नई दिल्ली: यूक्रेन-रूस संकट (Ukraine-Russia crisis) गहराने के बीच विदेश नीति विशेषज्ञों (Foreign policy expert) के एक धड़े ने मंगलवार को आगाह किया कि इसका वैश्विक प्रभाव (crisis will have global implications) होना तय है और इसके दीर्घकालीन प्रभाव की भविष्यवाणी करना और भी मुश्किल होगा. भारत स्थित फाउंडेशन द्वारा आयोजित ‘यूक्रेन-रूस युद्ध और इसके भू-राजनीतिक परिणाम’ पर एक सम्मेलन में कुछ विशेषज्ञों ने यूक्रेन में मौजूदा हालात को 'बड़ी त्रासदी' बताया, जिसकी मानवीय और वित्तीय कीमत चुकानी होगी.
वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी में वरिष्ठ फेलो एना बॉश्चेव्स्कया ने दावा किया, 'यह संकट पूरी तरह रूस ने खड़ा किया है और यह दोतरफा संकट नहीं है.' उन्होंने कहा, 'इस संकट का असर हर किसी पर पड़ेगा और इसका पूरी दुनिया को प्रभावित करना तय है.' बॉश्चेव्स्कया ने इस संघर्ष में रूस की स्थिति पर कड़ा रुख अपनाया और कहा कि हमले की आशंका थी लेकिन यह नहीं पता था कि यह इतने बड़े पैमाने पर हमला होगा.
उनकी यह टिप्पणियां तब आयी है जब यूक्रेन में हालात बिगड़ रहे हैं. रूसी सेना ने देश में बढ़त बना रही है और खारकीव तथा राजधानी कीव जैसे स्थानों पर बमबारी हो रही है. चर्चा के दौरान इसमें भाग लेने वाले विशेषज्ञों ने यूक्रेन-रूस संकट और रूस पर लगाए प्रतिबंधों के मद्देनजर वित्तीय ढांचे को कैसे बदला जा सकता है, इसके संदर्भ में 1949 में गठित नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) की महत्ता पर भी विचार-विमर्श किया.
बॉश्चेव्स्कया ने कहा, 'इन प्रतिबंधों का वैश्विक असर होने जा रहा है. रूबल (रूसी मुद्रा) पहले ही गिर चुकी है और लंबे समय में और असर दिखेंगे, साथ ही ऊर्जा संकट भी एक पहलू होगा.' कातो इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ फेलो डग बैंडो ने कहा कि इस संकट का 'दुनियाभर में असाधारण असर पड़ने जा रहा है.' उन्होंने कहा, 'इसके कम अवधि तथा दीर्घावधि में असर होंगे, जिनका अनुमान लगाना मुश्किल होगा. यह युद्ध बहुत बड़ी त्रासदी है, मेरी नजर में यह अपराध है.
ये भी पढ़ें- अमेरिका ने रूस के लिए बंद किया एयरस्पेस, जानें बाइडेन की10 बड़ी बातें
इसकी मानवीय और वित्तीय कीमत चुकानी पड़ेगी. लेकिन इस युद्ध का कोई औचित्य नहीं है.' आरआईएसी में महानिदेशक आंद्र कोर्तुनोव ने कहा कि यह समस्या दो देशों के बीच गलतफहमियों और अविश्वास का नतीजा है. इस सम्मेलन की मेजबानी जॉर्डन तथा लीबिया के पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुनायत ने की थी.
(पीटीआई-भाषा)