नई दिल्ली : भारतीय वायुसेना के दो फ्लाइट सर्जन जल्द ही गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष में चिकित्सा का अनुभव अपने रूसी समकक्षों से लेने के लिए रूस रवाना होंगे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को यह जानकारी दी.
फ्लाइट सर्जन भारतीय वायुसेना के डॉक्टर हैं और उन्हें एयरोस्पेस मेडिसिन में विशेषज्ञता हासिल है. अधिकारी ने बताया कि फ्लाइट सर्जन जल्द रवाना होंगे. वे रूस के फ्लाइट सर्जन से सीधे प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे.
उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में मानव मिशन का सबसे अहम पहलू अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण है. फ्लाइट सर्जन, अंतरिक्ष यात्रियों की उड़ान के दौरान और उसके बाद की सेहत के लिए जिम्मेदार होते हैं. फ्लाइट सर्जन को संभावित अंतरिक्ष यात्री के तौर पर भी प्रशिक्षित किया जाएगा.
मालूम हो कि भारतीय वायुसेना के चार टेस्ट पायलटों को भारत के पहले मानव मिशन के लिए चुना गया है और वे पिछले साल फरवरी से ही मास्को के नजदीक यूरी गगारिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं. इस केंद्र का नाम दुनिया के पहले अंतिरिक्ष यात्री के नाम पर रखा गया है.
फ्लाइट सर्जन प्रशिक्षण के लिए फ्रांस की भी यात्रा करेंगे. अधिकारी ने बताया कि फ्रांसीसी स्पेस सर्जन का प्रशिक्षण ज्यादतर सैद्धांतिक होगा.
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में फ्लाइट सर्जन ब्रिगिट गोडार्ड फिजिशियन और इंजीनियर को प्रशिक्षण देने के लिए भारत आए थे. वह उस समय फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी सीएनईएस में कार्यरत थे.
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फ्रांस ने अंतरिक्ष चिकित्सा के प्रशिक्षण के लिए भी व्यवस्था की है. उसने सीएनईएस की अनुषंगी के तौर पर एमईडीईएस स्पेस क्लीनिक की स्थापना की है, जहां पर फ्लाइट सर्जन को प्रशिक्षण दिया जाता है.
गौरतलब है कि 'गगनयान' भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके तहत वर्ष 2022 में अंतरिक्ष में तीन अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने का लक्ष्य है. हालांकि, कोविड-19 महमारी की वजह से इसमें कुछ देरी हुई है.