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ओडिशा : अस्पताल ने जिसे मृत घोषित किया वह 'जिंदा' निकला, सदमे में पत्नी ने कर ली थी आत्महत्या - भुवनेश्वर अस्पताल मामला

private hospital explosion case : ओडिशा की राजधानी के एक हाईटेक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लापरवाही का मामला सामने आया है. यहां एक मरीज को मृत घोषित कर दिया गया, जिसकी खबर सुन सदमें में पत्नी ने खुदखुशी कर ली. बाद में पता चला कि वह मरीज जिंदा था, किसी दूसरे की मौत हुई थी.

private hospital explosion case
ओडिशा मामला
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 5, 2024, 10:02 PM IST

भुवनेश्वर: ओडिशा की राजधानी के एक हाईटेक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पति की मौत की खबर सुनकर सदमे में आई पत्नी ने आत्महत्या कर ली. इसके चार दिन बाद एक अन्य व्यक्ति जो अस्पताल में वेंटिलेटर पर था, जब उसे होश आया तो उसने दावा किया वह आत्महत्या करने वाली महिला का पति है.

हाई-टेक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में विस्फोट के बाद दो लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए, मृतकों और जीवितों की पहचान को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. अस्पताल में एसी ठीक करने के दौरान कंप्रेसर ब्लास्ट में घायल हुए ज्योति रंजन मल्लिक के परिवार को उस समय सबसे बड़ा झटका लगा, जब उन्होंने सुना कि जिस शख्स को वे अपना बेटा समझ रहे थे, वह दिलीप सामंत्रे था.

अस्पताल के अधिकारियों ने 31 दिसंबर को सामंत्रे का शव उनके परिवार को सौंप दिया, जिन्होंने बाद में जाटनी में उनके गांव में उनका अंतिम संस्कार किया. अब जब गुरुवार की रात वेंटिलेटर से बाहर आए घायल युवक ने दावा किया है कि वह वास्तव में दिलीप सामंत्रे है, तो ज्योति के माता-पिता ने पूछा कि फिर आखिर उनका बेटा कहां है.

ज्योति रंजन की गमगीन पत्नी ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मेरे पति कहां हैं. मुझे कल तक पता था कि अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. लेकिन अब वे कह रहे हैं कि वह मेरे पति नहीं बल्कि दिलीप सामंत्रे हैं.'

एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, 'हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि ज्योति रंजन मल्लिक कहां हैं. अस्पताल का दावा है कि पहचान के बाद दिलीप सामंत्रे का शव उनके माता-पिता को सौंप दिया गया. लेकिन इसकी उचित पहचान होनी चाहिए थी. अगर कोई और दिलीप सामंत्रे होने का दावा करता है तो अस्पताल को जवाब देना चाहिए कि ज्योति कहां है.'

उन्होंने आरोप लगाया, 'जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई अधिकारी यहां नहीं आए हैं. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कलेक्टर को स्वयं यहां आना चाहिए था. पुलिस ने भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. जिस तरह से अस्पताल और जिला प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है, उससे मुझे लगता है कि पहचान में गड़बड़ी में सरकार अस्पताल के साथ मिली हुई है. '

हालांकि, हाई-टेक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की सीईओ स्मिता पाढ़ी ने कहा, 'हमने कभी भी शव को सीधे मृतक के परिवार को नहीं सौंपा. चूंकि यह एक एमएलसी मामला था, हमारी नीति के अनुसार, हमने शव को पुलिस को सौंप दिया, जिसने फिर जांच की और इसे परिवार को सौंप दिया. अगर वह इस अस्पताल का कर्मचारी होता तो हम पहचान की जिम्मेदारी लेते. लेकिन वे सभी थर्ड पार्टी के लिए काम करते थे, इसलिए डॉक्टरों के लिए उनकी पहचान करना संभव नहीं था.'

इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता निशिकांत मिश्रा ने एक कदम आगे बढ़कर अस्पताल पर ज्योति रंजन की हत्या का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 'अस्पताल ने घायल व्यक्तियों में से एक की हत्या कर दी और शव को किसी अन्य व्यक्ति के रूप में पहचान कर सौंप दिया जो वास्तव में जीवित है. अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने एक जीवित व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर दिया. घायल का नाम दिलीप सामंत्रे बताया जा रहा है जिसकी हालत काफी गंभीर है. मुझे डर है कि जिला प्रशासन की मदद से अस्पताल उसे भी मार डालेगा. हम पूरी घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हैं.'

यह विशेष रूप से सामंत्रे परिवार के लिए विनाशकारी है क्योंकि, दिलीप की पत्नी सुना सामंत्रे ने कथित तौर पर दुःख के कारण पंखे से लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. कथित तौर पर वह अपने पति दिलीप सामंत्रे की मौत के बारे में सुनकर उदास थीं. वह इस गम को बर्दाश्त नहीं कर पाई और फांसी लगा ली. गौरतलब है कि एक अन्य घायल श्रीतम साहू ने मंगलवार की रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.

अस्पताल प्रशासन ने ये कहा : मामले को लेकर शुक्रवार को अस्पताल के अधिकारियों ने एक प्रेस बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, '26 दिसंबर की शाम को अस्पताल की छत पर एसी कंप्रेसर की मरम्मत करते समय तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता, जगन्नाथ रेफ्रिजरेशन के साथ काम करने वाले चार लोग विस्फोट में घायल हो गए. अस्पताल के कर्मचारी और पायल रेफ्रिजरेशन के एक वरिष्ठ कर्मचारी, संजय साहू ने घायलों को उनके नाम और पते के साथ पंजीकरण फॉर्म भरने के बाद आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया.

इस बीच, 30 दिसंबर को दिलीप सामंत्रे की मृत्यु हो गई और 3 जनवरी को श्रीतम साहू ने दम तोड़ दिया. शवों की पहचान पायल रेफ्रिजरेशन के संजय साहू ने की और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, 'ज्योति रंजन मल्लिक वेंटिलेटर से बाहर आने के बाद, वह दिलीप सामंत्रे होने का दावा किया गया. इसलिए डॉक्टर ने ज्योति रंजन और दिलीप दोनों के परिवारों को बुलाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह वास्तव में कौन है. भ्रम की स्थिति बढ़ती हुई महसूस करते हुए डॉक्टर ने चिकित्सा अधीक्षक को सूचित किया, जिन्होंने मंचेश्वर पुलिस स्टेशन को फोन किया और उनसे इस संबंध में कदम उठाने का अनुरोध किया था.

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भुवनेश्वर: ओडिशा की राजधानी के एक हाईटेक मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पति की मौत की खबर सुनकर सदमे में आई पत्नी ने आत्महत्या कर ली. इसके चार दिन बाद एक अन्य व्यक्ति जो अस्पताल में वेंटिलेटर पर था, जब उसे होश आया तो उसने दावा किया वह आत्महत्या करने वाली महिला का पति है.

हाई-टेक मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में विस्फोट के बाद दो लोगों की मौत हो गई और दो अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए, मृतकों और जीवितों की पहचान को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. अस्पताल में एसी ठीक करने के दौरान कंप्रेसर ब्लास्ट में घायल हुए ज्योति रंजन मल्लिक के परिवार को उस समय सबसे बड़ा झटका लगा, जब उन्होंने सुना कि जिस शख्स को वे अपना बेटा समझ रहे थे, वह दिलीप सामंत्रे था.

अस्पताल के अधिकारियों ने 31 दिसंबर को सामंत्रे का शव उनके परिवार को सौंप दिया, जिन्होंने बाद में जाटनी में उनके गांव में उनका अंतिम संस्कार किया. अब जब गुरुवार की रात वेंटिलेटर से बाहर आए घायल युवक ने दावा किया है कि वह वास्तव में दिलीप सामंत्रे है, तो ज्योति के माता-पिता ने पूछा कि फिर आखिर उनका बेटा कहां है.

ज्योति रंजन की गमगीन पत्नी ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मेरे पति कहां हैं. मुझे कल तक पता था कि अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. लेकिन अब वे कह रहे हैं कि वह मेरे पति नहीं बल्कि दिलीप सामंत्रे हैं.'

एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, 'हमें सबसे पहले यह जानना होगा कि ज्योति रंजन मल्लिक कहां हैं. अस्पताल का दावा है कि पहचान के बाद दिलीप सामंत्रे का शव उनके माता-पिता को सौंप दिया गया. लेकिन इसकी उचित पहचान होनी चाहिए थी. अगर कोई और दिलीप सामंत्रे होने का दावा करता है तो अस्पताल को जवाब देना चाहिए कि ज्योति कहां है.'

उन्होंने आरोप लगाया, 'जिला प्रशासन की ओर से अब तक कोई अधिकारी यहां नहीं आए हैं. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए कलेक्टर को स्वयं यहां आना चाहिए था. पुलिस ने भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. जिस तरह से अस्पताल और जिला प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश कर रहा है, उससे मुझे लगता है कि पहचान में गड़बड़ी में सरकार अस्पताल के साथ मिली हुई है. '

हालांकि, हाई-टेक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की सीईओ स्मिता पाढ़ी ने कहा, 'हमने कभी भी शव को सीधे मृतक के परिवार को नहीं सौंपा. चूंकि यह एक एमएलसी मामला था, हमारी नीति के अनुसार, हमने शव को पुलिस को सौंप दिया, जिसने फिर जांच की और इसे परिवार को सौंप दिया. अगर वह इस अस्पताल का कर्मचारी होता तो हम पहचान की जिम्मेदारी लेते. लेकिन वे सभी थर्ड पार्टी के लिए काम करते थे, इसलिए डॉक्टरों के लिए उनकी पहचान करना संभव नहीं था.'

इस बीच कांग्रेस प्रवक्ता निशिकांत मिश्रा ने एक कदम आगे बढ़कर अस्पताल पर ज्योति रंजन की हत्या का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि 'अस्पताल ने घायल व्यक्तियों में से एक की हत्या कर दी और शव को किसी अन्य व्यक्ति के रूप में पहचान कर सौंप दिया जो वास्तव में जीवित है. अस्पताल प्रशासन और पुलिस ने एक जीवित व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर दिया. घायल का नाम दिलीप सामंत्रे बताया जा रहा है जिसकी हालत काफी गंभीर है. मुझे डर है कि जिला प्रशासन की मदद से अस्पताल उसे भी मार डालेगा. हम पूरी घटना की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हैं.'

यह विशेष रूप से सामंत्रे परिवार के लिए विनाशकारी है क्योंकि, दिलीप की पत्नी सुना सामंत्रे ने कथित तौर पर दुःख के कारण पंखे से लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. कथित तौर पर वह अपने पति दिलीप सामंत्रे की मौत के बारे में सुनकर उदास थीं. वह इस गम को बर्दाश्त नहीं कर पाई और फांसी लगा ली. गौरतलब है कि एक अन्य घायल श्रीतम साहू ने मंगलवार की रात इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था.

अस्पताल प्रशासन ने ये कहा : मामले को लेकर शुक्रवार को अस्पताल के अधिकारियों ने एक प्रेस बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, '26 दिसंबर की शाम को अस्पताल की छत पर एसी कंप्रेसर की मरम्मत करते समय तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाता, जगन्नाथ रेफ्रिजरेशन के साथ काम करने वाले चार लोग विस्फोट में घायल हो गए. अस्पताल के कर्मचारी और पायल रेफ्रिजरेशन के एक वरिष्ठ कर्मचारी, संजय साहू ने घायलों को उनके नाम और पते के साथ पंजीकरण फॉर्म भरने के बाद आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया.

इस बीच, 30 दिसंबर को दिलीप सामंत्रे की मृत्यु हो गई और 3 जनवरी को श्रीतम साहू ने दम तोड़ दिया. शवों की पहचान पायल रेफ्रिजरेशन के संजय साहू ने की और पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, 'ज्योति रंजन मल्लिक वेंटिलेटर से बाहर आने के बाद, वह दिलीप सामंत्रे होने का दावा किया गया. इसलिए डॉक्टर ने ज्योति रंजन और दिलीप दोनों के परिवारों को बुलाया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह वास्तव में कौन है. भ्रम की स्थिति बढ़ती हुई महसूस करते हुए डॉक्टर ने चिकित्सा अधीक्षक को सूचित किया, जिन्होंने मंचेश्वर पुलिस स्टेशन को फोन किया और उनसे इस संबंध में कदम उठाने का अनुरोध किया था.

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