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मध्य प्रदेश में डीजे बजा तो निकाह नहीं पढ़वाएंगे काजी

मध्य प्रदेश में निकाह के अवसर पर डीजे और पटाखों के इस्तेमाल पर रोक लगाने संबंधी नया फरमान उलेमाओं ने जारी किया है. हालांकि उनका कहना है कि ये फिजूलखर्ची को रोकने के लिए किया गया है. हालांकि यह फरमान चर्चा का विषय बना हुआ है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Feb 26, 2021, 4:10 PM IST

भोपाल : मध्य प्रदेश में उलेमाओं ने निकाह में बजने वाले डीजे और डांस को लेकर अनोखा फरमान जारी किया. उलेमाओं ने खुले शब्दों में कहा है कि जिस शादी में नाच-गाना, बैंड-बाजा, डीजे और पटाखों को इस्तेमाल होगा वहां काजी निकाह नहीं पढ़वाएंगे. यह फैसला भोपाल शहर के काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी की अध्यक्षता में शामिल उलेमाओं की एक बड़ी बैठक में लिया गया.

अब इसे लेकर सभी मस्जिदों और सभी मुस्लिम समाज के धर्मलंबियों को जानकारी दी गई है. उलेमाओं ने कहा कि ऐसे आयोजनों को वह शरीयत और मजहबी हिदायत के खिलाफ मानते हैं. इस संबंध में पिछले तीन साल से शहर काजी सहित समिति उलेमा मस्जिदों में अपनी तकरीरों में इसे बंद करने के लिए लोगों के समझा रहे थे, लेकिन अपेक्षित परिणाम दिखाई नहीं देने पर मसाजिद कमेटी के दफ्तर में बैठक कर आदेश निकाल दिया गया कि जिन शादियों में फिजूलखर्ची नजर आए, उन में शिरकत ना करें.

उलेमाओं का फरमान
उलेमाओं का फरमान

इस संबंध में सबी मस्जिदों में सभी बंधुओं को पुनः हिदायत दी जाएगी. मुस्लिम समाज में शादी विवाह के आयोजन में अब सादगी के बदले भव्य रूप से शहर काजी समेत अन्य उलेमा खफा हैं. निकाह के लिए बड़ी मात्रा में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा खर्च किया जाता है, जो कि इस्लाम विरोधी है. सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है कि इस्लाम सादगी पसंद मजहब है. पैगंबर और कुरान का भी यही संदेश है.

यह भी पढ़ें-बोले पेट्रोलियम मंत्री, सर्दी की वजह से बढ़ रही हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें

शादियों में फिजूलखर्ची से गुरबत में गिरा बंदा हीन भावना का शिकार होता है. इस वजह से उलेमाओं ने आम राय से तय किया है कि ऐसे आयोजन में हम लोग निकाह नहीं पढ़ाएंगे.

भोपाल : मध्य प्रदेश में उलेमाओं ने निकाह में बजने वाले डीजे और डांस को लेकर अनोखा फरमान जारी किया. उलेमाओं ने खुले शब्दों में कहा है कि जिस शादी में नाच-गाना, बैंड-बाजा, डीजे और पटाखों को इस्तेमाल होगा वहां काजी निकाह नहीं पढ़वाएंगे. यह फैसला भोपाल शहर के काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी की अध्यक्षता में शामिल उलेमाओं की एक बड़ी बैठक में लिया गया.

अब इसे लेकर सभी मस्जिदों और सभी मुस्लिम समाज के धर्मलंबियों को जानकारी दी गई है. उलेमाओं ने कहा कि ऐसे आयोजनों को वह शरीयत और मजहबी हिदायत के खिलाफ मानते हैं. इस संबंध में पिछले तीन साल से शहर काजी सहित समिति उलेमा मस्जिदों में अपनी तकरीरों में इसे बंद करने के लिए लोगों के समझा रहे थे, लेकिन अपेक्षित परिणाम दिखाई नहीं देने पर मसाजिद कमेटी के दफ्तर में बैठक कर आदेश निकाल दिया गया कि जिन शादियों में फिजूलखर्ची नजर आए, उन में शिरकत ना करें.

उलेमाओं का फरमान
उलेमाओं का फरमान

इस संबंध में सबी मस्जिदों में सभी बंधुओं को पुनः हिदायत दी जाएगी. मुस्लिम समाज में शादी विवाह के आयोजन में अब सादगी के बदले भव्य रूप से शहर काजी समेत अन्य उलेमा खफा हैं. निकाह के लिए बड़ी मात्रा में मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा खर्च किया जाता है, जो कि इस्लाम विरोधी है. सैयद मुश्ताक अली नदवी का कहना है कि इस्लाम सादगी पसंद मजहब है. पैगंबर और कुरान का भी यही संदेश है.

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शादियों में फिजूलखर्ची से गुरबत में गिरा बंदा हीन भावना का शिकार होता है. इस वजह से उलेमाओं ने आम राय से तय किया है कि ऐसे आयोजन में हम लोग निकाह नहीं पढ़ाएंगे.

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