधिकारी ने कहा, 'एनआईए की टीमों ने हाल के दिनों में संगठन में शामिल होने वाले युवाओं की संख्या और तथ्यों की पुष्टि करने के लिए असम में स्थानीय पुलिस से संपर्क किया है.' एनआईए ने उल्फा की भर्ती के मामले को तब अपने हाथ में ले लिया है जब खुफिया रिपोर्टों में सामने आया कि संगठन (उल्फा) ने विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम देने के अलावा संगठन के लिए जबरन वसूली का कारोबार जारी रखने के लिए बड़े पैमाने पर भर्ती अभियान शुरू किया है.
अधिकारी ने कहा कि 'सुरक्षा एजेंसियों द्वारा की गई कड़ी कार्रवाई के बाद, उल्फा के कई कार्यकर्ताओं ने या तो आत्मसमर्पण कर दिया या उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है. यही वजह है कि वह भर्ती अभियान शुरू करने के लिए मजबूर हुए हैं.' खुफिया रिपोर्ट के अनुसार हाल के दिनों में संगठन में शामिल होने वाले कई युवाओं को म्यांमार के विभिन्न स्थानों में उल्फा के ठिकाने में प्रशिक्षण के लिए भेजा जा चुका है.
गृह मंत्रालय (एमएचए) ने भी प्रतिबंधित संगठन द्वारा इस तरह की भर्ती की खबरों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. उल्फा-आई के कमांडर इन चीफ परेश बरुआ द्वारा भारत सरकार के साथ शांति वार्ता शुरू करने की अपनी मंशा व्यक्त करने की खबरों के बीच ऐसा हो रहा है. हालांकि, केंद्र सरकार ने भी उल्फा-आई के शांति वार्ता शुरू करने के कदम की सराहना की है, लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह की बातचीत की प्रक्रिया कब शुरू होगी.
उल्फा का गठन 1979 में ऊपरी असम के शिवसागर जिले में किया गया था, जिसका उद्देश्य असम को बांग्लादेशी प्रवाह से मुक्त करना और एक संप्रभु पहचान बनाकर राज्य के मूलनिवासियों के अधिकारों की सुरक्षा करना था. उल्फा-आई अभी भी एक संप्रभु असम की अपनी मांग को आगे बढ़ा रहा है जिसे केंद्र सरकार ने पहले ही खारिज कर दिया है.
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