ETV Bharat / bharat

उत्तराखंड: परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय साहित्य महाकुंभ का आयोजन, 60 शोधपत्र हुए प्रस्तुत - दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी

परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में दो दिवसीय साहित्य महाकुंभ आयोजित किया जा रहा है. जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती, लंदन के वरिष्ठ साहित्यकार एवं कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ तेजेंद्र शर्मा, पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड लंदन के सचिव आशीष जायसवाल और डॉ योगेंद्र नाथ शर्मा 'अरुण' ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया.

परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय साहित्य महाकुंभ का आयोजन
परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय साहित्य महाकुंभ का आयोजन
author img

By

Published : Oct 16, 2022, 8:12 PM IST

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन ऋषिकेश (Parmarth Niketan Rishikesh) में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी (Two Day International Seminar) एवं हीरक जयंती समारोह का आज शुभारंभ हुआ. इस दो दिवसीय साहित्य महाकुंभ का आयोजन डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की रचना संसार ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाएं पूरी होने के अवसर पर किया गया.

बता दें कि हिमालय विरासत न्यास उत्तराखंड, स्याही ब्लू बुक्स नई दिल्ली और हिमालयीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में यह दो साहित्य महाकुंभ (Sahitya Mahakumbh at Parmarth Niketan) आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम में डॉ निशंक को 'हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड' लंदन के सचिव आशीष जायसवाल ने विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र प्रदान किया. इस मौके पर डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और नई शिक्षा नीति 2020 का विमोचन भी किया गया.

पढ़ें- उत्तराखंड: उच्च शिक्षा में NEP लागू, CM बोले- नई शिक्षा नीति नए भारत का निर्माण करेगी

इस मौके पर मुख्य अतिथि आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि निशंक ने आम आदमी की आवाज को अपने साहित्य में स्थान दिया है. उन्होंने समाज के हर वर्ग, हर तबके के लिए साहित्य की रचना की है. उनके साहित्य में जो विषय हैं, वह अपने आप में विशिष्ट हैं. एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ उच्च कोटि का साहित्यकार होना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा कि डॉ निशंक ने कहानी, कविता, उपन्यास सब कुछ लिखा है. उनका यह उत्कृष्ट लेखन उन्हें दुनिया के अन्य सभी साहित्यकारों से अलग बनाता है. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश में ऋषि कुंभ कई बार हुए हैं. लेकिन यह साहित्य का महाकुंभ है, जिसमें दुनियाभर के साहित्यकार और साहित्य प्रेमी गोते लगा रहे हैं.

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लंदन के वरिष्ठ साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा ने कहा कि डॉ निशंक का साहित्य सीमाओं से बंधा हुआ नहीं है. आज दुनियाभर की भाषाओं में उनकी रचनाओं का अनुवाद किया जा रहा है. बड़ी संख्या में शोधार्थी उनके साहित्य पर शोध कर रहे हैं. कई पाठ्यक्रमों में उनकी रचनाएं शामिल की गई है. यह बताता है कि डॉ निशंक किस उत्कृष्ट शैली के साहित्यकार हैं.

पढ़ें- बिल्डरों की मनमानी से परेशान विस्थापित, एमडीडीए के अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप

वहीं, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि साहित्य में संवेदनाओं का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. मैंने अपने जीवन में जो देखा, महसूस किया, संघर्ष किया, उसको अपनी रचनाओं में शामिल करने का प्रयास किया है. पहाड़ का दर्द, पलायन का दंश, महिलाओं और बेरोजगारों की पीड़ा, विकास की संकल्पना, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे कई महत्वपूर्ण विषय हमेशा मेरे साहित्य के मुख्य बिंदु रहे हैं.

वहीं, हिमालयीय विवि के कुलपति प्रो. जेपी पचौरी ने बताया कि डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के साहित्य पर हिमालय विरासत न्यास एवं स्याही ब्लू बुक्स ने पिछले साल ऑनलाइन श्रृंखला शुरू की थी. इसके 75 एपिसोड पूरे होने के मौके पर यह संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. उन्होंने बताया कि इस उपलब्धि पर डॉ. निशंक का नाम ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड’ और ‘हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड’ लंदन में भी दर्ज किया गया है. इस अवसर पर हिमालय विरासत न्यास की अध्यक्ष आश्ना नेगी, समेत अन्य ने आयोजन में सहयोग दिया.

चार सत्रों में 60 शोधपत्र हुए प्रस्तुत: संगोष्ठी के पहले दिन चार सत्रों का आयोजन हुआ, जिसमें दुनियाभर के साहित्यकारों, शिक्षाविदों व शोधार्थियों के शोध पत्र प्रस्तुत किए गए. उन्होंने डॉ. निशंक के साहित्य पर चर्चा की. देश के लगभग सभी राज्यों के हिन्दी प्रेमी, समीक्षक, शिक्षाविद, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर शोधार्थी मौजूद रहे हैं.

ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन ऋषिकेश (Parmarth Niketan Rishikesh) में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी (Two Day International Seminar) एवं हीरक जयंती समारोह का आज शुभारंभ हुआ. इस दो दिवसीय साहित्य महाकुंभ का आयोजन डॉ रमेश पोखरियाल निशंक की रचना संसार ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाएं पूरी होने के अवसर पर किया गया.

बता दें कि हिमालय विरासत न्यास उत्तराखंड, स्याही ब्लू बुक्स नई दिल्ली और हिमालयीय विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में यह दो साहित्य महाकुंभ (Sahitya Mahakumbh at Parmarth Niketan) आयोजित किया जा रहा है. कार्यक्रम में डॉ निशंक को 'हावर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड' लंदन के सचिव आशीष जायसवाल ने विश्व कीर्तिमान का प्रमाण पत्र प्रदान किया. इस मौके पर डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक और नई शिक्षा नीति 2020 का विमोचन भी किया गया.

पढ़ें- उत्तराखंड: उच्च शिक्षा में NEP लागू, CM बोले- नई शिक्षा नीति नए भारत का निर्माण करेगी

इस मौके पर मुख्य अतिथि आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि निशंक ने आम आदमी की आवाज को अपने साहित्य में स्थान दिया है. उन्होंने समाज के हर वर्ग, हर तबके के लिए साहित्य की रचना की है. उनके साहित्य में जो विषय हैं, वह अपने आप में विशिष्ट हैं. एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ उच्च कोटि का साहित्यकार होना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है.

उन्होंने कहा कि डॉ निशंक ने कहानी, कविता, उपन्यास सब कुछ लिखा है. उनका यह उत्कृष्ट लेखन उन्हें दुनिया के अन्य सभी साहित्यकारों से अलग बनाता है. उन्होंने कहा कि ऋषिकेश में ऋषि कुंभ कई बार हुए हैं. लेकिन यह साहित्य का महाकुंभ है, जिसमें दुनियाभर के साहित्यकार और साहित्य प्रेमी गोते लगा रहे हैं.

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए लंदन के वरिष्ठ साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा ने कहा कि डॉ निशंक का साहित्य सीमाओं से बंधा हुआ नहीं है. आज दुनियाभर की भाषाओं में उनकी रचनाओं का अनुवाद किया जा रहा है. बड़ी संख्या में शोधार्थी उनके साहित्य पर शोध कर रहे हैं. कई पाठ्यक्रमों में उनकी रचनाएं शामिल की गई है. यह बताता है कि डॉ निशंक किस उत्कृष्ट शैली के साहित्यकार हैं.

पढ़ें- बिल्डरों की मनमानी से परेशान विस्थापित, एमडीडीए के अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोप

वहीं, डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि साहित्य में संवेदनाओं का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. मैंने अपने जीवन में जो देखा, महसूस किया, संघर्ष किया, उसको अपनी रचनाओं में शामिल करने का प्रयास किया है. पहाड़ का दर्द, पलायन का दंश, महिलाओं और बेरोजगारों की पीड़ा, विकास की संकल्पना, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे कई महत्वपूर्ण विषय हमेशा मेरे साहित्य के मुख्य बिंदु रहे हैं.

वहीं, हिमालयीय विवि के कुलपति प्रो. जेपी पचौरी ने बताया कि डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ के साहित्य पर हिमालय विरासत न्यास एवं स्याही ब्लू बुक्स ने पिछले साल ऑनलाइन श्रृंखला शुरू की थी. इसके 75 एपिसोड पूरे होने के मौके पर यह संगोष्ठी आयोजित की जा रही है. उन्होंने बताया कि इस उपलब्धि पर डॉ. निशंक का नाम ‘वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड’ और ‘हार्वर्ड वर्ल्ड रिकॉर्ड’ लंदन में भी दर्ज किया गया है. इस अवसर पर हिमालय विरासत न्यास की अध्यक्ष आश्ना नेगी, समेत अन्य ने आयोजन में सहयोग दिया.

चार सत्रों में 60 शोधपत्र हुए प्रस्तुत: संगोष्ठी के पहले दिन चार सत्रों का आयोजन हुआ, जिसमें दुनियाभर के साहित्यकारों, शिक्षाविदों व शोधार्थियों के शोध पत्र प्रस्तुत किए गए. उन्होंने डॉ. निशंक के साहित्य पर चर्चा की. देश के लगभग सभी राज्यों के हिन्दी प्रेमी, समीक्षक, शिक्षाविद, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफेसर शोधार्थी मौजूद रहे हैं.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.