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उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की मांग की, बोले-शिवसेना के पास रहेगा चुनाव चिह्न तीर-धनुष

शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Shiv Sena president Uddhav Thackeray) ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की मांग की. साथ ही उन्होंने कहा कि तीर-धनुष चिह्न मूल पार्टी के पास ही रहेगा. ठाकरे ने उक्त बातें एक संवाददाता सम्मेलन में कहीं.

Shiv Sena president Uddhav Thackeray
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे
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Published : Jul 8, 2022, 5:06 PM IST

मुंबई : चुनाव चिह्न पर दावे को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) नीत विद्रोही धड़े के साथ गतिरोध के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Shiv Sena president Uddhav Thackeray) ने शुक्रवार को जोर दिया कि तीर-धनुष चिह्न मूल पार्टी के पास ही रहेगा. ठाकरे ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की भी मांग की और कहा कि उनके नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (MVA) सरकार को गिराने को लेकर लोगों को अपना रुख स्पष्ट करने का मौका दिया जाना चाहिए.

ठाकरे ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में सत्ता परिवर्तन 2019 में ही गरिमामय तरीके से हो सकता था, न कि 'विश्वासघात' के साथ, जैसा पिछले सप्ताह किया गया. वह 2019 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनने के मुद्दे पर शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलग होने का जिक्र कर रहे थे. ठाकरे ने शिवसेना के बागी समूह पर उस समय चुप्पी साधे रहने के लिए निशाना साधा जब भाजपा ने उन्हें और उनके परिवार को पिछले ढाई साल में निशाना बनाया और 'बदजुबानी' की.

शिंदे का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, 'आप उनके संपर्क में रहते हैं और अपनी ही पार्टी को इस तरह धोखा देते हैं.' ठाकरे ने कहा कि 11 जुलाई को उच्चतम न्यायालय का आने वाला फैसला न केवल शिवसेना का भविष्य बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भविष्य भी तय करेगा. सर्वोच्च अदालत उस दिन शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला सुना सकती है.

शिवसेना नेता ने कहा कि उन्होंने संवैधानिक विशेषज्ञों से सलाह ली है और उन लोगों ने बताया कि विधायक दल में विभाजन हो सकता है, लेकिन मूल पार्टी बनी रहती है और वह खत्म नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, 'विधायक दल और मूल दल दो अलग-अलग इकाइयां हैं. चुनाव चिन्ह को लेकर कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए. शिवसैनिकों को आश्वस्त रहना चाहिए कि तीर-धनुष का चिह्न हमारे पास ही रहेगा.' ठाकरे ने यह भी कहा कि वह पार्टी सांसदों से बातचीत करने के बाद यह तय करेंगे कि राष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार को समर्थन देना है.

ये भी पढ़ें - बागी नेताओं से शिवसेना नेता दीपाली सैयद ने पूछा, क्या आपने सत्ता के लिए मरी हुई मां का दूध पिया?

मुंबई : चुनाव चिह्न पर दावे को लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (Chief Minister Eknath Shinde) नीत विद्रोही धड़े के साथ गतिरोध के बीच शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Shiv Sena president Uddhav Thackeray) ने शुक्रवार को जोर दिया कि तीर-धनुष चिह्न मूल पार्टी के पास ही रहेगा. ठाकरे ने महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव की भी मांग की और कहा कि उनके नेतृत्व वाली महा विकास आघाडी (MVA) सरकार को गिराने को लेकर लोगों को अपना रुख स्पष्ट करने का मौका दिया जाना चाहिए.

ठाकरे ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य में सत्ता परिवर्तन 2019 में ही गरिमामय तरीके से हो सकता था, न कि 'विश्वासघात' के साथ, जैसा पिछले सप्ताह किया गया. वह 2019 के विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद बारी-बारी से मुख्यमंत्री बनने के मुद्दे पर शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलग होने का जिक्र कर रहे थे. ठाकरे ने शिवसेना के बागी समूह पर उस समय चुप्पी साधे रहने के लिए निशाना साधा जब भाजपा ने उन्हें और उनके परिवार को पिछले ढाई साल में निशाना बनाया और 'बदजुबानी' की.

शिंदे का नाम लिए बिना उन्होंने कहा, 'आप उनके संपर्क में रहते हैं और अपनी ही पार्टी को इस तरह धोखा देते हैं.' ठाकरे ने कहा कि 11 जुलाई को उच्चतम न्यायालय का आने वाला फैसला न केवल शिवसेना का भविष्य बल्कि भारतीय लोकतंत्र का भविष्य भी तय करेगा. सर्वोच्च अदालत उस दिन शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के अनुरोध वाली याचिका पर अपना फैसला सुना सकती है.

शिवसेना नेता ने कहा कि उन्होंने संवैधानिक विशेषज्ञों से सलाह ली है और उन लोगों ने बताया कि विधायक दल में विभाजन हो सकता है, लेकिन मूल पार्टी बनी रहती है और वह खत्म नहीं हो सकती. उन्होंने कहा, 'विधायक दल और मूल दल दो अलग-अलग इकाइयां हैं. चुनाव चिन्ह को लेकर कोई भ्रम नहीं रहना चाहिए. शिवसैनिकों को आश्वस्त रहना चाहिए कि तीर-धनुष का चिह्न हमारे पास ही रहेगा.' ठाकरे ने यह भी कहा कि वह पार्टी सांसदों से बातचीत करने के बाद यह तय करेंगे कि राष्ट्रपति चुनाव में किस उम्मीदवार को समर्थन देना है.

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