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शिवसेना और उसके चुनाव चिह्न पर शिंदे गुट के दावे के खिलाफ SC पहुंचा उद्धव धड़ा

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना (Shiv Sena) खेमे ने चुनाव आयोग के शिंदे गुट को मान्यता देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सर्वोच्च अदालत में लंबित याचिकाओं के मद्देनजर शिंदे समूह की अर्जी पर फिलहाल सुनवाई न करने का अनुरोध भी किया है.

Uddhav
उद्धव ठाकरे
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Published : Jul 25, 2022, 3:29 PM IST

नई दिल्ली : शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की उसे असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग की कार्यवाही के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. यह घटनाक्रम इसलिए अहम है, क्योंकि चुनाव आयोग ने हाल ही में शिवसेना के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों को पार्टी और उसके चुनाव चिह्न (धनुष और बाण) पर अपने-अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था.

चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया था कि दोनों धड़ों से जरूरी दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया है, जिसमें पार्टी की विधायी एवं संगठनात्मक इकाई के समर्थन पत्र और प्रतिद्वंद्वी गुटों के लिखित बयान शामिल हैं. ताजा अर्जी शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई की एक लंबित याचिका के साथ दायर की गई है. इसमें चुनाव आयोग को भी एक पक्ष बनाने के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति मांगी गई है.ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सर्वोच्च अदालत में लंबित याचिकाओं के मद्देनजर शिंदे समूह की अर्जी पर फिलहाल सुनवाई न करने का अनुरोध भी किया है. ताजा याचिका में असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने और पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा जताने से संबंधित शिंदे गुट की अर्जी को उसका 'उतावलापन' करार दिया गया है.

पिछले हफ्ते जब शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उसे लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में दी गई मान्यता का हवाला देते हुए शिवसेना का चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी, तब ठाकरे समूह ने आयोग के समक्ष एक प्रतिवेदन दायर किया था. शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि हाल ही में महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के दौरान शिवसेना और उसके बागी विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं ने एक राजनीतिक दल के विभाजन, विलय, दलबदल और अयोग्यता सहित कई संवैधानिक मुद्दों को उठाया है, जिस पर एक बड़ी पीठ द्वारा विचार किए जाने की आवश्यकता हो सकती है.

इस बीच, प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 जुलाई के अपने आदेश के क्रियान्वयन की अवधि को बढ़ा दिया था, जिसमें उसने विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि वह विश्वास मत और स्पीकर के चुनाव के दौरान जारी पार्टी व्हिप की अवहेलना करने के आरोप में ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की शिंदे समूह की याचिका पर फिलहाल सुनवाई न करें.पीठ के पास महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट से जुड़ी छह याचिकाएं लंबित हैं, जिसके कारण राज्य में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी.

पढ़ें- शिवसेना के बागी समूह को मान्यता देकर मानकों का उल्लंघन किया: राउत

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की उसे असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर चुनाव आयोग की कार्यवाही के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है. यह घटनाक्रम इसलिए अहम है, क्योंकि चुनाव आयोग ने हाल ही में शिवसेना के दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों को पार्टी और उसके चुनाव चिह्न (धनुष और बाण) पर अपने-अपने दावों के समर्थन में आठ अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया था.

चुनाव आयोग के सूत्रों ने बताया था कि दोनों धड़ों से जरूरी दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया है, जिसमें पार्टी की विधायी एवं संगठनात्मक इकाई के समर्थन पत्र और प्रतिद्वंद्वी गुटों के लिखित बयान शामिल हैं. ताजा अर्जी शिवसेना के महासचिव सुभाष देसाई की एक लंबित याचिका के साथ दायर की गई है. इसमें चुनाव आयोग को भी एक पक्ष बनाने के लिए शीर्ष अदालत की अनुमति मांगी गई है.ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सर्वोच्च अदालत में लंबित याचिकाओं के मद्देनजर शिंदे समूह की अर्जी पर फिलहाल सुनवाई न करने का अनुरोध भी किया है. ताजा याचिका में असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने और पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा जताने से संबंधित शिंदे गुट की अर्जी को उसका 'उतावलापन' करार दिया गया है.

पिछले हफ्ते जब शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर उसे लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा में दी गई मान्यता का हवाला देते हुए शिवसेना का चुनाव चिह्न आवंटित करने की मांग की थी, तब ठाकरे समूह ने आयोग के समक्ष एक प्रतिवेदन दायर किया था. शीर्ष अदालत ने 20 जुलाई को कहा था कि हाल ही में महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के दौरान शिवसेना और उसके बागी विधायकों द्वारा दायर याचिकाओं ने एक राजनीतिक दल के विभाजन, विलय, दलबदल और अयोग्यता सहित कई संवैधानिक मुद्दों को उठाया है, जिस पर एक बड़ी पीठ द्वारा विचार किए जाने की आवश्यकता हो सकती है.

इस बीच, प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 11 जुलाई के अपने आदेश के क्रियान्वयन की अवधि को बढ़ा दिया था, जिसमें उसने विधानसभा अध्यक्ष से कहा था कि वह विश्वास मत और स्पीकर के चुनाव के दौरान जारी पार्टी व्हिप की अवहेलना करने के आरोप में ठाकरे गुट के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की शिंदे समूह की याचिका पर फिलहाल सुनवाई न करें.पीठ के पास महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक संकट से जुड़ी छह याचिकाएं लंबित हैं, जिसके कारण राज्य में सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार गिर गई थी.

पढ़ें- शिवसेना के बागी समूह को मान्यता देकर मानकों का उल्लंघन किया: राउत

(पीटीआई-भाषा)

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