नई दिल्ली : लोक सभा में यूक्रेन और रूस के टकराव (Ukraine Russia Conflict) से उपजे मानवीय संकट और वर्तमान हालात पर चर्चा हुई. पहले तीन घंटे में महज 40 मिनट की कार्यवाही के बाद लोक सभा स्पीकर ओम बिरला ने दोपहर दो बजे कार्यवाही शुरू होने पर कहा कि नियम 193 के तहत रूस यूक्रेन के वर्तमान हालात पर चर्चा की जाएगी. चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ जयशंकर लोक सभा में मौजूद हैं. चर्चा के बाद विदेश मंत्री यूक्रेन और रूस के युद्ध के 41 दिन बाद वर्तमान स्थिति की जानकारी दे सकते हैं.
भारत के समक्ष कौन सी चुनौतियां : चर्चा की शुरुआत करते हुए केरल की कोल्लम लोक सभा सीट से निर्वाचित आरएसपी सांसद एनके प्रेमचंद्रन (Ukraine Crisis NK Premchandran Kerala) ने कहा कि विदेश नीति के मोर्चे पर भारत गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि विदेश जाकर मेडिकल की पढ़ाई का सपना देखने वाले हजारों युवाओं के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. उन्होंने कहा कि यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों के भविष्य पर सरकार को गंभीरता से विचार करना होगा. उन्होंने रूस से ईंधन के आयात, भारत और रूस के ऐतिहासिक संबंधों के अलावा पेट्रोल डीजल की कीमतों में उछाल के मद्देनजर भारत के सामने पैदा हुई चुनौतियों की ओर भी सरकार का ध्यान आकर्षित किया.
क्या रूस अकेले है युद्ध का जिम्मेदार : इसके बाद कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने चर्चा में भाग लिया. उन्होंने भारत की विदेश नीति और इंदिरा गांधी के कार्यकाल में बांग्लादेश मुक्ति सोवियत संघ के प्रति पूर्व की सरकारों की नीति का भी जिक्र किया. मनीष तिवारी ने कहा, 40 दिन के युद्ध के बाद ऐसा लगता है कि लड़ाई अनिश्चितकाल तक खिंचेगी. उन्होंने कहा कि क्या रूस यूक्रेन को कई हिस्सों में बांटना चाहता है ? मनीष तिवारी ने अमेरिकी प्रशासन और सैनिक की भूमिका पर भी टिप्पणी की. उन्होंने सवाल किया कि क्या रूस वर्तमान हालात के लिए अकेला जिम्मेदार है ? इसके बाद चर्चा में हरियाणा की हिसार लोक सभा सीट से निर्वाचित भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने भाग लिया. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन गंगा के तहत पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने छात्रों की सुरक्षित स्वदेश वापसी सुनिश्चित की. उन्होंने कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी की टिप्पणी के संदर्भ में कहा कि कुछ सोशल मीडिया क्लिपिंग के आधार पर ऑपरेशन गंगा की गंभीरता पर सवाल खड़े करना ठीक नहीं.
महिला सांसद थंगापंडियन ने फिलिस्तीन के कवि की कविता पढ़ी : तमिलनाडु की डीएमके सांसद टी सुमति थंगापांडियन ने भारत से मध्यस्थता करने की अपील की. पश्चिम बंगाल की कोलकाता उत्तर लोक सभा सीट से तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने भी चर्चा में भाग लिया. इसके बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दखल दिया. चर्चा में भाग लेते हुए उन्होंने युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीय छात्रों और नागरिकों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन गंगा पर भी बयान दिया. पुरी ने कहा कि 39 साल के करियर के अनुभव के आधार पर उन्हें ये कहने में कोई गुरेज नहीं कि वैश्विक स्तर पर, ऑपरेशन गंगा सबसे बेहतर समन्वय का सर्वश्रेष्ठ में एक उदाहरण है. बता दें कि पुरी को ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन के पड़ोसी देश में भेजा गया था.
थरूर ने यूएन के मंच पर भारत की भाषा पर टिप्पणी की : इसके बाद ओडिशा की पुरी लोक सभा सीट से निर्वाचित सांसद पिनाकी मिश्रा बीजू जनता दल (बीजद) ने यूक्रेन रूस संकट से उपजे मानवीय संकट पर चर्चा में भाग लिया. उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की ओर से केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी को ओडिशा में रहने वाले छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए धन्यवाद दिया. इसके बाद केरल की तिरुवनंतपुरम लोक सभा सीट से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने चर्चा में भाग लिया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर भारत की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि वोटिंग से एब्सटेन करना कोई गलत चुनाव नहीं, लेकिन भारत को दो टूक लहजे में यह कहने में कई गुरेज नहीं होना चाहिए था कि दोनों पक्ष शांति के प्रयास करें. उन्होंने डिप्लोमैटिक भाषा के संदर्भ में कहा कि एक पक्ष के आक्रामक होने पर अंतर स्पष्ट करना हमारी नैतिक जवाबदेही होनी चाहिए.
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यूक्रेन की सड़कों पर लाशों का अंबार : गौरतलब है कि यूक्रेन में सड़कों पर शव मिलने के बाद रूस की वैश्चिक स्तर पर निंदा हुई है. इधर, जंग के बीच आज यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) को संबोधित करेंगे. 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से जेलेंस्की पहली बार सुरक्षा परिषद को संबोधित करेंगे. बूचा में हुए जनसंहार के बाद उन्होंने इलाके का दौरा किया था. खबरों के मुताबिक यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया कि कीव क्षेत्र के कस्बों में 410 नागरिकों के शव मिले हैं.यूक्रेन के अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि क्षेत्र से लौटने से पहले सेना ने युद्ध अपराधों को अंजाम दिया है और वह अपने 'पीछे एक भयावह मंजर' छोड़ गए हैं.
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