मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांजुरमार्ग साल्ट पैन में मेट्रो कार शेड के निर्माण के लिए 102 एकड़ भूमि आवंटित करने के मुंबई उपनगर जिला कलेक्टर के आदेश पर रोक लगा दी. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति जी. एस. कुलकर्णी की खंडपीठ ने अधिकारियों के वहां निर्माण कार्य करने पर भी रोक लगा दी है.
बुधवार को हाई कोर्ट के फैसले के बाद अजित पवार ने भाजपा का नाम लिए बिना पत्रकारों से कहा कि महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के गोरेगांव उपनगर के आरे में बनने वाले मेट्रो कार शेड को कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का फैसला लगता है कि कई लोगों को पसंद नहीं आया और इसलिए ही केंद्र ने इतना 'बड़ा कदम' उठाया है.
उप मुख्यमंत्री ने कहा, 'संविधान और कानून में, अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने का प्रावधान है. इसलिए, हम इस पर विचार करेंगे.'
भाजपा नीत पूर्व महाराष्ट्र सरकार ने कई पर्यावरणविद और कार्यकर्ताओं के विरोध के बावजूद मुंबई मेट्रो लाइन-3 के कार शेड को आरे कॉलोनी में बनाने का फैसला किया था. कार शेड के निर्माण के लिए वहां बहुत सारे पेड़ों को काटा जाना था, जिसका विरोध किया जा रहा था.
मौजूदा एमवीए सरकार ने हाल में इसे आरे से कांजुरमार्ग स्थानांतरित करने का फैसला किया.
शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस एमवीए में शामिल हैं.
केंद्र सरकार का दावा है कि महाराष्ट्र कांजुरमार्ग की भूमि केंद्र के सॉल्ट विभाग के अधीन आती है और एमवीए सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उसने एक अक्टूबर 2020 को उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी.
पवार ने कहा, 'चाहे केंद्र हो या राज्य सरकार' किसी को भी विकास कार्य में बाधा नहीं डालनी चाहिए.
उन्होंने कहा, 'मैंने (रांकापा प्रमुख शरद) पवार साहेब का 50 से 55 साल का राजनीतिक करियर देखा है. मैं खुद भी पिछले 30 साल से राजनीति में हूं. मैंने कभी विकास कार्यों को लेकर राजनीति नहीं की, बल्कि हमने उनमें मदद ही की है.'
इस बीच, जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि अदालत ने भूमि आवंटन पर रोक लगा दी है. हालांकि, अंतिम सुनवाई फरवरी में होगी.
भाजपा का नाम लिए बिना पाटिल ने कहा, 'अदालत की यह उम्मीद है कि अंतिम निर्णय दिए जाने तक कोई बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. फिर भी, मैं सोचता हूं कि जो लोग आरे वन के खिलाफ हैं उनके पास खुश होने का कोई कारण नहीं है.'
महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा कि वह अदालत के आदेश की विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उसके मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई पर विचार करेंगे.
उन्होंने कहा कि यह भूमि मेट्रो परियोजना के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे सरकार के लगभग 5,500 करोड़ रुपये बचेंगे.
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने कहा कि मुंबई के आम लोग आरे में मेट्रो कार शेड के निर्माण के खिलाफ थे और ऐसे में कांजुरमार्ग से बेहतर कोई विकल्प नहीं है.
निरुपम ने ट्वीट किया, 'मुंबई के सामान्य नागरिक चाहते थे कि मेट्रो कार शेड आरे में नहीं बनना चाहिए. इसके लिए कांजुर मार्ग से बेहतर विकल्प कोई नहीं है. उच्च न्यायालय ने कांजुरमार्ग में प्रस्तावित मेट्रो कार शेड पर रोक लगाकर जनभावनाओं की अवहेलना की है. योजनाएं बनाना और लागू करना सरकार का काम है, अदालतों का नहीं.'