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UP: रामपुर में जापानी बुखार से दो लोगों की मौत, दो अस्पताल में भर्ती

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Published : Sep 28, 2022, 5:38 PM IST

यूपी के रामपुर में 4 व्यक्तियों में जापानी बुखार के लक्षण पाए गए. इसमें 2 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, दो लोगों का अस्पताल में इलाज जारी है.

रामपुर में जापानी बुखार
रामपुर में जापानी बुखार

रामपुर: जनपद में मानसून भले ही खत्म हो गया हो लेकिन, मानसून से जुड़ी बीमारियां फैलने लगी है. रामपुर में 4 व्यक्तियों में जापानी बुखार के लक्षण पाए गए. इसमें 2 लोगों की मौत हो गई है.साथ ही दो लोगों का उपचार हल्दवानी में चल रहा है. गद्दी नगली गांव निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग मोहनलाल और मिलक के हरदासपुर गांव निवासी 7 वर्षीय निहार की मौत हो गयी. जिन गांव में मौत हुई है वहां पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें कैंप लगाकर फागिंग कर रही है.

जानकारी देते मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसपी सिंह.
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसपी सिंह ने बताया कि मंगलवार को सूचना मिली की हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से 4 व्यक्ति जिसमें 3 बच्चे हैं और एक बुजुर्ग है. इनमें जापानी बुखार के लक्षण पाए गए हैं. साथ ही 80 साल के बुजुर्ग मोहनलाल की और एक 7 वर्षीय बालक की मृत्यु हो गई है. बुजुर्ग मोहनलाल की मृत्यु 2 सितंबर को हुई है और बच्चे की मृत्यु 21 सितंबर को हुई है. सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में जाकर विजिट किया.मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसपी सिंह ने बताया कि यह बुखार मच्छर के काटने से फैलता है. यह मच्छर धान की फसल में जो पानी जमा होता है वहां पर पाया जाता है. दूसरा यह सूअर के बाड़े में भी पाया जाता है. जहां पर भी गांव में 2 लोगों की मृत्यु हुई है, वहां पर सूअर का कोई भी बाड़ा नहीं था. हां, धान की फसलें जरूर थी. जहां पानी जमा था. चारों जापानी बुखार के केस अलग-अलग जगहों के है. उन्होंने बताया कि इसमें फीवर आता है. एक आध दिन में गर्दन में स्टीफनेस आ जाएगी. बाद में बेहोशी आने लगती है. इसके बाद आदमी हो या बच्चा बेहोशी में चला जाता है. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि अपने आसपास साफ सफाई रखें. सूअर के बाड़ों से दूर रहे. सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. मॉस्किटो क्रीम का इस्तेमाल करें. फुल स्लीव के कपड़े पहने.

क्या है जापानी बुखार
जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese encephalitis) को आम बोलचाल में जापानी बुखार कहा जाता है. यह एक दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण से फैलता है. इसके वायरस मुख्य रूप से गंदगी में पनपते हैं. इस बीमारी का वाहक मच्छर (क्यूलेक्स) है. वायरस जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है, वह दिमाग की ओर चला जाता है. बुखार के दिमाग में जाने के बाद व्यक्ति की सोचने, समझने, देखने की क्षमता कम होने लगती है और संक्रमण बढ़ने के साथ खत्म हो जाती है. आमतौर पर एक से 14 साल के बच्चे और 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग इसकी चपेट में आते हैं. बारिश के मौसम में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है. बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कमजोरी और उल्टी इस बुखार के शुरुआती लक्षण हैं. समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है. यदि यह लक्षण दिखें, तो नजरअंदाज न करें.

इसे भी पढ़े-जापानी इंसेफेलाइटिस बुखार से 6 महीने के मासूम की मौत, अलीगढ़ में रेड अलर्ट

जापानी बुखार के लक्षण

  • तेज बुखार, सिरदर्द, अति संवेदनशील होना और लकवा मारना.
  • भूख कम लगना भी इसका प्रमुख लक्षण है.
  • यदि बच्चे को उल्टी और बुखार हो और खाना न खा रहे हों. बहुत देर तक रो रहे हों, तो डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं.
  • जापानी बुखार में लोग भ्रम का भी शिकार हो जाते हैं. पागलपन के दौरे तक पड़ते हैं.


यह भी पढ़े-काशी में सरकार के योजना की खुली पोल, 14 करोड़ की जापानी तकनीक से नहीं मिली राहत

रामपुर: जनपद में मानसून भले ही खत्म हो गया हो लेकिन, मानसून से जुड़ी बीमारियां फैलने लगी है. रामपुर में 4 व्यक्तियों में जापानी बुखार के लक्षण पाए गए. इसमें 2 लोगों की मौत हो गई है.साथ ही दो लोगों का उपचार हल्दवानी में चल रहा है. गद्दी नगली गांव निवासी 80 वर्षीय बुजुर्ग मोहनलाल और मिलक के हरदासपुर गांव निवासी 7 वर्षीय निहार की मौत हो गयी. जिन गांव में मौत हुई है वहां पर स्वास्थ्य विभाग की टीमें कैंप लगाकर फागिंग कर रही है.

जानकारी देते मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसपी सिंह.
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसपी सिंह ने बताया कि मंगलवार को सूचना मिली की हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज से 4 व्यक्ति जिसमें 3 बच्चे हैं और एक बुजुर्ग है. इनमें जापानी बुखार के लक्षण पाए गए हैं. साथ ही 80 साल के बुजुर्ग मोहनलाल की और एक 7 वर्षीय बालक की मृत्यु हो गई है. बुजुर्ग मोहनलाल की मृत्यु 2 सितंबर को हुई है और बच्चे की मृत्यु 21 सितंबर को हुई है. सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में जाकर विजिट किया.मुख्य चिकित्सा अधीक्षक एसपी सिंह ने बताया कि यह बुखार मच्छर के काटने से फैलता है. यह मच्छर धान की फसल में जो पानी जमा होता है वहां पर पाया जाता है. दूसरा यह सूअर के बाड़े में भी पाया जाता है. जहां पर भी गांव में 2 लोगों की मृत्यु हुई है, वहां पर सूअर का कोई भी बाड़ा नहीं था. हां, धान की फसलें जरूर थी. जहां पानी जमा था. चारों जापानी बुखार के केस अलग-अलग जगहों के है. उन्होंने बताया कि इसमें फीवर आता है. एक आध दिन में गर्दन में स्टीफनेस आ जाएगी. बाद में बेहोशी आने लगती है. इसके बाद आदमी हो या बच्चा बेहोशी में चला जाता है. मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कहा कि अपने आसपास साफ सफाई रखें. सूअर के बाड़ों से दूर रहे. सोते वक्त मच्छरदानी का इस्तेमाल करें. मॉस्किटो क्रीम का इस्तेमाल करें. फुल स्लीव के कपड़े पहने.

क्या है जापानी बुखार
जापानी इन्सेफेलाइटिस (Japanese encephalitis) को आम बोलचाल में जापानी बुखार कहा जाता है. यह एक दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण से फैलता है. इसके वायरस मुख्य रूप से गंदगी में पनपते हैं. इस बीमारी का वाहक मच्छर (क्यूलेक्स) है. वायरस जैसे ही शरीर में प्रवेश करता है, वह दिमाग की ओर चला जाता है. बुखार के दिमाग में जाने के बाद व्यक्ति की सोचने, समझने, देखने की क्षमता कम होने लगती है और संक्रमण बढ़ने के साथ खत्म हो जाती है. आमतौर पर एक से 14 साल के बच्चे और 65 वर्ष से ऊपर के बुजुर्ग इसकी चपेट में आते हैं. बारिश के मौसम में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है. बुखार, सिरदर्द, गर्दन में जकड़न, कमजोरी और उल्टी इस बुखार के शुरुआती लक्षण हैं. समय के साथ सिरदर्द में बढ़ोतरी होने लगती है और हमेशा सुस्ती छाई रहती है. यदि यह लक्षण दिखें, तो नजरअंदाज न करें.

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जापानी बुखार के लक्षण

  • तेज बुखार, सिरदर्द, अति संवेदनशील होना और लकवा मारना.
  • भूख कम लगना भी इसका प्रमुख लक्षण है.
  • यदि बच्चे को उल्टी और बुखार हो और खाना न खा रहे हों. बहुत देर तक रो रहे हों, तो डॉक्टर के पास जरूर ले जाएं.
  • जापानी बुखार में लोग भ्रम का भी शिकार हो जाते हैं. पागलपन के दौरे तक पड़ते हैं.


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